नीत मा चलही चलाही कोन?

Update: 2024-04-24 09:40 GMT

रायपुर। रोशन साहू ( मोखला ) ने कविता ई मेल किया है। 

फोकट-फोकट चाही तोला,फोकटईया खवाही कोन।

फर-फर ला तहींच खाबे त,झोर-झोर सोरयाही कोन।।

घेरी-घांव करजा माफी ,फोकटईया मा चाही घर कुरिया।

अब तहीं बतादे जी मंगतू ,अतेक पइसा लाही कोन।।

रूपिया किलो चाँउर राशन घलो,सोझे दुकान बेचावत हे।

चपक अंगूठा कतको मन ,नगदी धर घर आवत हे।।

पढ़ई-लिखई पुस्तक-कापी,फ्री दवई बूटी कुरथा कपड़ा।

चेत नईहे काम बुता के फेर,संझा तिहार मनावत हे।।

नाली मा कचरा डारत हे ,भुसड़ी अड़बड़ कंटावत हे।

अधिकारी मन बर तना- नना, सरकार बर गुर्रावत हे।

बिजली पानी मोफत चाही,रद्दा गाल कस चिक्कन चाही।

नार्वे,रूस,फ्रांस कस होतेन,देखे सपना दूरियावत हे।

कुआँ झपईया ठाढ़े बरतिया,अईसन ला परघाही कोन।

टका सेर भाजी अऊ खाजा ,तेकर बर पछुवाही कोन।।

येकर ओकर सब मुँहू ताके,चिल्लावय सब मुँहू लमाके।

अंधेर नगरी चौपट राजा,नीत मा चलही चलाही कोन।।

कोंदा भैरा के दुनिया मा , सच बोले बर अघुवाही कोन।

देस राज के गजब हे चरचा,सुवारथ ला हरुवाही कोन।।

देस के हरबोलवा मन सब ,घूमत हावय जमानत मा।

मन मारय जे गारे पसीना,खाँध अपन गरूवाही कोन।।

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