छत्तीसगढ़ सरकार को दो अधिकारियों ने लगाया 100 करोड़ रूपए का चूना...!
अधिकारियों की मिलिभगत के कारण सरकार को 100 करोड़ के चूना लगने का अंदेशा
रायपुर। ग्रीन वलर्ड आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष शिवेश सिंह ने वर्तमान नायब तहसीलदार हरिओम द्विवेदी मुंगेली और पूर्व नायब तहसीलदार योगेंद्र वर्मा पर आरोप लगाया है, कि अपने पदीय और कर्तव्यों का भारी दुरूपयोग करते हुए जायसवाल निको इंडस्ट्रीज लिमिटेड के विरुद्ध वसूली योग्य राशि छत्तीस हजार करोड़ उन्नीस लाख तिरालीस हजार सात सौ पछहतर के रिवेन्यू सर्टिफिकेट की वसूली पिछले 6 वर्षो से न किये जाने के विरुद्ध शिकायत एवं कार्यवाही किये जाने का निवेदन राज्य सरकार से पिछले 4 वर्षो से किया जा रहा है किन्तु आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है. जबकि वसूली योग्य राशि रू. 36,19,43,775 पर यदि ब्याज व दंड अधिरोपित किया जाए. तो यह राशि लगभग 100 करोड़ रूपये की होती है.सरकार को बदनाम करने हेतु दोनों अधिकारियों ने अपने संबंधो का भरपूर उपयोग किया। देखना ये है कि दोनों अधिकारियो के पीछे ऐसी कौन सी शक्ति है जो राज्य सरकार को बदनाम कर अपना उल्लू सीधा करना चाहते है. राज्य सरकार को इस मामले को संज्ञान में लेकर तत्काल जाँच करना चाहिए। उपरोक्त बातें एक प्रेस विज्ञपति जारी कर ग्रीन वलर्ड आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष शिवेश सिंह ने दी है.
तत्कालीन कलेक्टर ओपी चौधरी को भी आवेदन देकर संस्था के द्वारा शिकायत की गई थी. लेकिन उच्च स्तरीय गुणा-भाग के चलते नायब तहसीलदार ने उपरोक्त कम्पनी से शासन की बकाया राशि वसूली नहीं की. तथा कुछ भ्रष्ट अधिकारी इस मामले को दबाने में कामयाब हुए. तथा कुछ क्षेत्रीय नेता एवं मिडियाकर्मी भी कंपनी के बड़े अधिकारियों के डर के कारण अपनी बात सही ढंग से नहीं पहुंचा पाए. और किसी अन्य कारणों से हमारे द्वारा शिकायत और जाँच की खबरों को किसी भी अख़बार या टीवी चैनल में नहीं उठाया गया. इससे ये प्रतीति होता है. कि बड़े उद्योग घराने के लोग खुलेआम दादागिरी कर सत्ता के दलालों को पकड़, अधिकारियों की मिलीभगत से राज्य सरकार को चूना लगाने में कामयाब दिख रहे है. और द्वारा भेजी गई शिकायत और खबरों को भी रोकने में कामयाब होते दिखें। उपरोक्त सभी बातें शिकायकर्ता ग्रीन वलर्ड आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष शिवेश सिंह ने लिखित डॉक में भेजी है. तथा फोन में विस्तार से वसूली की पूरी कहानी जनता से रिश्ता के सवांददाता को बताई। जनता से रिश्ता द्वारा सम्पूर्ण जानकारी हेतु सम्बंधित तहसीलदार और उच्च स्तरीय अधिकारी से बात कर सच्चाई जानने की कोशिश की जा रही है.
