मतलोंगा गांव तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों ने नदी के दोनों छोर से एक रस्सी तान दी है। साथ ही नदी में बांस की एक नाव चलाई जा रही है। नाव के नीचे हवा से भरा हुआ ट्रैक्टर ट्यूब बांधा गया है और उस पर बांस की बल्लियां लोगों के बैठने व खड़े होने के लिए बनाई गई है। लोग बांस के इस नाव पर सवार होते हैं और रस्सी पकड़कर आगे बढ़ते हैं। रस्सी के सहारे ही नाव को गति दी जाती है और जान खतरे में डालकर लोग लावा नदी पार कर रहे हैं।
गांव की यह स्थिति तब सामने आई जब एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने मतलोंगा पहुंचने के लिए नाव की सवारी की। स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुष्पा भगत की ड्यूटी शिशु संरक्षण माह में लगी हुई है। पुष्पा भगत को मतलोंगा गांव पहुंचकर बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलानी थी। टीके वाले बॉक्स के साथ पुष्पा भगत ने नाव से सहारे नदी पार किया और नदी पार करते वक्त उनकी जोखिम से भरे सफर की वीडियो बनाकर किसी ने सोश्यल साइट्स पर वायरल कर दी।