राजनांदगांव में वरिष्ठजनों के अधिकारों के संबंध में कार्यशाला आयोजित

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Update: 2023-08-25 13:23 GMT
राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के मार्गदर्शन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव द्वारा माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य पैनल अधिवक्ताओं और पैरालीगल वालंटियर्स को अधिनियम, इसके उद्देश्य, महत्व और महत्व की व्यापक समझ के साथ सशक्त और प्रबुद्ध करना था, जिससे प्रतिबद्धता से समाज में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके। कार्यशाला में कुटुम्ब न्यायाधीश विनीता वार्नर ने अधिनियम एवं धारा की प्रक्रियाओं और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए उपलब्ध विभिन्न शासकीय लाभकारी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अधिनियम की धारा 4 के अनुसार यदि कोई वरिष्ठ नागरिक, जिसके अन्तर्गत माता-पिता है, अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है, तो वह अपने बालिग संतान से या नि:संतान वरिष्ठ नागरिक की दशा मे अपने नातेदार जो सम्पत्ति विरासत में प्राप्त करेगा, उससे आम जीवन व्यतीत करने लायक भरण पोषण प्राप्त कर सकते है। धारा 5 के अनुसार भरण पोषण के लिए आवेदन यथास्थिति, किसी वरिष्ठ नागरिक या किसी माता-पिता द्वारा किया जा सकता है। यदि वह अशक्त है तो उसके द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य व्यक्ति या संगठन द्वारा किया जा सकेगा या अधिनियम की धारा 7 के अति गठित अधिकरण स्वप्रेरणा से संज्ञान ले सकेगा।
कार्यशाला में उपखंड अधिकारी एवं एसडीएम राजनांदगांव अरूण वर्मा ने वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित मामलों के समाधान के लिए विशेष रूप से गठित ट्रिब्यूनल की कार्यप्रणाली, अधिनियम के तहत होने वाली कार्रवाई एवं प्रक्रिया के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। अधिनियम 2007 की धारा 24 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति, जिसके पास वरिष्ठ नागरिक की देखरेख या सुरक्षा है, ऐसे वरिष्ठ नागरिक को, किसी स्थान में, ऐसे वरिष्ठ नागरिक का पूर्णतया परित्याग करने के आशय से छोड़ेगा, वह ऐसी अवधि के किसी कारावास से, जो तीन मास तक की हो सकेंगी या जुर्माने से, जो पांच हजार रूपए तक का हो सकेगा, या दोनो से दंडनीय होगा। न्यायिक मजिस्ट्रेट राजनांदगांव देवेन्द्र दीक्षित ने इस अवसर पर माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 के कानूनी प्रावधानों तथा उच्चतम एवं उच्च न्यायालय द्वारा पारित विभिन्न निर्णयों एवं महत्वपूर्ण दिशा-निर्देशों के बारे में जानकारी दी। प्राधिकरण के वरिष्ठजनों ने संबंधित अभियान करूणा के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव देवाशीष ठाकुर ने अधिनियम के उचित कार्यान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से विभिन्न कानूनी जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों के बीच जागरूकता बढ़ाने क लिए सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया। उन्होंने पैरालिगल वालेण्टियर्स को ग्राम में किए जा रहें विधिक साक्षरता शिविरों, कार्यक्रम के दौरान ऐसे वरिष्ठजनों से संबंधित लाभ से लाभ नहीं मिल पा रहा है, उसकी जानकारी एकत्रित कर प्राधिकरण के संज्ञान में लाये जाने कहा। साथ ही नालसा (वरिष्ठ नागरिकों के लिए विधिक सेवाएं) योजना 2016 के संबंध में आमजनों के बीच में प्रचार-प्रसार कर जागरूकता लाने कहा। कार्यशाला में विशेष न्यायाधीश थामस एक्का, सामाज कल्याण विभाग के अधिकारी व कर्मचारी, जिला न्यायालय राजनांदगांव के लीगल एड डिफेंस कौसिंल तथा पैनल अधिवक्तागण सहित पैरालीगल वालिटियर्स एवं वरिष्ठजन विशेष रूप से मौजूद थे।
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