जो कभी सोचा नहीं था वह मोड़ आया है, कहीं पे निगाहे कहीं पे निशाना लगाया है

Update: 2023-03-17 05:17 GMT
ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

बुधवार को भाजपा के विधानसभा घेराव में नए-नए चेहरे हिस्सा ले रहे थे, काफी जोश खरोश देखा गया, एक नेता से चर्चा करने पर बताया कि भाजपा के प्रभारी ओम माथुर ने पिछले दिनों बयान दिया था कि जरूरी नहीं कि सभी विधायक चुनाव लड़ेंगे और प्रधानमंत्री ने भी लोक सभा चुनाव के दौरान नए चेहरों को आजमाकर परिणाम भी देख चुके है इसलिए भैया मेहनत करने में बुरा क्या है किस्मत कब पलटी मार दे और टिकट मिल जाए। विधानसभा घेराव तो गरीबों को आवास दिलाने के नाम पर बहाना था उसके पीछे मूल उद्देश्य खुद के लिए विधायक कालोनी में आवास पाने का तो नहीं था। किसी ने ठीक ही कहा है कि जो कभी सोचा नहीं था वह मोड़ आया है, कहीं पे निगाहे कहीं पे निशाना लगाया है।

कौन होगा 2023 का खेवनहार, दीपक या अमर

दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात करके रायपुर लौटने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संगठन में बदलाव का संकेत दिया था। इसके बाद चर्चा है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के रूप में प्रदेश के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत और सांसद दीपक बैज का नाम आगे चल रहा है। इन दोनों ही नेताओं में से किसी एक को जिम्मेदारी दी जा सकती है। प्रदेश के वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम का कार्यकाल खत्म हो चुका है। ऐसे में नए अध्यक्ष को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। इस पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने प्रदेश कांग्रेस संगठन के बदलाव को लेकर सवाल उठाया है। इस बार के चुनाव में वरिष्ठ नेता प्रदेश में न सिर्फ दोबारा सरकार बनने की बात कह रहे हैं, बल्कि 75 पार का दावा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह पार्टी के लिए अच्छी स्थिति है। यदि सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा है तो मुझे नहीं लगता है कि अभी बदलाव का औचित्य है। हालांकि सिंहदेव ने कहा कि यह मामला पार्टी के हाईकमान का है। वह अपने हिसाब से ही निर्णय लेते हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सभी लोग भूपेश तो नहीं बन सकते हैं पर भूपेश के नाम पर राजनीतिक लाभ जरूर उठा सकते है? जिसका संकेत अधिवेशन के दौरान पोस्टर में जगह न देकर दे दिया गया था। जो अब सच साबित हो रहा है।

भाजपा को जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा शक्ति केंद्रों में बूथ सशक्तीकरण के कार्यक्रमों में जोर लगाकर अंतिम रिहर्सल करने वाली है। 17 से 27 मार्च तक शक्ति केंद्रों में प्रवास का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। इस कार्यक्रम की मानिटरिंग प्रदेश भाजपा प्रभारी ओम माथुर, क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल समेत अन्य नेताओं के कंधों पर होगी। भाजपा के शीर्ष स्तर की टीम भी विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में सर्वे कर रही है। विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय प्रत्याशियों की खोज जारी है। भाजपा को अपने पुराने प्रत्याशियों की तलाश करने के लिए कहा गया है। हर विधानसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण के साथ-साथ किस नेता की लोकप्रियता कितनी है और किसकी क्या खासियत है, आदि को देखा जा रहा है। पिछले चुनाव में 14 सीटों पर सिमटने वाली भाजपा सत्ता में वापसी के लिए एड़ी चोटी का बल लगा रही है। वहीं प्रदेश भाजपा प्रभारी ओम माथुर ने पहले ही संकेत दे दिया था कि जीतने वाले प्रत्याशियों को ही चुनाव में टिकट दिया जाएगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भाजपाइयों को 2018 में मिली हार की समीक्षा और आत्ममंथन करनी चाहिए । तब उन्हें पता चलेगा कि भाजपा को कांग्रेस ने नहीं हराई उसे तो अपनों ने ही सत्ता से बेदखल करने की रणनीति बनाई थी, जिसमें वो सफल भी हो गए।

