प्रदेश का नापतौल विभाग के अधिकारी बने सफेद हाथी

Update: 2021-08-12 05:06 GMT
  1. तराजू कांटे की जांच के बजाय अधिकारी लगे है वसूली में
  2. मानिटरिंग के नाम पर मासिक और वार्षिक वसूली को लेकर व्यापारियों ने खोला मोर्चा
  3. जांच के लिए किराए के आदमी रखे - जिस तरह तहसील आफिस में पटवारी अपने काम को निपटाने के लिए किराए पर काम करने वाले रखते है, वैसे ही कारखाना, फै क्ट्री, पेट्रोल पंप, पैकेजिंग प्लांट की जांच के लिए सहायक नियत्रक ने किराए के आदमी रखे है जो हर महीने पहुंच कर साहब से सील सिक्के लगाकर जांच के नाम पर मोटी रकम लाकर साहब को देता है। सहायक नियंत्रक के खिलाफ सैकड़ों शिकायत के बाद भी आज तक रायपुर से ट्रांसफर नहीं होना सबसे बड़ी राजनीतिक और रसूख वाली पकड़ माना जा रहा है। विभागीय साथियों की मानें तो सहायक नियंत्रक अपने अवैध वसूली से ऊपर से नीचे तक बंदरबांट करता है। जिसके कारण बड़े अधिकारियों से भी उसे अभयदान मिलते रहता है।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। नापतौल विभाग में सालों से जमें अधिकारियों की कमीशनखोरी के चलते आमजनों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। विभाग के अधिकारी संस्थानों में नौप तौल के उपकरणों और मानकों की समुचित जांच करने की जगह अभियान चलाकर उद्यमियों-कारोबारियों से वसूली करने में लगे हैं। कमीशनखोरी से त्रस्त कारोबारियों ने राजधानी में पदस्थ सहायक नियंत्रक के खिलाफ विभागीय सचिव व खाद्य नियंत्रक से शिकायत भी की है लेकिन आज तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

नाप तौल विभाग का मूल कार्य

बाजार में प्रचलित तराजू कांटे की नियमित जांच कर हर महीने जांच रिपोर्ट विभाग को देना होता है, इसके एवज में नापतौल विभाग सिर्फ खाना पूर्ति कर बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों, धर्मकांटा, पैकेजिंग कंपनियों से मासिक वसूली कर उसके तराजू कांटे को हर महीने अपडेट कर रही है। वर्षों से सीमेंट फैक्ट्री के कांटे की जांच नहीं हो पाई है। सीमेंट की भरती, गुणवत्ता, वजन सहीं मिले जिससे उपभोक्ताओं को नुकसान नहीं हो। लेकिन राजधानी के आसपास मांढर, हिर्री, बलौदाबाजार में स्थापित सीमेंट फैक्ट्री की आज तक जांच नहीं होना किसी आश्चर्यजनक घटना से कम नहीं है। आइल कंपनी, पेट्रोल पंप, मेटल फैक्ट्री, स्पंज आयरन कंपनी में स्थापित तौल कांटे की जांच ही नहीं होती है। जांच नहीं करने के एवज में सहायक नियंत्रक हर महीने मोटी रकम लेकर खानापूर्ति कर रहा है। ट्रकों में लोड आयरन स्क्रेप का वजन तौल कांटे में होता है। जिस तौल कांटे में वजन किया जा रहा है उसकी सालों से जांच ही नहीं हुई है और न ही अधिकारी इधर झांकने के लिए आते है।

अनुपातहीन संपत्ति के मालिक

रिटायरमेंट के करीब पहुंच चुके सहायक नियंत्रक नापतौल विभाग में पिछले 20-25 सालों से कार्यरत है, उसने अपनी छोटी सी तनख्वाह से बड़ी बचत कर अनुपातहीन संपत्ति बनाई है। राजधानी के साथ उसने अपने मध्यप्रदेश स्थित गृहनगर में भी परिवार के नाम से करोड़ों रुपए निवेश किए है। जिसमें फैक्ट्री, फार्महाऊस, बंगला, कार में निवेश करने के साथ सागर-बिना, पनागर में रहने वाले रिश्तेदारों के नाम से जमीन-जायदाद खरीदे है।

जून 2022 में होने वाले है रिटायर्ड

सहायक नियंत्रक जून 2022 में रिटायर्ड होने वाले है। टारगेट पूरा करने औैर अधिक कमाई के लालच में विभागीय कर्मचारियों के साथ व्यापारिक प्रतिष्ठानों में छापामार कार्रवाई कर व्यापारियों को आफिस में बुलाकर डरा धमका रहे है कि तुम्हारा लाइसेंस निरस्त कर दूंगा, और राजीनामा का रास्ता निकाल कर व्यापारियों से जबरिया वसूली कर रहे है। सभी व्यापारियों ने अनाप-शनाप वसूली को लेकर मोर्चा खोला तो राय ने व्यापारियों के समूह को अनुज्ञप्तियों के नवीनीकरण के एवज में लाखों की वसूली की। इसके बाद भी आए दिन दुकानों में पैसों की मांग कर नए-नए हथकंडे अपना रहा है। जो व्यापारी पैसा नहीं दे रहा है उसे राय अनुज्ञप्तियों को निरस्त करने के साथ कोर्ट-कचहरी के मामले में फंसाने की धमकी दे रहा है।

खास मुकबिर के कहने पर मारते है छापे

सहायक नियंत्रक ने पूरे जिले में अपने खास व्यापारियों को मुखबिर बना रखा है। जिसकी सूचना पर व्यापारियों और कारोबारियों के प्रतिष्ठान में छापामार कार्रवाई करते है। वहां से जिसनी वसूली होती है उसमें मुखबिर व्यापारियों को भी नजराना पेश किया जाता है। नापतौल विभाग के उच्च अधिकारियों को व्यापारियों ने कई बार सहायक नियंत्रक के अवैध वसूली को लेकर शिकायत करने पर व्यापारियों को धमकी देते रहते है। खाद्य सचिव, खाद्य नियंत्रक से शिकायत करने के बाद भी उसके खिलाफ विभागीय जांच ही शुरू नहीं हुई है। यह सबसे आश्यर्चजनक है। जबकि सरकार भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त है बावजूद कार्रवाई से खाद्य विभाग का उक्त अधिकारी अछूता है। 

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