विश्व मधुमक्खी दिवस आज, पढ़े स्वामी विवेकानंद ​​​​​​से जुड़ी यादें

Update: 2024-05-20 04:14 GMT

रायपुर। आज विश्व मधुमक्खी दिवस है। 20 मई को हर साल की तरह इस साल भी विश्व मधुमक्खी दिवस मनाया जा रहा है। इन सबके बीच हम आपको स्वामी विवेकानंद ​​​​​​से जुड़ी कुछ यादें बताएंगे, जिन्हें मधुमक्खियों की एकता से स्वामी विवेकानंद को पहली बार ज्ञान की प्राप्ति हुई, जिससे स्वामी विवेकानंद को छत्तीसगढ़ की धरती में आध्यात्म का भाव जागा हुआ।

स्वामी विवेकानंद की आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत की बात करें तो उसे छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से मानी जाता है। इतिहास में ऐसा लिखा है कि नागपुर से रायपुर आते समय हजराफॉल के पास दरेकसा नाम की एक जगह है। वहां गुफा में उन्होंने एक मधुमक्खी का छत्ता देखा।

उसी छत्ते से उनके मन में अध्यात्म का बीज रोपित हुआ। इसके बाद वो रायपुर के दूधाधारी मठ, जैतूसाव मठ और महामाया मंदिर में होने वाले धार्मिक आयोजनों ने आध्यात्म के इस बीज को वृक्ष का रूप दिया। स्वामी विवेकानंद ने वर्ष 1877 में रायपुर की धरती पर कदम रखा था। उस समय उनकी आयु महज 13-14 साल की थी। इतिहासकारों की मानें तो स्वामीजी अपने पिता के साथ नागपुर के रास्ते बैलगाड़ी पर सवार होकर रायपुर पहुंचे थे।

देबाशीष चितरंजन राय द्वारा लिखित किताब 'जर्नी आफ स्वामी विवेकानंद टू रायपुर एंड हिज फ‌र्स्ट ट्रांस' में स्वामीजी को पहली बार होने वाली आध्यात्मिक अनुभूति के बारे में लिखा है।


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