रायपुर। अंतर्राष्ट्रीय महिला सप्ताह (4 से 11 मार्च) के अंतर्गत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर व युवा विकास मंडल के तत्वावधान में रविवार को नवीन वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र भवन के कॉन्फ्रेंस हाल में महिला सशक्तिकरण पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि सप्तम अतिरिक्त जिला एव सत्र न्यायाधीश वंदना दीपक देवांगन थी। वहीं इस मौके पर महिला बाल विकास कार्यालय, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सायबर सेल के महिला अधिकारी -कर्मचारी एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण तथा जनोपयोगी लोक अदालत के सभी कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ न्यायाधीश वंदना दीपक देवांगन, महिला एवं बाल विकास के पर्यवेक्षेक अम्बा पटेल, उप निरीक्षक इंदिरा ठाकुर, युवा विकास मंडल की स्टेट कॉडिनेटर ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर न्यायाधीश वंदना दीपक देवांगन ने कहा कि, आज हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान देश की प्रगति में सतत रूप से सहयोग प्रदान कर रहा है।
आज महिलाएं परिवार तक ही सीमित न होते हुए समाज एवं देश की प्र्रगति में अपनी भूमिका बखूबी निभा रही है। आज हमारी जिम्मेदारी है कि, महिलाओं को सम्मान दें, किसी महिला एवं पीड़िता को सिर्फ शिकायत या न्यायालय तक पहुंचाना पर्याप्त नहीं है, उन्हें सामाजिक सुरक्षा भी जागरुकता के साथ पहुंचाना समाज का परम कर्तव्य है। हम लोग और समाज में रहकर हमें अपनी कर्तव्यों के साथ साथ अपने अधिकारों को पहचाने और आज के परिवेश में सभी महिलाओं को अपनी क्षमता और अतिरिक्त शक्तिओं को पहचानने की सख्त आवश्यकता है। कार्यक्रम में पुलिस विभाग से अधिकारी महिला बाल विकास विभाग अधिकारीगण विद्वान अधिवक्ता संध्या शर्मा द्वारा साइबर कानून, अधिवक्ता आशुतोष तिवारी के द्वारा पॉस्को अधिनियम 2012 की सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की गई । उसी क्रम में प्रदन्या बंसोड़े द्वारा मानसिक स्वास्थ्य सुधार के उपाय, ऋतुराज के द्वारा युवा विकास मंडल की उपलब्धियों के बारे में जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रवीण मिश्रा द्वारा बताया गया कि, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण इस विशेष सप्ताह विशेष रूप से अभियान चलाकर लगभग सैंकड़ों की संख्या में जागरुकता शिविर कर महिलाओं के अधिकारों की जानकारी पहूंचाने का प्रयास कर रहा है,जिसमें महिला पैरालीगल वॉलिटियर, एवं महिला पेनल अधिवक्ता घर-घर जाकर, बस स्टेंण्ड, रेल्वे स्टेशन एवं अन्य सार्वजनिक स्थानों में महिलाओं के संवैधनिक, कानूनी अधिकारों के बारे में उन्हें अवगत कराएंगे और अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचकर शिविर का आयोजन किया जा रहा है।