पान दुकानों, कैफे, बार, पब व आउटर के रेस्तरां में खुले आम बिक रहा वैप
17 फरवरी से हुक्के पर प्रतिबंध लागू: हुक्का बैन, अब बच्चों की जेब में वैप
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। हुक्का पर सराकार की सख्ती के बाद हुक्का बार चलाने वालों ने अपनी कमाई को जारी रखने के लिए ई सिगरेट जो हुक्का का विकल्प बन कर हुक्का की कमी को पूरा कर रहा है। छत्तीसगढ़ में 10 फरवरी को हुक्के पर बैन का कानून राजपत्र में प्रकाशित हुआ और 17 फरवरी को लागू कर दिया गया। हुक्के पिलाते हुए पकड़े जाने पर 10 हजार से 50 हजार रुपए तक का जुर्माना देना पड़ेगा। राजधानी में नशे के सौदागरों ने हुक्का का विकल्प निकाल कर करोड़ों की कमाई जारी रखे हुए है। हुक्का की तरह ही स्वाद और नशे की पूर्ति करने में सबसे सुलभ विकल्प के रूप में ई-सिगरेट युवाओं की पहली पसंद बना हुआ है। हुक्का बार बैन होने के बाद नशे का नया विकल्प वैप युवाओं को परोसा जा रहा है। सिगरेट लाइटर की साइज का वैप एक तरह का ई-हुक्का है। साइज में छोटा होने के कारण जेब में आसानी से कैरी हो रहा है। 14 से 16 सौ की कीमत वाले फ्लेवर्ड वैप के 5 हजार तक कश लिए जा सकते हैं। राजधानी के ज्यादातर बड़ी पान दुकानों, कैफे, बार, पब व आउटर के रेस्तरां में वैप मशीन बिक रही हैं। इसकी बिक्री पर किसी तरह बैन नहीं है। शहर के उन इलाकों पर नजर डाले तो पता चलता है कि हुक्का की तलब को मिटाने वाले वैप दबे-छिपे ही सही लेकिन आसानी से शहर में उपलब्ध है।
सूत्रों से चला कि हुक्के और नशे का गढ़ माने जाने वाले वीआईपी रोड पर वैप भी सबसे ज्यादा बिक रहा है। इसके अलावा शंकर नगर, वीआईपी स्टेट, टैगोर नगर, सुंदर नगर, समता कॉलोनी, टाटीबंध, विधानसभा रोड, माना, जीई रोड, देवेंद्र नगर, नवा रायपुर इलाके में भी यह कहीं-कहीं उपलब्ध है। ढाबों और पब-बार में तो यह खुलेआम बिक रहा है। मॉल के स्मोकिंग जोन में भी नजर आ जाता है।
2 करोड़ से ऊपर का कारोबार
कुछ ढाबे, पब, बार, रेस्तरां और बड़ी पान-दुकानों में वैप खुलेआम बिक रहा है। टीम ने तीन अलग-अलग जगह से वैप खरीदे। दुकानदारों ने बताया कि शहर में रोजाना लगभग 50 वैप रोज बिक रहे हैं। अनुमान है कि सिर्फ रायपुर में एक माह में वैप का 2 करोड़ रुपए से ऊपर का कारोबार हो रहा है।
लिक्विड गर्म होकर बदलता है धुएं में
वैप या पेन में अभी निकोटिन नहीं हैं। मशीन के भीतर सीरिंज जैसी कार्टेज लगती है, यह रीफिल जैसी है। इसका लिक्विड गर्म होकर धुएं में बदलता है। इसे वैप के टॉप पर बनी पाइपनुमा संरचना से सिगार की तरह खींच सकते हैं। ई- सिगरेट जैसी ही दिखती है लेकिन बैटरी से चलने वाली डिवाइस है। इसमें निकोटिन के साथ ही केमिकल्स के घोल भरे होते हैं। जब इसे इस्तेमाल करने वाला शख्स ई-सिगरेट की कश को खींचता है, तो डिवाइस के जरिए घोल भाप में बदलता है। ई हुक्का एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जिसे पॉकेट हुक्का कहते हैं। इसमें तरल निकोटिन की कार्टेज होती है। कॉर्टेज में भरा लिक्विड ठंडे धुएं की तरह निकलता है। यह एक तरह से वैप का ही डिजाइन है। इसके कार्टिज भी रीफिल वाले हैं, यानी अलग से लगाए जा सकते हैं।
क्लब के पास फूड और गोमास्ता लायसेंस भी नहीं मिला
लिस्टोमानिया बार एवं क्लब पर छापामारी, सिगरेट का मिला अवैध भंडारण
