धर्म संसद कहीं सरकार को बदनाम करने की साजिश तो नहीं?
- हरिद्वार धर्म संसद के आयोजक नरसिंहानंद के खिलाफ हुई एफआईआर। देश के अन्य हिस्सों में भी धर्म संसद के आयोंजकों के खिलाफ भी अपराध दर्ज हुए हैं जहां भाजपा का शासन है।
- आयोजकों को यह भी जान लेना था कि कालीचरण के अपशब्दों वाले बहुत अधिक मात्रा में प्रवचन यू-ट्यूब में पोस्ट किए हुए है, अगर इसको देखने के बाद भी आयोजकों को कालीचरण को बुलाकर बोलने का अवसर दिया तो क्या मकसद हो सकता है यह सोचनीय विषय है।
- महंत रामसुंदरदास कार्यक्रम में कालीचरण के भाषण के बाद भी वहां बैठे रहे। लगभग डेढ़ घंटे बाद जब इस मामले में ऊपर से दबाव आया और राष्ट्रीय स्तर पर हल्ला मचा तब महंत रामसुंदर दास स्थिति को समझते हुए वहां से रूखसत होना ही उचित समझा लेकिन तब तक देर हो चुकी थी
- कालीचरण ने जो पुलिस को बयान दिया है जिसमें यह निश्चित तौर पर खुलासा हुआ होगा कि किसके बुलावे पर रायपुर आए और किसकी कार का उपयोग रायपुर आने और रायपुर से भागने में किया । उसके आने-जाने पर खर्च किसने किया और किसके आग्रह पर कालीचरण को अपने भाषण को लंबा खींचते हुए ऐसा बयान देना पड़ा।
- आयोजकों कों कालीचरण को कार्यकम में आमंत्रित करने से पहले स्पष्ट रूप से बता देना था कि राष्ट्र विरोधी कोई भी भाषण यहां नहीं होना चाहिए या तो कालीचरण के पुराने वीडियो को देखते हुए भाषण के लिए आमंत्रित नहीं करना था या तो कार्यक्रम में बुलाना नहीं था।
ज़ाकिर घुरसेना
रायपुर। रायपुर में हुए धर्म संसद का विवाद का साया पूरे देश में दिखाई देने लगा है। विवाद थमने के बजाय बढ़ रहा है। देखा जाय तो धर्म संसद का आयोजनकर्ता कांग्रेसी थे, तो फिर धर्मसंसद में गांधी जी के खिलाफ संत कालीचरण ने अपशब्दों का प्रयोग क्यों किया। कार्यक्रम के दौरान आयोजकों ने जब कालीचरण को मंच के अग्रिम पंक्ति में बैठाने की पेशकश की तब वहां पर मौजूद कई संतों ने स्पष्ट रूप से कहा कि ये कोई संत या मठाधीश या महामंडलेश्वर नहीं है उसके बावजूद अग्रिम पंक्ति में जगह दी गई और भाषण देने के दौरान सीएम आने वाले है कि घोषणा के साथ भाषण को लंबा खींचने की अपील वहां उपस्थित जन समुदाय के सामने आयोजक करते रहे जो सर्व विदित है।
तथाकथित कांग्रेसी सरकार की बढ़ती लोकप्रियता से चिढकऱ धर्म संसद के बहाने कोई साजिश तो नहीं रच रहे थे, कांग्रेस सरकार का तीन साल से नेतृत्व कर रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी जीवट कार्यशैली से सभी योजनाओं को क्रियान्वयन कर उपलब्धियां हासिल करवाई और पूरे देश को गुड गवर्नेश का लोहा मनवाया, राज नीतिक हलको में ऐसा माना जा रहा है कि शायद फूलछाप कांग्रेसियों को भूपेश बघेल की लोकप्रियता खटकने लगी है। इसका एक उदाहरण कवर्धा में भी देखा गया, वहां पर धार्मिक झंडे को लेकर ममूली बहस पूरे प्रदेश में हिंसा में तब्दील हो गई थी, जिसे बातचीत से सुलझाया जा सकता था, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उत्तरप्रदेश के दौरे पर थे, और जब कवर्धा में धारा 144 लागू थी, तो रैली कैसे निकाली गई, हजारों लोगों को कवर्धा में प्रवेश की इजाजत किसके इशारे पर हुई, स्कूल में किसने ठहरवाया, उसकी भोजन व्यवस्था का इंतजाम किसने किया, क्या ये फूल छाप कांग्रेसियों का काम तो नहीं था। या इंटेलिजेंस को इसकी जानकारी नहीं थी, इसी प्रकार धर्म संसद को प्रदेश की इंटेलिजेंसी महकमा भी भांप नहीं पाई कि यह आयोजन कही अर्थ का अनर्थ तो नहीं कर देगा। पुलिस हर आयोजन पर बारीकी से निगाह रखती है, इस बार कैसे चूक हुई यह भी जांच का विषय हो सकता है। आयोजनकर्ता संत कालीचरण के बारे में नहीं जानते थे क्या? अगर जानकारी नहीं थी तो यूटूयूब से जानकारी हासिल कर लेना था, तब उनको न्योता देना था। संत कालीचरण ने पहली बार बापू मुस्लिम या ईसाइयों को गाली नहीं दिया है, बल्कि जिस जगह वे जाते हैं उनकी भाषा और मौजू यही रहता है। जब कांग्रेसी जानते थे तो