ज़ाकिर घुरसेना - राजनीतिक संपादक
मरवाही में कौन जीत रहा है यह 10 नवंबर को साफ़ हो जायेगा। नतीजा जो भी हो इससे जोगी कांग्रेस की राजनीतिक दिशा तय होगी। अगर कांग्रेस जीतती है तो जोगी परिवार हमेशा के लिए मरवाही की राजनीति से दूर हो जायेगा, क्योंकि मरवाही विधानसभा सुरक्षित सीट है और अमित व ऋचा जोगी का जाति प्रमाण पत्र फर्जी घोषित हो गया है। इस दशा में मरवाही से जोगी परिवार का राजनीतिक नाता हमेशा के लिए टूट जायेगा। अगर भाजपा जीती तो अमित जोगी और उनकी पार्टी छजकां को आक्रामक और मुखर होने का एक मौका जरूर मिल जाएगा, लेकिन इसकी संभावना दूर-दूर तक नजऱ नहीं आती है। जनता से रिश्ता के प्रतिनिधि ने चुनाव प्रचार के दौरान क्षेत्र का सघन दौरा कर स्थिति का जायज़ा लिया था। इस दौरान मतदाताओं का जिस तरह से रूख सामने आया उससे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा कम समय में ही क्षेत्र के विकास के लिए उनके किये गए कार्यों के चलते लोगों का उस पर भरोसा दिखा। इससे जोगी कांग्रेस और भाजपा की रणनीति फेल होती नजऱ आई। इसका नतीजा चुनाव परिणाम में भी दिख सकता है। मरवाही चुनाव में हालांकि मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच थी। लेकिन यह मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ना होकर जोगी परिवार बनाम भूपेश बघेल हो गया था। रेणु जोगी और अमित जोगी कांग्रेस को हारने के लिए दिन-रात पसीना बहा रहे थे। सहानुभूति मिलने की उम्मीद में डॉ रेणु जोगी भावुक होकर जनता को स्व. अजित जोगी की किताब (हाँ मैं सपनों का सौदागर हूँ) बांट रहे थे और कांग्रेस के खिलाफ माहौल बना रहे थे, लेकिन भूपेश बघेल के विकास कार्यों के चलते उनकी कोशिश सफल नहीं हो सकी। जनता से रिश्ता के प्रतिनिधि ने कई क्षेत्रों के मतदाताओं से संपर्क करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला था कि किसी भी सूरत में मतदाता सरकार के खिलाफ जाने के मूड में नहीं थे। चूंकि भूपेश बघेल ने चुनाव के पहले क्षेत्रवासियों को जिले के साथ नगर पंचायत और अनेक कार्यो की सौगात देकर मरवाही को विकास के रास्ते पर ले जाने का काम किया था जिससे मरवाही अब तक वंचित रहा था। इसके चलते वहां के लोगों का भरोसा भूपेश सरकार पर बन गया था। यही कारण है कि अजीत जोगी का विधानसभा क्षेत्र होने और लोगों का उनके प्रति जबर्दस्त लगाव होने के बाद भी उपचुनाव में लोगों ने विकास के चलते कांग्रेस के पक्ष में मतदान का मन बनाया। दूसरी बात यह कि अजीत जोगी के प्रति लगाव व परिवार के प्रति सहानुभूति वाली स्थिति अमित जोगी और ऋचा जोगी के जाति प्रमाण पत्र निलंबित होने के चलते चुनाव नहीं लड़ पाने के कारण बनते-बनते रह गई और इसका फायदा जोगी परिवार को नहीं मिला। इस चुनाव से एक बात और सामने आई कि मरवाही के लोगों में स्व. जोगी के प्रति जो सम्मान और लगाव था वह डॉ. रेणु जोगी और अमित जोगी के प्रति नजर नहीं आया, शायद इसीलिए लोगों ने अपना भविष्य उनके हाथों में सौंपने की जगह सत्ताधारी दल के साथ चलने का फैसला किया। इसी आंकलन के आधार पर ही जनता से रिश्ता ने अपने 19 और 26 अक्टूबर के अंक में प्रकाशित रिपोर्ट में इस बात की संभावना जताई थी कि इस बार मरवाही सीट कांग्रेस की झोली में जाने वाली है। भूपेश सरकार के विकास कार्यों से जनता गदगद थी। इस बात की तस्दीक मुख्यमंत्री की सभा में उमड़ी भीड़ को देखकर ही लग रही थी। बहरहाल नतीजा किस करवट बैठेगा कल 10 तारीख को पता चल जायेगा।