कालाबाजारियों के आकाओं को कब पकड़ोगे साहब!

Update: 2021-05-01 06:21 GMT

रेमडेसिविर की कालाबाजारी के पीछे कौन? अस्पताल चला रहे रैकेट

रायपुर (जसेरि)। छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने में रेमडेसिविर इंजेक्शन के सौदागरों का गिरोह सक्रिय है जो एनकेन प्रकारेण इंजेक्शन का थोक में स्टाक कर अपने गुर्गों के जरिए पीडि़त मरीज के परिजनों को रेमडेेसिविर सप्लाई के एवज में भारी भरकम वसूली कर रहे है। पिछले 10 दिनों में राजधानी सहित प्रदेश के अन्य जिलों बिलासपुर, अंबिकापुर और महासमुंद में रेमडेसिविर की कालाबाज़ारी करने वालों को पुलिस ने फौरी कार्रवाई करते हुए पकड़ा है। लेकिन हैरान करने वाली बात है कि पुलिस ने कालाबारी के मामलों में अलग-अलग धाराओं के तहत कार्रवाई की। परिणाम स्वरूप आरोपी जमानत पर रिहा होते गए। पुलिस आखिर पकड़े गए लोगों से पूछताछ के आधार पर इंजेक्शन की कालाबाज़ारी करने वाले मुख्य लोगों तक आखिर क्यों नहीं पहुंच रही उन्हें पकडऩे या उनसे पूछताछ करने में कौन सी बाधा आ रही है कि पुलिस के हाथ कांप रहे है। पुलिस को पर्दे के पीछे सक्रिय लोगों को बेनकाब करना चाहिए। चाहे वो कितना भी बड़ा आदमी क्यों ना हो ? आपदा में लोगों की मजबूरियों से मुनाफा कमाने वाले मौत के सौदागरों का बेनकाब होना जरुरी है।

प्राइवेट अस्पताल चला रहे रैकेट : जानकारी के मुताबिक रेमडेसिविर बेचते हुए पकड़ में आया ये युवक एक प्राइवेट अस्पताल का नर्सिंग स्टाफ है। ये किस अस्पताल में काम करता था और कैसे इसे इंजेक्शन मिला, इसकी पूछताछ जारी है। पुलिस को इनपुट मिला है कि शहर के पचपेड़ी नाका इलाके के प्राइवेट अस्पताल रेमडेसिविर बेचने का रैकेट ऑपरेट कर रहे हैं। कुछ अस्पतालों की शिकायत भी पुलिस के पास आई है। अफसरों का कहना है कि जांच के बाद ऐसे अस्पतालों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।

रेमडेसिविर की हो रही धडल्ले से ब्लैक मार्केटिंग : छत्तीसगढ़ राज्य में एक तरफ कोरोना से कई लोगों को मौत होते जा ह्री है वही कुछ लोग कालाबाजारी व मुनाफाखोर चोरी छिपे दवाइयों और इंजेक्शन की भी कालाबाज़ारी करने से नहीं चूक रहे हैं। जिन हाथों में इसकी जिम्मेदारी है वो भी मौके का फायदा उठाने से पीछे नहीं हट रहे। (शेष अंतिम पृष्ठ पर)

कोरोना वायरस संक्रमण के कारण स्थिति गंभीर होती जा रही है। लोगों को अस्पतालों में बेड मिलने में परेशानी हो रही है, दवाइयों की आपूर्ति भी बाधित हो रहा है और इन सबके बीच कुछ दवाइयों की कालाबाजारी भी धड़ल्ले से हो रही है। राजधानी में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी रोकने के लिए एसएसपी अजय यादव ने सभी थाना प्रभारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए है। थाना प्रभारी मुखबीर लगाकर इंजेक्शन की बिक्री करने वालों पर नजर बनाए हुए हैं. रायपुर के मेडिकल दुकान के 2 युवकों को इंजेक्शन अधिक दाम पर बेचते हुए टीम ने रंगे हाथ पकड़ा है। दोनों ही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 2 रेमडेसिविर इंजेक्शन और 20 हजार 400 रुपये जब्त किए हैं।

आपदा को अवसर बना रहे कालाबाजारी

आपदा में अवसर का इससे सुनहरा रूप और क्या होगा कि इधर आपदा आई और उधर धंधे पनपने लगे। जीवनरक्षक इंजेक्शन की मांग और आपूर्ति का अनुपात पूरी तरह से चरमरा चुका है। ऐसे में दवाई की कालाबाज़ारी करने वालों के अच्छे दिन फिर लौट आये है। क्योंकि इसे खरीदने को इच्छुक भीड़ का आलम वैसा ही है जैसा कि कभी थिएटर की टिकट खिड़की पर हुआ करता था। पर वो फि़ल्म थी आज छूटी तो कल देख ली जाएगी। ये जि़ंदगी है एक बार चली गई तो वापस नहीं आएगी। जि़न्दग़ी है यहां खिड़की पर हाथ धरे हुए ही कब सांसों की डोर हाथ से छूट जाए, कौन जानता है! सांसों की कालाबाज़ारी करने ले भी बहुत है।

