उड़ता छत्तीसगढ़: युवाओं के जिस्म में घुल रहा ड्रग

Update: 2022-10-17 06:02 GMT

तबाही के मुहाने पर राजधानी और ट्वीन सिटी के युवक-युवतियां

कोकिन-ब्राउन शुगर की लत, नशा मुक्ति केंद्रों में इलाज कराने वालों की भीड़

अतुल्य चौबे/कैलाश यादव

रायपुर। 'जनता से रिश्ताÓ लगातार प्रदेश में बढ़ रहे नशाखोरी के खिलाफ खबरें प्रकाशित कर शासन-प्रशासन के संज्ञान में लाते रहा है। जिस पर पुलिस प्रशासन कार्रवाई कर खबरों की सच्चाई पर मुहर लगा रहा है। वर्ष 200 में मध्यप्रदेश से अलग होकर नया राज्य बनते ही देश भर के तस्करों ने छत्तीसगढ़ को सबसे सुरक्षित स्थान मान कर डेरा जमाया और अपने कारोबार को विस्तार देते रहे। सरकार नए राज्य के विकास में व्यस्त रही और माफिया छत्तीसगढ़ में जहर घोलने में जुटे रहे। मोटा कमाई के लालच में तस्करों ने गांजा, शराब, अफीम, कोकीन, नशीली दवाइयों का स्टाकिस्ट बनकर होटलों, कालेज कैम्पस में युवाओं को नशे का सामान उपलब्ध कराने में सफल हो गए। युवाओं के नशे के आदी होते ही ड्रग तस्करों ने ड्रग की सप्लाई के लिए सप्लायरों की नियुक्ति की और अब प्रदेश में पिछले 20 सालों से तस्करों का कब्जा स्कूल, कालेज, होस्टल, हास्पिटल, पॉश कालोनियों के घरों में हो गया। जहां रईसजादे सप्लायरों के माध्यम से घर पहुंच सेवा का फायदा उठाकर मदमस्त होते रहे। अब तो पूरी की पूरी भावी पीढ़ी नशे का एडिक्ट हो चुका है। रोज रात को होटलों और क्लबों में सेलिब्रेशन पार्टी के नाम पर धुंओं का पहाड़ बनाकर जिंदगी को तबाही के मुहाने पर पहुंच गए है। वहां से वापसी की कोई गारंटी नहीं है। होटलों में शराब शबाब जाम छलकाने का चलन अब पूरा शबाब पर है। डाक्टरी-इंजीनियरिग की पढ़ाई करने वाले धनाड्य और सामान्य परिवार के छात्र-छाआएं अपने अभिभावकों की गाढ़ी कमाई को नशे में जाया कर रहे है। डाक्टर या इंजीनियर बने या न बने ड्रगिस्ट तो बन ही गए है। पंजाब के बाद छत्तीसगढ़ सबसे अधिक नशीला पदार्थ गटकने वाला राज्य बन चुका है।

युवाओं को नशे से मुक्ति दिलाने की कवायद

कुछ साल पहले छत्तीसगढ़ में कोकीन, ड्रग्स या ब्राउन शुगर जैसे नशे की खबरों को कोई तवज्जों नहीं देता था, लेकिन अब महानगरों के तर्ज पर छत्तीसगढ़ में युवा ब्राउनशुगर और ड्रग्स का उपयोग भारी मात्रा में कर रहे है। इसका सबूत रायपुर और दुर्ग के नशा मुक्ति केंद्र से मिल रहा है। इन सेंटरों में इंजेक्शन से नशा करने वालों का इलाज होता है। नशेडिय़ों का इलाज करने वाले सुपेला ओएसटी के डाक्टर मुनीष भगत ने बताया १० साल पहले भिलाई -दुर्ग-रायपुर का सर्वे कर ओएसटी की स्थापना की गई। छत्तीसगढ़ का यह पहला केंद्र है जहां हर रोज औसतन 200-250 नशेेडियों की आमद होती है। नसा मुक्ति के लिए उन्हें पूरे साल दवा उपलब्ध कराते है। ताकि पीडि़त युवक-युवतियों को नशा से छुटकारा मिल सके। जिसके कारण मुझे कई बार तस्करों और तथाकथित सप्लायरों की धमकी मिल चुकी है। वहीं छत्तीसगढ़ एड्स कंट्रोल सोसायटी के अतिरिक्त परियोजना संचालक डा. एसके बिंझवार ने बताया कि राजधानी रायपुर में यदि जरूरत पड़ेगी तो हम सर्वे कराएंगे इसके लिए जिदल्ली से अनुमति लेनी पड़ती है।

हर महीने साढ़े 11 हजार लोग आते है

डा. मुनीष के अस्पताल में हर महीने साढ़े हजार पीडि़त नशा छुड़ाने के लिए आते है। नशेे के कारोबार में लिप्त लोग यहां सेवा देने वाले डाक्टरों की टीम को नसा मुक्ति का काम बंद करने के लिए जान से मारने की धमकी तक मिल चुकी है। सुपेला के सरकारी अस्पताल के कमरा नंबर 8 में कोकीन और ब्राउन शुगर की लत से परेशान हो चुके लोगों का आना सुबह से शुरू हो जाता है। कोकीन -ब्राउन शुगर एडिक्ट लोगों के हाथ देखा तो इंजेक्शन लगाते-लगाते उनके हाथ पूरी तरह से काले हो चुके है। यहीं नहीं मांसपेसी में गुठली भी साफ दिखाई देता है। वहीं कई बार लोग खुलकर सामने आने से कतराते है, नशा छुड़ाने की दवा लेने वाले महिला और पुरूष दोनों होते है।

कोकीन-ब्राउन शुगर नहीं मिलने पर हो जाते है आक्रामक

नशा मुक्ति विशेषज्ञों की माने तो कोकीन औकर ब्राउन शुगर ऐसा खतरनाक नशा है। आदी व्यक्ति को कीकीन भ्राउन शुगर नहीं मिले तो वो आक्रामक होकर दूसरों को नुकसान पहुंचाते है। ये नशेड़ी खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाते है।पैसों के लिए चोरी, लूटपाट करने से भी नहीं हिचकते है।

कालेज स्टूडेंट पूरी तरह गिरफ्त में

ज्यादातर लोग कालेज और स्कूली स्टूडेंट है तो जो पैकेट खर्च को नशीले पदार्थ की खरीदी में लुटाते है। कालेजों में पढ़ाई करने वाले अधिकांश स्टूडेंट नशा के शिकार है। जो नशी की तलब को पूरा करने के लिए चोरी और लूटपाट को अंजाम दे रहे है।

रायपुर बना स्टाकिस्ट

नशीले पदार्थ का सबसे बड़ा स्टाकिस्ट रायपुर बना हुआ है। तस्करों और सप्लायरों ने बाहर से आने वाले गांजा, कोकीन, ब्राउन शुगर का स्टाक शहर से बाहर आउटर में गोडाउन बना रखा है जहां से गांजा, कोकीन, ब्राउन शुगर की सप्लाई पूरे देश में होती है। देश भर के तस्करों का रायपुर से सीधा संबंध है। जहां से भी डिमांड आता है, उसे सबसे पहले वहां पहुंचाया जाता है। भारी भरकम राशि का भुगतान हवाला के जरिए होता है।  

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