इन्हें बुलाने का क्या औचित्य? कहीं भूपेश बघेल को बदनाम करने की साजिश तो नहीं थी? भूपेश बघेल ने किसानों, बेरोजगारों, मजदूरों के लिए जो काम किया है और कर रहे हैं काबिले तारीफ है। उनकी लोकप्रियता को देखकर कहीं ऐसा कार्यक्रम उनकी छवि धूमिल करने के लिए तो नहीं की गई थी। लोगों ने सोशल मीडिया पर धर्म संसद को नरसंहारी सम्मेलन बताया और इन सबके लिए फूलछाप कांग्रेसियों को जिम्मेदार ठहराया। इसमें कितनी सच्चाई है ये तो आयोजनकर्ता ही जाने। धर्म संसद सम्मेलन में गांधी के खिलाफ कही गई बातों का विरोध हुआ। एफआईआर दर्ज हुई लेकिन मुसलमान और ईसाइयों के खिलाफ जो कुछ कहा गया उसकी अनदेखी की गई है। धर्मसंसद में कालीचरण ने गांधी जी को गाली दी और गोडसे की तारीफ की, जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। हालांकि इस बात पर आपत्ति जताते हुए महंत रामसुंदर दास रूठकर सम्मेलन से चले गए और उन्होंने कहा कि जिस मंच से गांधी जी को गाली दी जाये और एक हत्यारे की जयकारे लगाए जाये, उस मंच पर मैं नहीं रह सकता। इस कार्यक्रम से मैं खुद को अलग करता हूँ। महंत रामसुंदर दास छत्तीसगढ़ गौ-सेवा आयोग के अध्यक्ष हैं और इनका कैबिनेट रैंक है। ये धर्मसंसद के मुख्य संरक्षक थे। सम्मेलन कांग्रेस के बिना मुमकिन ही नहीं था
आयोजकों के संरक्षण में ना सिफऱ् गांधी जी को गाली दी बल्कि ये भी कहा कि इस्लाम का मक़सद राष्ट्र पर क़ब्ज़ा करना है। कालीचरण ने यह भी कहा कि सांसद, विधायक, मंत्री-प्रधानमंत्री ऐसा होना चाहिए जो कट्टर हिंदुत्ववादी हो। आयोजक कांग्रेसियों को ऐसा बयान क्या आपत्तिजनक नहीं लगा? क्या ये बयान निंदनीय नहीं है? जब कालीचरण यह भाषण दे रहा था तो दर्शकों के बीच कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे, भाजपा नेता सच्चिदानंद उपासने और नंदकुमार साय भी मौजूद थे। किसी ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी। जब दोनों हाथ जोडकऱ कालीचरण ने नमस्कार किया तो भीड़ नारे लगाकर तालियां बजाने लगी। लेकिन महंत रामसुंदर दास के भाषण को ऐसा समर्थन नहीं मिला। उपस्थित जनसमुदाय ने महंत रामसुंदर दास के वक्तव्य पर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी इससे साफ जाहिर होता है कि आयोजन को भूपेश बघेल के खिलाफ तो माहौल बनाने के लिए तो नहीं किया गया। क्योंकि छत्तीसगढ़ की जनता ने भाजपा द्वारा प्रायोजित कवर्धा कांड को नकारते हुए नगरीय निकाय चुनाव में भूपेश बघेल के प्रति विश्वास जताया था। धर्म संसद में भाजपा का कोई रोल नजर नहीं आता, बल्कि संत कालीचरण जहां भी जाते हैं इसी प्रकार ही बयान देते हैं। संत समुदाय समाज की रीढ़ होते हैं। वे समाज के पथ प्रदर्शक होते हैं। उनके मुख से कभी अमर्यादित भाषा नहीं निकलती। सच्चा संत कभी दूसरे धर्मो की बुराई नहीं करता बल्कि वह अपने धर्म की अच्छाई बखान करता है। यह कैसा धर्म संसद हुआ समझ से परे था। हालांकि भूपेश बघेल ने संत को गिरफ्तार करवाकर जेल जरूर भेज दिया है। सवाल सिफऱ् गिरफ़्तारी का नहीं है। सम्मेलन में कांग्रेस के शामिल होने का क्या मकसद था। 25 दिसंबर को यात्रा निकाली गयी थी और 26 को धर्म संसद हुआ था। 25 के कलश यात्रा में कौन शामिल थे सर्वविदित हैं। यह किन-किन नेताओं के संरक्षण में हुआ? धर्म संसद में कालीचरण ने यह भी कहा कि बिना हिन्दू राष्ट्र बने देश का कल्याण नहीं हो सकता। कांग्रेस और उग्रवादियों की दोस्ती पुरानी है। कांग्रेस के कैबिनेट मिनिस्टर के रैंक के नेता के संरक्षण में हिंदू राष्ट्र, मुसलमानों का नरसंहार, लव जिहाद की बातें हुईं। फिर भी कांग्रेसियों का वहां उपस्थित रहना लोगों के समझ में नहीं आया । धर्म संसद के बाद हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि जितने भी कड़े कदम उठाए जा सकते हैं वह उठाए जाएंगे और अंतत: कालीचरण को खजुराहो मध्यप्रदेश से गिरफ्तार करवा ही लिया।
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