चुनाव तक लफ्फाजी का खेल शुरू

शहर में जिन लोगों के पास आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य और डा. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के कार्ड नहीं हैं, उनके लिए अच्छी खबर है। नगर निगम की तरफ से कार्ड वनवाने के लिए 17 मार्च तक 47 वार्डों में शिविर लगाया जाएगा। नगर निगम ने शिविर के लिए प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं। च्वाइस सेंटर के प्रतिनिधि अधिकारी की भी ड्यूटी लगाई गई है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य और डा. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत समस्त अंत्योदय और प्राथमिकता राशन कार्डधारी परिवारों को पांच लाख रुपये एवं एपीएल को 50 हजार रुपये तक की इलाज सहायता प्रदान की जाती है। आयुष्मान कार्ड परिवार के प्रत्येक सदस्य का अलग-अलग बनता है। जोन कार्यालय अथवा च्वाइस सेंटर में जाकर कार्ड पात्रतानुसार बनवाया जा सकता है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि चुनाव की आहट आते ही वोट बैंक को वोटों से लबालब करने का सिलसिला आयुष्मान कार्ड से शुरू हो रहा है। क्योंकि जिन लोगों के पास न गरीबी रेखा कार्ड है और न एपीएल कार्ड है। मगर वोटर कार्ड है ऐसे लोगों को चुनाव तक बड़े लफ्फाजी देकर आयुष्मान कार्ड बनाने की गारंटी देकर वोट पक्का करने का खेल तो नहीं है?

जामताड़ा के ठगों का बसेरा बना रायपुर

राजधानी रायपुर ठगों के नए-नए पैंतरे अजमाने के लिए सबसे सुरक्षित जोन साबित हो रहा है। देशभर के ठगों का जमावड़ा रायपुर में हो चुका है। वो ठेले-खोमचे से लेकर बड़े कंपनियों और होटलों में फोन पे का बार कोड बदल कर रुपए अपने खातों में ट्रांसफर आसानी से कर नौ दे ग्यारह हो जाते है। ठग ऐसे जगह जाते है जहां बहुत भीड़ हो या बिलकुल खाली हो। चुपचाप वहां लगे फोन-पे के बारकोड को बदल कर वहां अपने काते वाला बारकोड चिपका देते है और वहां से फुर्र हो जाते है। ऐसे बहुत से घटनाएं रायपुर में लगातार हो रहे है । ठगों के गिरोह ने बारकोड वाला पेन-पे प्लान लेकर राजधानी में हडक़ंप मचा दिया है। ठगों का गिरोह राजधानी में इस तरह सक्रिय है कि जहां भी फोन पे सिस्टम लागू है वहां-वहां जाकर शिकार बना रहे है। ठगों ने किसी को भी नहीं बक्शने का मास्टरप्लान बनाया है जिसमें पुलिस अधिकारी से लेकर रिटायर्ड आफिसर को ठगने में वो कामयाब होते नजर आ रहे है। पुलिस में शिकायत करने के बाद भी ठगी की रकम नहीं मिल पा रही है। एक ठग ने अकेले रायपुर में 20 हजार से अधिक लोगों से ठगी कर चुका है । महिला को काल करके फोन पे का केवाइसी अपडेट करने का झांसा देकर फोन-पे स्केनर से एटीएम कार्ड को स्कैन करने को कहा और लाखों रुपए ठग लिया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जो ज्यादा होशियारी करता है या स्मार्ट बनने का ढोंग करता है तो जामताड़ावाले सबक सिखाते है। इसलिए होशियारी कम और सतर्कता जरूरी है।

राजनीति के दांवपेंच जानने वालों की पूछ परख बढ़ी

छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे चरण के दूसरे दिन भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं पर फर्जी मुकदमा का मुद्दा उठा। शून्यकाल में नेता प्रतिपक्ष ने भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं पर फर्जी मुकदमा लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हमारे कार्यकर्ता चक्काजाम करते हैं और आंदोलन करते हैं तो उनपर विभिन्न धाराओं में अपराध दर्ज किया जाता है। इसके बाद सदन में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया, जिसके चलते कार्यवाही थोड़ी देर के लिए स्थगित कर दी गई। भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, जो लोग भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को दबाने का कोशिश करेगा। मैं चेतावनी देता हूं वो बीजेपी के कार्यकर्ताओं को दबा नहीं पाएंगे। राजनीतिक रूप से कार्यकर्ताओं को कुचलने की मानसिकता ठीक नहीं है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि राजनीति में पकड़ रखने वाले दबाव बनाकर पार्टी में शामिल करने के लिए इस तरह के प्रपंच करने की परंपरा बहुत पुरानी है। अब तो चुनाव सामने है यदि सत्ता में काबिज रहना हैं तो ऐसे खेल तो भाजपा ने बहुत पहले खेल लिया है। अब उन पर वही उलट वार पड़ रहा रहे तो तिलमिला रहे है। वहीं कांग्रेसी गाना गा रहे है एक भूपेेश सब पर भारी, नहीं आएगी भाजपा की पारी। 

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