नशे के कारोबार में महिलाएं और बच्चे...!

ड्रग तस्करों ने ग्राहक ढूंढने ओर सप्लाई करने का बनाया माध्यम

Update: 2021-01-30 05:41 GMT

बेखौफ कारोबार करने वालों ने महिलाओं और बच्चों को भी झोंका

गांजे के तलबगारों को आसानी से उपलब्ध हो रहे गली-मोहल्ले में पुडिय़ा

11 साल पहले पकड़ाया था अनिल आलू, उसके बाद से आज तक पकड़ नहीं पाई पुलिस ?

छुटभैय्या नेताओं के संरक्षण में चल रहा बेखौफ कारोबार

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी में अपराध के सिलसिले आए दिन बढ़ते जा रहे है। शहर में नशे का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी में ऐसे स्थान भी हैं, जहां पुडिय़ा या माल बोले तो हाथ में तुरंत गांजे की पुडिय़ा आ जाएगी। चौंकाने वाली बात है कि यहां बच्चा-बच्चा इसको जानता है, लेकिन छुटभैय्या नेताओं के संरक्षण के चलते ये कारोबार आए दिन बढ़ते जा रहा है। गांजे का कारोबार शहर की गली-गली में इस कदर फैल चुका है कि कहीं थोड़ी दूरी पर तो कहीं घर से ही नशा बेचा जा रहा है। बेखौफ कारोबार करने वालों ने महिलाओं और बच्चों को भी इसमें झोंक रखा है। गांजे के तलबगार 50 या 100 रुपए देकर आसानी से नशा खरीद रहे हैं। पुलिस की लगातार कार्रवाई के बाद भी नशे के सौदागर अपने कारोबार को बंद नहीं करते है।

नशे की तरफ युवा पीढ़ी बढ़ रही है तेजी से

बड़े शहरों की तर्ज पर रायपुर नशाखोरी का अड्डा बनता जा रहा है। सबसे ज्यादा युवा वर्ग इसकी चपेट में है। रायपुर शहर में अफीम, चरस, गांजा, ड्रग्स, नशीले इंजेक्शन और टैबलेट समेत अन्य माध्यमों से नशा किया जा रहा है। नशे के मंहगे माध्यमों के लिए बड़ा नेटवर्क शहर में पांव पसार रहा है। जो भारी मात्रा में नशे की खेप रायपुर पहुंचा रहा है। रायपुर में पुलिस का तंत्र कमजोर हो गया है। इस कारण नशा माफिया सक्रिय होकर इस अवैध कारोबार में तेजी पकड़ रहे हैं। पुलिस कभी कभार नशे के खिलाफ कार्रवाई करत नजर आती है लेकिन अभी तक सरगना तक पहुंच पाने में पुलिस नाकाम रही है।

ऑर्डर मिलते ही बाइक में डिलीवरी

शहर में नशे का कारोबार हाईटेक तरीके से हो रहा है। नशे के कारोबार में लिप्त युवा शहर के युवा गली-चौराहों से ही अपने अवैध कारोबार को चलाते हैं। ये अपने साथ बाइक में ही नशे का सामान अपने साथ रखते हैं। ग्राहक का ऑर्डर आते ही उसके स्थान पर नशे की पुडिय़ा पहुंचा दी जाती है। नशे का कारोबार करने वाले युवा इस दौरान उन्हीं को सामान देते हैं जो उनके विश्वास पात्र होते हैं। वे अपने साथ बाइक में सिर्फ उतना ही सामान रखकर चलते हैं जितने का उन्हें ऑर्डर मिलता है।

युवाओं में बढ़ता नशा

राजधानी के चारों कोनों में ब्राउन शुगर, गांजा, शराब, चरस के सौदागरों ने जाल बिछा रखा है। राजधानी में बेखौफ ब्राउन शुगर सहित अन्य नशीले पदार्थ खुलेआम बिक रहे हैं। युवा पीढ़ी ब्राउन शुगर के नशे में मदहोश है। नशे की हालत में उन्हें ये पता नहीं चलता की वो क्या कर रहे है, किसको क्या बोल रहे हैं और किससे क्या बात कर रहे हैं। राजधानी में युवाओं को नासूर रोग लग चुका है। जिसका समय रहते इलाज करना बहुत ही जरूरी हो गया है, नहीं तो यह रोग युवाओं को पूरी तरह तवाह कर देगी। प्रदेश सहित राजधानी में नशे की लत ने युवा पीढ़ी को बर्बादी के कगार में लाकर खड़े कर दिया है, जो घर-परिवार के साथ समाज के लिए हानिकारक साबित होते जा रहा हैं।

अदृश्य अनिल आलू का सट्टा चरम सीमा पर

नशा और सट्टा-जुआ का कारोबार पूरी तरह उफान पर है, ऐसे अवैध कारोबार करने वाले मुख्य संचालक और असामाजिक तत्व अपने अड्डों में ना रहकर शहर के बाहर से अपने भरोसेमंद गुर्गों की मदद से इसका संचालन कर रहे है। कालीबाड़ी में रवि साहू गैंग के गुर्गे अब एक बार फिर से सक्रिय हो चुके है। ग्राहकों को सट्टा खिलाना और गांजा पिलाना उनका पुराना पेशा था। अब नए साल के बाद से इस काम में भी नया मोड़ आ गया है। नया साल आते ही रवि साहू की गैंग में नए सदस्यों को जोड़ा गया है, ये ऐसे हिस्ट्रीशीटर है जो जेल से जमानत में या पैरोल में छूटे हुए है उन आरोपियों को गैंग में शामिल किया गया है। और अपने सट्टे के कारोबार में रवि साहू ने इजाफा भी किया है। पुलिस और अपराधियों की लुकाछिपी का खेल सालों से चला आ रहा है। वही अनिल आलू का सट्टा कारोबार भी अपनी चरम सीमा पर है 11 साल पहले अनिल आलू सट्टा में गिरफ्तार हुआ उसके बाद से पुलिस उसे आज तक पकड़ नहीं पाई है। ये लुकाछिपी का पूरा खेल छुटभैय्या नेताओं के इशारे से चल रहा है। लेकिन पुलिस ने साल 2020 में नशे पर अपना शिकंजा भी कसा था मगर 2021 में नशे का भी कारोबार बढ़ते जा रहा है।

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