राज्य के सुदूर वनांचलों में ग्रामीणों को बैंकिंग सुविधाएं मिल रही हैं। बैंकिंग सुविधाएं देने में बैंक सखियों का महत्वपूण योगदान है। जगदलपुर जिले के धुरागांव की रहने वाली बैंक सखी श्रीमती दशोमती कश्यप ने अपने गांव सहित आस-पास के चार गांवों में बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं।
विगत 5 वर्षों में वह 5 करोड़ रूपये से ज्यादा के लेनदेन कर चुकी हैं और करीब 20 हजार से ज्यादा ट्रांजेक्शन कर चुकी हैं जिससे लगभग 10 हजार मनरेगा श्रमिकों और 5 हजार से ज्यादा पेंशन हितग्राही लाभान्वित हो रहे हैं। वह आज अपने पैरो पर खड़ी है और गांव की अन्य महिलाओं के लिए महिला सशक्तिकरण का उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं।
दशोमती कश्यप बताती हैं कि उन्होंने बैंकिंग किस्योस्क के माध्यम से ग्रामीणों को खाता खोलने, पैसा जमा करने एवं निकासी, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति एवं सुरक्षा बीमा योजनाओं का लाभ पहुँचाया है। स्नातक की पढ़ाई कर चुकी दशोमती के पति पुलिस विभाग में कार्यरत हैं जो हमेशा दशोमती का मनोबल बढ़ाते हैं और उनके निर्णय का साथ देते हैं।
दशोमती ने बताया गायत्री महिला स्व-सहायता समूह के संपर्क में आने के बाद उन्हें बीसी सखी योजना की जानकारी हुई। कश्यप ने बतया कि उन्हें महसूस हुआ कि यह एक ऐसा कार्य है जिसमें वह ग्रामीण एवं बुजुर्गों को बैंकिंग की सेवाएं देकर उन्हें सहयोग और सुविधा प्रदान कर सकती है। साथ ही उन्हें इससे अतिरिक्त आय भी मिलेगी। जनवरी 2018 में वह छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक की बीसी सखी बन गयीं। उनका कार्य ़क्षेत्र लोहण्डीगुड़ा क्षेत्र के चार ग्राम पंचायतों उसरीबेड़ा, धुरागांव, छिंदगांव एवं कोड़ेबेड़ा है।
दशोमती सीएससी का भी कार्य करती हैं जिसमें उन्होंने 2000 आयुष्मान कार्ड, 1000 ई-श्रम कार्ड, 30 पेन कार्ड इत्यादि बनाये हैं साथ ही बिजली बिल का भुगतान भी करती हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने सीएससी की टेली-लॉ सेवा ग्रामीण क्षेत्र में पहुंचाकर करीब 5 हजार रूपये अतिरिक्त आमदनी अर्जित की हैं। वर्तमान में दशोमती अपने बैंक सखी के कार्यों से 4 हजार रुपये और सीएससी के कार्यों से 2 हजार रुपये प्रतिमाह कमाकर लगभग 6 से 7 हजार रुपये कमा लेती हैं।