रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके से आज यहां राजभवन में जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के केन्द्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुण्डा ने भेंट की। राज्यपाल ने केन्द्रीय मंत्री से आदिवासियों के हितों से जुड़ी योजनाओं, कार्यक्रमों के संबंध में विस्तार से चर्चा की। सुश्री उइके ने कहा कि वन अधिकार पट्टा प्राप्त आदिवासियों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की पात्रता नहीं है। इनके लिए विशेष रूप से प्रधानमंत्रंी वनवासी किसान सम्मान निधि प्रारंभ किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को केन्द्र सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजना प्रधानमंत्री आवास योजना, खाद्यान्न सुरक्षा योजना एवं आयुष्मान भारत योजना का लाभ दिया जाना चाहिए, सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण या किसी अन्य आंकड़े को लेने पर कई जरूरतमंद वनवासी छूट जाते हैं। इस संबंध में एक नई योजना प्रारंभ करने पर विचार किया जा सकता है।
राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य की कुछ अनुसूचित जनजातियों को मात्रात्मक त्रुटियों की वजह से जाति प्रमाणपत्र प्राप्त होने में कठिनाई हो रही है और उन्हें शासकीय योजनाओं का लाभ प्राप्त नहीं हो पा रहा है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इन सुधारों के संबंध में प्रस्ताव भेजा जा चुका है और जनगणना महानिदेशक एवं अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा भी अपनी अनुशंसा प्रेषित कर दी गई है। केन्द्रीय जनजातीय विभाग द्वारा इस संबंध में विधेयक प्रस्तुतीकरण एवं पारित कराना शेष है। उन्होंने इस संबंध में शीघ्र कार्यवाही कराने का आग्रह किया, ताकि यहां के पात्र आदिवासियों को योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सके और उनका जीवन स्तर ऊंचा हो सके।
राज्यपाल ने कहा कि निजी एवं सरकारी क्षेत्रों में स्थापित होने वाली उत्खनन परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित की जाने वाली भूमि के बदले भूमिस्वामी को उन परियोजनाओं के लाभांश में शेयर होल्डर बनाने के संबंध में चर्चा करते हुए कहा कि इससे आदिवासियों को राहत मिलेगी। जनजाति समाज के व्यक्तियों को विपरीत स्थितियों (बीमारी, शादी विवाह, आकस्मिक परिस्थिति) में अपनी संपत्ति को विक्रय कर अपनी आकस्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना पड़ता है, किन्तु नियमों के अनुसार वे अपनी सम्पत्ति को केवल जनजाति सदस्य को ही बेच सकते हैं, जिससे उन्हें अपेक्षित मूल्य नहीं मिल पाता है। इस समस्या का निराकरण आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल के चार जिलों चंदौली, कुशीनगर, संत कबीरनगर, संत रविदास नगर में जनजाति समाज के व्यक्ति वर्षों से निवास करते आ रहे हैं। पूर्व में ये जिन जिलों में थे वे अनुसूचित जनजाति जिले थे, किन्तु पृथक जिला बनने पर इन्हें जनजाति जिलों में शामिल नहीं किया गया, जिससे उन्हें जनजाति आरक्षण एवं अन्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। इन जिलों को अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र घोषित किया जाना है।