मौत के असली सौदागरों को पकड़े पुलिस

कुछ दिनों पहले मौदहापारा पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाज़ारी करते 4 आरोपी को गिरफ्तार किया था। जिसमे एक आरोपी के भाई के अनुसार इस गिरोह का मुख्य आरोपी जिसके घर में 100 से ज्यादा इंजेक्शन और नकदी पड़े हुए थे जिसकी सूचना के बाद भी पुलिस ने कार्रवाई नहीं की और आरोपियों की जमानत भी हो गई। पुलिस को इस मामले में मुख्य आरोपी को रिमांड में लेना चाहिए था इससे ये पूरे गैंग का पर्दाफाश हो जाता। रेमडेसिविर के कालाबाजारी के मामले में पुलिस के हाथ अभी तक छोटे प्यादे ही हाथ लगे हैं। पुलिस को इन पर सख्ती कर अपने पावर का इस्तेमाल कर परदे के पीछे रहकर आपदा में लाभ कमाने वाले मौत के सौदागरों का पता लगाना चाहिए ताकि लोगों को तकलीफ के अवसर में लुटने से बचाया सके।

17 हजार में बेच रहा था रेमडेसिविर इंजेक्शन, पुलिस ने पकड़ा

रायपुर की पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचते हुए एक और युवक को पकड़ा है। आपदा को अवसर बनाकर ये शख्स 17 हजार रुपए में इंजेक्शन बेच रहा था। पुलिस लगातार कई दिनों से इस तरह के लोगों को पकड़ रही है। अब तक 10 से अधिक लोग रेमडेसिविर की कालाबाजरी करते हुए पकड़े जा चुके हैं। शुक्रवार को गिरफ्तार युवक का नाम चंद्र कुमार जांगड़े बताया जा रहा है। ये पिछले कई दिनों से लोगों को मनमानी कीमतों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच रहा था। फोन करने वाले की मजबूरी का अंदाजा लगाकर उसे 15 से 30 हजार रुपए तक लेकर ये इंजेक्शन बेच दिया करता था। मुनाफाखोरी का ये खेल तब हो रहा है। जब रेमडेसिविर के एक-एक डोज की निगरानी राज्य सरकार कर रही है।

कोरोना वायरस संक्रमण के कारण स्थिति गंभीर होती जा रही है। लोगों को अस्पतालों में बेड मिलने में परेशानी हो रही है, दवाइयों की आपूर्ति भी बाधित हो रहा है और इन सबके बीच कुछ दवाइयों की कालाबाजारी भी धड़ल्ले से हो रही है। राजधानी में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी रोकने के लिए एसएसपी अजय यादव ने सभी थाना प्रभारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए है। थाना प्रभारी मुखबीर लगाकर इंजेक्शन की बिक्री करने वालों पर नजर बनाए हुए हैं. रायपुर के मेडिकल दुकान के 2 युवकों को इंजेक्शन अधिक दाम पर बेचते हुए टीम ने रंगे हाथ पकड़ा है। दोनों ही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 2 रेमडेसिविर इंजेक्शन और 20 हजार 400 रुपये जब्त किए हैं।

आपदा को अवसर बना रहे कालाबाजारी

आपदा में अवसर का इससे सुनहरा रूप और क्या होगा कि इधर आपदा आई और उधर धंधे पनपने लगे। जीवनरक्षक इंजेक्शन की मांग और आपूर्ति का अनुपात पूरी तरह से चरमरा चुका है। ऐसे में दवाई की कालाबाज़ारी करने वालों के अच्छे दिन फिर लौट आये है। क्योंकि इसे खरीदने को इच्छुक भीड़ का आलम वैसा ही है जैसा कि कभी थिएटर की टिकट खिड़की पर हुआ करता था। पर वो फि़ल्म थी आज छूटी तो कल देख ली जाएगी। ये जि़ंदगी है एक बार चली गई तो वापस नहीं आएगी। जि़न्दग़ी है यहां खिड़की पर हाथ धरे हुए ही कब सांसों की डोर हाथ से छूट जाए, कौन जानता है! सांसों की कालाबाज़ारी करने ले भी बहुत है।

मौत के असली सौदागरों को पकड़े पुलिस

कुछ दिनों पहले मौदहापारा पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाज़ारी करते 4 आरोपी को गिरफ्तार किया था। जिसमे एक आरोपी के भाई के अनुसार इस गिरोह का मुख्य आरोपी जिसके घर में 100 से ज्यादा इंजेक्शन और नकदी पड़े हुए थे जिसकी सूचना के बाद भी पुलिस ने कार्रवाई नहीं की और आरोपियों की जमानत भी हो गई। पुलिस को इस मामले में मुख्य आरोपी को रिमांड में लेना चाहिए था इससे ये पूरे गैंग का पर्दाफाश हो जाता। रेमडेसिविर के कालाबाजारी के मामले में पुलिस के हाथ अभी तक छोटे प्यादे ही हाथ लगे हैं। पुलिस को इन पर सख्ती कर अपने पावर का इस्तेमाल कर परदे के पीछे रहकर आपदा में लाभ कमाने वाले मौत के सौदागरों का पता लगाना चाहिए ताकि लोगों को तकलीफ के अवसर में लुटने से बचाया सके। 

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