दुर्ग के जुनवानी स्थित सूर्या मॉल के तृतीय तल पर संचालित किए जा रहे लिस्टोमानिया बार एवं क्लब का अनुविभागीय दण्डाधिकारी दुर्ग के नेतृत्व में खाद्य एवं औषधि, आबकारी, राजस्व, पुलिस विभाग तथा मीडिया कर्मी की मौजूदगी में औचक निरीक्षण किया गया। क्लब के किचन में शाकाहारी एवं माँसाहारी खाद्य सामग्री खुला करके एक के ऊपर एक करके एक ही कन्टेनर में रखा गया था। छत में अत्यधिक मात्रा में कचरा एवं खाली शराब की बोतल काफी दिनों से रखी गई थी। क्लब के पास एक ही काउन्टर परमिट है किंतु क्लब द्वारा अलग-अलग फ्लोर में दो-काउण्टर संचालित किया जा रहा था। वाशरूम में तीसरे मंजिल से नीचे गए डस्ट एरिया ओपन है जो अत्यंत खतनाक है। क्लब के पास केवल 07 स्टाफ की अनुज्ञप्ति है किंतु क्लब का केवल 01 अनुज्ञप्ति प्राप्त स्टाफ ही कार्यरत दिखा, इसके अतिरिक्त वर्तमान में क्लब में 47 व्यक्ति कार्यरत पाए गए। क्लब के पास फूड लायसेंस एवं गुमास्ता लायसेंस नहीं पाया गया, बार-बार उपलब्ध कराने बोलने पर भी उपलब्ध नही कराया गया। काउण्टर में अवैध रूप से सिगरेट का भण्डारण पाया गया, जिसके लिए भी कोई परमिट नहीं लिया जाना पाया गया। क्लब में कार्यरत किसी भी स्टाफ का पुलिस वेरीफिकेशन नहीं होना पाया गया। भारी मात्रा में होलोग्राम पाया गया, जो कि किसी भी बोतल पर लगाकर बेचा जाता है, जिससे शासन को अत्यधिक क्षति होना पाया गया। क्लब में कार्यरत किसी भी स्टाफ का दस्तावेज नहीं होना पाया गया। काउण्टर पर रखे निक्कर का स्टॉक रजिस्टर मौके पर मौजूद नहीं पाया गया और न ही होलोग्राम का कोई रजिस्टार संधारित किया गया। क्लब के पास डी.जे. संचालित करने का लायसेंस एम्यूजमेंट नहीं होना पाया गया। एफएसएसएआई लायसेंस नही पाया गया। लिखे अनुज्ञप्तिधारी को कार्यस्थल पर लगाया जाना (डिस्प्ले) खाद्य एवं औषधि विभाग द्वारा आवश्यक है। प्रभाग द्वारा मटन करी का फूड सैम्पल एकत्रित किया गया। जिसे राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला में जांच हेतु भेजा जायेगा। क्लब द्वारा फूड एवं गुमाश्ता लायसेंस व सिगरेट का लायसेंस मौके पर उपलब्ध नहीं कराया गया। अत: मौके पर उपस्थित समस्त व्यक्तियों एवं क्लब संचालक की सहमति से आगामी आदेश पर्यन्त क्लब को बंद कराया गया। मौके पर पंचनामा की कार्यवाही हुई जो सभी उपस्थित व्यक्तियों को पढक़र सुनाई गई एवं उनके द्वारा समझकर हस्ताक्षर किया गया। क्लब बंद कर उसकी चाबी खाद्य एवं औषधि विभाग के खाद्य सुरक्षा अधिकारी को सुपुर्द में दिया गया।
राजधानी में बढ़ रहे नशे पर प्रबुद्धजनों का कहना है कि-
वैप और ई-सिगरेट उतना ही नुकसान दायक है, जितना हुक्का और सिगरेट। इसमें निकोटिन होता है। फ्लेवर होने की वजह से लोगों को लुभाता है। यही इसे खतरनाक बनाता है। इसके लगातार इस्तेमाल ये फेफड़े को इंफेक्टेड करता है। हार्ट के लिए भी इसके फ्लेवर नुकसान दायक हैं।
-डॉ. अविनाश चतुर्वेदी, चेस्ट रोग विशेषज्ञ
हुक्के और वैप जैसी इलेक्ट्रानिक मशीन के फ्लेवर फेफड़े की तरह सीधे दिमाग पर असर करते हैं। इसके फ्लेवर में आखिर है या इसकी रिसर्च जरूरी है। हम अस्पताल में इसकी जांच करेंगे कि फ्लेवर के अलावा नशे के लिए क्या-क्या मिला जा रहा है।
-डॉ. मनोज साहू, मनोरोग एचओडी मेडिकल कॉलेज रायपुर
केंद्र सरकार ने 2019 में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाया है। इसमें सख्ती के लिए इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम बनाया है। इसमें उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हैं। इसमें 1 साल से लेकर 3 साल तक जेल व 1 लाख से लेकर 5 लाख तक का जुर्माने का प्रावधान हैं।
-एसके फरहान, वरिष्ठ अधिवक्ता
रायपुर में हुक्के पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। शहर में कहीं भी हुक्का नहीं पिलाया जा रहा है। ई-सिगरेट या वैप की कहीं बिक्री की शिकायत मिलती है तो पुलिस इसकी जांच करेगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
-अभिषेक माहेश्वरी, एडिशनल एसपी सिटी