जो उन पे गुजरती है किस ने उसे जाना है, अपनी ही मुसीबत है अपना ही फ़साना है
मोहम्मद ज़ाकिर घुरसेना / कैलाश यादव
आमतौर पर कहा जाता है कि यदि कोई अफसर कांग्रेस शासन काल में प्रताडि़त हुआ है वह भाजपा शासन आने के बाद मुख्यधारा में लौट आता है। वर्षो से लूप लाईन में रहने वालों के दिन फिरते हैं और वे फ्रंट और मलाईदार पद पर आसीन हो जाते हैं। यह कुछ समय से कुछ ज्यादा ही दिखने लगा है , पहले भी था लेकिन दबे पांव था अब खुलकर आस्था प्रकट करते देखे जाते हैं। खैर बात हो रही है आईएएस जनक पाठक जी की जो कांग्रेस शासन जमकर प्रताडि़त हुए और तो और उनका चरित्र हनन का भी खुलकर प्रयास किया गया था कौन सही कौन गलत इस पर बात नहीं हो रही है ये तो वही बता सकते हैं। अब भाजपा शासन आने के बाद भी उनकी मुसीबत कम होते नहीं दिख रही है। कई बार उनका ट्रांसफर हो गया और अभी अभी मात्र दो घंटे के लिए बिलासपुर कमिश्नर बनाकर हटा भी दिया गया। जनता में खुसुर फुसुर है कि ऐसा कौन सा काम उन्होंने कर दिया जिससे मुसीबत पीछा नहीं छोड़ रही है। एक शायर जिगर मुरादाबादी ने ठीक ही कहा है कि जो उन पे गुजरती है किस ने उसे जाना है, अपनी ही मुसीबत है अपना ही फ़साना है।
आ गए चश्मावाले साहब...
अमित कटारिया केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस लौट आए है। कटारिया तब चर्चा में आए जब 2016 में पीएम बस्तर आए थे, तब कटारिया बस्तर में कलेक्टर थे। प्रधानमंत्री मोदी बस्तर का दौरा करने आए, तब आईएएस अमित कटारिया ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के दौरान काला चश्मा पहन रखा था, जो कि सरकारी प्रोटोकॉल के खिलाफ था। इस घटना को लेकर विभाग ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। वैसे तो वे अपनी ईमानदारी और उत्कृष्ट कार्यशैली के लिए पहले से ही काफी चर्चित रहे हैं। 2004 बैच के इस अधिकारी को एक कुशल प्रशासनिक अफसर माना जाता है। वे छत्तीसगढ़ के रायगढ़ और गरियाबंद जिलों में कलेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। जहां भी सरकार ने उनकी आवश्यकता महसूस की, उन्होंने वहां अपनी जिम्मेदारियों को निभाया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अब तो वे मोदी सरकार में केंद्र में प्रतिनियुक्ति में रहते हुए चश्मे के रंग को सफेद कर लिए है। सफेद चश्मा तो प्रोटोकाल के अनुकूल है। जिस विभाग में भी उन्हें जिम्मेदरी मिलेगी पूरी पारदर्शिता रहेगी यह भी माना जा रहा है । इसलिए सरकार उनके सेवाओं का बेहतर लाभ उठाने कटारिया के मिजाज के हिसाब से पदस्थ करने का मन बना लिया है। लोग यह भी कह रहे है कि भाजपा के शासन में विष्णु के सुशासन रथ में कटारिया कृष्ण की भूमिका निभाएंगे।
जमीन के नाम पर दे दे बाबा
आजकल राजनीति के तथाकथित जन सेवा के नाम पर राजनीतिक रोटी सेंकने वाले नेताओ्ं की कमी राजधानी में बिलकुल नहीं है। जमीन हथियाने के लिए कोई भी चोला पहन लो और मौका देखकर चौका लगाकर स्थापित हो जाओ। शरणार्थी बनकर आए एक नामचीन परिवार का नाटकीय ढंग से राजनीतिकरण होना और हर सरकारी योजना का लाभ उठाने में सबसे आगे रहने का मामला सामने आया है। सरकारी जमीन पर कब्जा इनका मुख्य कारोबार है। ये एक मात्र एसे नेता है जो हमेशा शीर्ष में रहे। कांग्रेस शासन काल मेें इस नेता ने सत्ता का भी सुख लिया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि यही वक्त का तकाजा है भाई सरकार और सरकार चलाने वालों से सांठगांठ करो और अपनी दुकान चलाते रहो ।
सरकारी गांधी
