कवर्धा। कबीरधाम जिले का शहर कवर्धा शनिवार को तिरंगे के रंगों से सराबोर नजर आया। स्वंतत्रता दिवस की 75 वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव वर्ष के अवसर पर यहां भारत जोड़ो हमर तिरंगा यात्रा का आयोजन कवर्धा विधायक एवं राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर के नेतृत्व में किया गया था। इस अवसर पर भारत माता की जय... वंदे मातरम के उद्घोष के साथ भारतमाता चाैक से यात्रा प्रारंभ हुई। अपने हाथों में तिरंगा ध्वज उठाए महिलाओं पुरुषों, युवाओं से लेकर बच्चों के अलग अलग समूहों में शामिल होकर खुद ही राष्ट्रधारा से जुड़े होने का आभास लिए गाैरान्वित हो रहे थे।
इस आय़ोजन में कवर्धा शहर के लोगों के साथ लोहारा,बोडला,रेंगाखार,सहित अऩ्य ग्रामीण क्षेत्रों के करीब 25 हजार लोगों का जनसमुदाय जुटा था। भारतमाता चाैक से दोपहर में शुरु हुई हमर तिरंगा यात्रा करीब 15 किलोमीटर का सफर तय करते हुए शहर के पूरे 27 वार्ड़ों का भ्रमण करती हुई गांधी मैदान में एक सभा के रुप में तब्दील हो गई। यह यात्रा जब शहर भ्रमण पर थी तो बड़ी संख्या में शहरवासी यात्रा के स्वागत के लिए तैयार थे। बड़ी संख्या में तिरंगे झड़े लिए लोग अपने विधायक और सरकार के मंत्री श्री अकबर के अभिवादन के लिए उत्साह में डूबे नजर आ रहे थे। पूरे शहर के तिरंगे झंड़े से सजाया गया था। हर स्थान पर केवल और केवल तिरंगे का रंग नजर आ रहा था। लोगों का कहना है कि शनिवार 13 अगस्त का दिन कबीरधाम जिले के कवर्धा शहर के लिए एतिहासिक रहा। कार्यक्रम में पंडरिया की कांग्रेस विधायक ममता चंद्राकर,क्रेडा के सदस्य कन्हैया अग्रवाल,नगर पालिका अध्यक्ष ऋषि शर्मा, अशोक सिंह पूरी यात्रा में साथ थे।
मंत्री अकबर ने सीधे किया संवाद
हमर तिरंगा यात्रा 27 वार्डों का भ्रमण करते हुए गांधी मैदान में सभा के रूप में तब्दील हुई तो यहां कैबिनेट मंंत्री श्री अकबर अपने क्षेत्र की जनता से मुखातिब हुए। उन्होंने बिना किसी औपचारिकता के अपनी बाद बेहद सादगी से सधे हुए अंदाज में रखी। उनके भाषण के चुनिदा अंश।
ये है तिरंगे के सम्मान की यात्रा
हम सब आज यहां तिरंगा यात्रा में शामिल होने आए हैं। ये राजनीतिक यात्रा नहीं है ।ये धर्म या समाज से जुड़ी यात्रा नहीं है.। ये तिरंगे की शान में और उसके सम्मान में आयोजित यात्रा है। ये यात्रा दरअसल हमारा संकल्प है। भाइयों बहनों जब हम तिरंगे की बात करते हैं। जब हम तिरंगा यात्रा निकालतें है।.तो हम ये जानते हैं कि हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज इस तिरंगे ने हमको कितनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। हम तो भारत माता के वो सिपाही हैं, जिनकी पीढ़ियों ने इस तिरंगे के लिए कुर्बानियां दीं। शहादतें दीं। सीने पर गोलियां खाई...अपना लहू बहाया।
तिरंगा हमारा संकल्प
हमारे पुरखों ने संविधान के नाम पर हमें कागजों का एक पुलिंदा नहीं सौंपा था और न ही तिरंगे नाम का तीन रंगों का साधारण कपड़ा ही सौंपा था।.दोस्तों हमारे पुरखों ने उस दिन हमसे एक संकल्प लिया था।वो संकल्प था, इस देश की आजादी को सहेज कर रखना। पर मैं एक बात और कहना चाहता हूं साथियों । आजादी की रक्षा का मतलब क्या है? इस बात को हमें समझना होगा।
काैन थे अंग्रेजों के मुखबीर
आज इस देश में ऐसे भी लोग हैं जो आजादी की लड़ाई के दौर में अंग्रेजों के पिट्ठू थे, उनके मुखबिर थे, उनसे माफी मांगते थे और उनसे पेंशन लेते थे। ये वो लोग हैं जिन्हें ना ये एहसास है कि आजादी के मूल्य क्या हैं। ना इस बात का एहसास है कि तिरंगे का सम्मान देश में अमन और भाईचारे से है। देश में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के बेहतर अवसरों से है।देश में एक मजबूत लोकतंत्र से है।
चंद उद्योगपतियों के हाथ देश गिरवी
देश को चंद उद्योगपतियों के हाथों गिरवी रख दिया जा रहा है।देश में आज तक की सबसे भयावह बेरोजगारी है।मंहगाई जीने नहीं दे रही है।हमारे औद्योगिक तीर्थ जिन्होंने बड़ी से बड़ी मंदी में भी इस देश की अर्थव्यवस्था को संभाला था बेचे जा रहे है। जिस आधुनिक भारत का निर्माण गांधी जी के मूल्यों की प्रेरणा से पंडित नेहरू ने किया था उस आधुनिक भारत को नष्ट करने की साजिशें रची जा रही हैं।
आज लें ये संकल्प
तिरंगे का सम्मान तो इस बात में भी है साथियों की आज हम संकल्प लें कि हम आधुनिक भारत की उस कल्पना के साथ मजबूती से खड़े रह।संकल्प लें कि हम अपने लोकतंत्र की रक्षा करेंगे। साथियों मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कांग्रेस पार्टी ही वो पार्टी है जिसने आजादी के लिए सिर्फ लड़ाई ही नहीं लड़ी........बल्कि अपनी आजादी को बचाने के लिए भी हमारे नेताओं ने शहादतें दीं........पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की शहादतें इस बात की प्रतीक हैं।
देश में भूपेश सरकार के छत्तीसगढ़ माॅडल की चर्चा
आज हमारे राज्य में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार इसी रास्ते पर है।आज छत्तीसगढ़ में गांधी जी और नेहरू जी के मूल्यों पर काम हो रहा है। हम गरीबी से लड़ रहे हैं......बेरोजगारी को मात देने की कोशिश कर रहे है।शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में ऐसे काम कर रहे हैं जिनकी वजह से देश में भूपेश सरकार के छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा हो रही है। हमने ऐसी नीतियां बनाई है जिनकी बदौलत अनुसूचित जातियों, जनजातियों और पिछड़ा वर्ग को आर्थिक, सामाजिक रूप से ताकत मिल रही है।आज छत्तीसढ़ विकास की जो गाथा लिख रहा है। वो आधुनिक भारत की हमारी कल्पना को साकार करने की दिशा में ही है।