राजधानी के घर, गली-मोहल्लों में विराजित की जाने वाली गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए महादेव घाट का कुंड तैयार हो चुका है। नगर निगम द्वारा कुंड की सफाई करा दी गई है। शहर की छोटी-बड़ी लगभग दस हजार प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए यही मात्र एक कुंड है। बाकी जगहों पर नगर निगम प्रशासन प्लास्टिक के ड्रम रखकर अस्थायी विसर्जन कुंड की व्यवस्था हर वर्ष करता है। गणेश भक्तों ने इस साल जोर दिखाया है । जनता में खुसुर-फुसुर है कि गणेश की भक्ति भावना से साफ है कि अगला कदम बहुत बड़ा हित साधने वाले है। सदस्यता अभियान में 10 करोड़ टारगेट पूरी करनी है । जनता में खुसुर-फसुर है कि गणेश उत्सव के समय ही हर साल किया जाता है। मगर इस बार कुछ खास होने वाला है क्योंकि सभी गणेश के पुजारी है । जो गणेश जी के मोदक पर सेवा का हक बता रहे है। मोहल्ले वाले कह रहे कि ये लोग भी मोटा भाई बनने के लिए चंदा का भोग लगा रहे है।
मौका मिला तो मारा चौका
वैसे भी कहा जाता है कि जिसे मौका मिलता है वह चौका जरूर मारता है। ये महाशय ने मार दिया तो कौन सा पहाड़ टूट गया। दरअसल एड्स नियंत्रण समिति के अधिकारी लोग जमकर खर्चा किए यानी प्रदेश को एड्स मुक्त करके ही चैन की साँस लेना था लेकिन भला हो पत्रकारों का जिन्होंने उनके इस मुहिम में पानी फेर दिया जिससे पहले ही साँस उखड गई , जनता में खुसुर फुसुर है कि अब आगे सभी अधिकारी एक ही प्रकार का जवाब देंगे, मै उस दौरान वहां नहीं था, मुझे जानकारी नहीं है आप बता रहे है तब मुझे इसकी जानकारी हुई. सवाल उठता है की आखिर तनख्वाह किस बात की लेते हैं।
पेड़ लगाने पर बोनस अंक
राजधानी के कुशाभाऊठाकरे पत्रकारिता विवि में कुलपति ने अनूठी पहल की है , उनके मुताबिक जो छात्र पेड़ लगाएगा उसे बोनस अंक दिया जायेगा। बहुत अच्छी पहल है लोग भविष्य के बारे में सोच नहीं रहे हैं हर बड़ा शहर कांक्रीट का जंगल बन गया है ऐसे वक्त में पेड़ लगाने हेतु प्रेरित करना बहुत अच्छी बात है जनता में खुसुर फुसुर है कि पेड़ लगाने वालों को फायदा ही फायदा है तो पेड़ काटने वालों को सजा का भी प्रावधान होना चाहिए गुरूजी । वैसे भी वाट्सप विवि में एक नारा चल ही रहा है एक पेड़ माँ के नाम और जंगल बाप के नाम।
जब जागो तब सबेरा
कहावत है जब जागो तब सबेरा, सुबह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते। खैर कहावत तो बहुत सारी है। यहां राजधानी में नशे की पार्टी को रोकने की कवायद पर बात हो रही है। एसएसपी महाशय निजात अभियान चलाकर नशे की दुष्परिणाम के बारे में लोगों को समझा रहे हैं। उसी सिलसिले में होटल, रेस्टारेंट और बार को बंद करने के लिए समय सीमा तय कर रहे हैं। उससे क्या नशापत्ती और बार डांस रूक जाएगा। जनता में खुसुर फुसुर है कि ऐसा अभियान यदि ईमानदारी से कंटीन्यू चले तो सार्थक होगा वर्ना एक दो अधिकारी हटे कि नहीं फिर वही ढांक के तीन पांत।
सडक़ पर मटेरियल, जुर्माना
पिछले दिनों नगर निगम ने सडक़ों पर पड़े बिल्डिंग मटेरियल के कारण ट्रेफिक जाम होने के वजह से राजधानी के कई मोहल्लों में अभियान चलाकर जुर्माना ठोका। और भविष्य में ऐसा नहीं करने की हिदायत भी दी। जनता में खुसुर फुसुर है कि आम जनता द्वारा फैलाये गए कचरे और बिल्डिंग मटेरियल के लिए तो जुर्माना कर दिए लेकिन नगर निगम द्वारा सडक़ों पर मटेरियल फैलाकर काम छोड़ दिए है उसका जुर्माना कौन भरेगा।
अफसर नप गए
पिछले दिनों राजनांदगाव के डीइओ साहब नप गए। दरअसल छात्राओं ने शिक्षकों की कमी को लेकर उनके पास गुहार लगाने गए थे, बच्चों की समस्या सुनना दूर उनको डांट फटकार कर जेल भेजने की भी धमकी दे डाली जो सोशल मीडिया में वायरल हो गया था जिस पर सीएम साहब की नजऱ पड़ गई फिर आगे का हाल तो सबको मालूम ही है। जनता में खुसुर फुसुर है कि आजकल किसी को भी हलके में न लें वर्ना राजधानी में समय व्यतीत करना पड़ सकता है।