आगे की सम्पूर्ण जानकारी और खबर के लिए देखिये रहिए LIVE वेबपोर्टल jantaserishta.com और मिड-डे अख़बार। कृपया ध्यान दें- इस खबर को ग्रीन लर्ड आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष शिवेश सिंह के हवाले से जनता से रिश्ता मिड-डे अखबार और LIVE वेबपोर्टल जनता के सरोकार के कारण और जनता के पैसे के लूट के आरोपों की सच्चाई को आम जनता को जानकारी देने हेतु दी जा रही है. लेकिन जनता से रिश्ता की टीम द्वारा सम्पूर्ण खबर की पड़ताल की जा रही है. और विस्तार से जो भी सच्चाई वाली जानकारी मिलेंगी उसे आम जनता के सामने अपडेट किया जाएगा। जनता से रिश्ता इस प्रेस विज्ञपति जारी की गई खबरों का पुष्टि नहीं करता और ना ही दावा करता है. उपरोक्त सम्पूर्ण खबर प्रेस विज्ञपति के माध्यम से जनता को जानकारी देना अति-आवश्यक है. इसलिए सम्पूर्ण प्रकरण की सच्चाई के तह तक जनता से रिश्ता के द्वारा जानने का प्रयास किया जाएगा। और सभी सच्ची (सही) जानकारी प्राप्त कर जनता के सामने रखा जाएगा।
1. जायसवाल निको इंडस्ट्रीज लिमिटेड के विरूद्व दिनांक 24.07.2014 को कलेक्टर रायपुर द्वारा वसूली योग्य राशि 36,19,43,775/- (अक्षरीय छत्तीस करोड़ उन्नीस लाख तिरालिस हजार सात सौ पचहतर ) के रिवेन्यू रिकवरी सर्टिफिकेट (आरआरसी) की वसूली बाबत् पत्र क्रं. 279/रा.मो./2014 के माध्यम से तत्कालीन तहसीलदार धरसींवा, योगेन्द्र वर्मा को वसूल किये जाने बाबत् पत्र जारी कर आदेशित किया गया था, प्रति संलग्न है।
2. दिनांक 24.07.2014 को उक्त पत्र वसूली बाबत् प्राप्त होने के उपरांत भी तत्कालीन तहसीलदार धरसींवा, योगेन्द्र वर्मा द्वारा जायसवाल निको इंडस्ट्रीज लिमिटेड से मिलीभगत कर उनके विरूद्व वसूली की कार्यवाही नहीं की गयी तथा अपने मुंगेली स्थानांतरण पर्यन्त 03 वर्षो तक वसूली की कोई कार्यवाही नही की गयी।
3. योगेन्द्र वर्मा, नायब तहसीलदार, धरसींवा के स्थानांतरण पश्चात् हरिओम द्विवेदी द्वारा नायब तहसीलदार, धरसींवा का पदभार ग्रहण किया गया किन्तु अनेकों बार विषयांकित वसूली के संबंध में ध्यान आकृष्ट कराये जाने के उपरांत भी तीन वर्षो से इनके द्वारा भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी बल्कि जायसवाल निको इंडस्टीªज लिमिटेड से मिलीभगत करके करोड़ों रूपये के राज्य के राजस्व के क्षति के प्रकरण को दबाकर रखा गया जो की एक गंभीर अनियमितता है तथा ऐसा आचरण कदाचार की श्रेणी में आता है।
4. विषयांकित राजस्व वसूली के संबंध में तत्कालीन कलेक्टर ओ.पी. चौधरी का ध्यान भी आकृष्ट कराया गया किन्तु उनके द्वारा केवल पत्र लिखकर अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री कर ली गयी।
5. जायसवाल निको इंडस्ट्रीज लिमिटेड से छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व की राशि वसूली के संबंध में जिला पंजीयक रायपुर, जिला कलेक्टर रायपुर, संभागायुक्त रायपुर, प्रमुख सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्रालय सहित छत्तीसगढ़ राज्य के समस्त मंत्रीगण, मुख्यमंत्री एवं समस्त विधायकों से इस विषय में राजस्व वसूली एवं वसूली न करने के लिये दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही किये जाने का निवेदन किया गया था किन्तु लगभग 881 पत्र लिखने के उपरांत भी आज दिनांक तक किसी भी जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी, इससे छत्तीसगढ़ राज्य की जनता के राजस्व की लगभग 100 करोड़ रूपये की राशि की वसूली न होने से राज्य सरकार को भारी राजस्व की क्षति का सामना करना पड़ा।
6. वर्तमान में कोविड-19 कोरोना वायरस के महामारी के चलते छत्तीसगढ़ सरकार भी भारी वित्तीय संकट में है। ऐसी स्थिति में निश्चित रूप से जायसवाल निको इंडस्ट्रीज लिमिटेड से राशि वसूल किया जाना आवश्यक होगा। यदि गरीब एवं कमजोर तबके के लोगों के विरूद्व किसी भी प्रकार के राजस्व की राशि बकाया होती है तो शासन एवं प्रशासन द्वारा तीब्र गति से उसके विरूद्व कार्यवाही की जाती है किन्तु प्रस्तुत प्रकरण में जायसवाल निको इंडस्ट्रीज लिमिटेड बड़े उद्योगपति समूह होने के कारण सफेदपोश लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है न ही इस वसूली से विरत रहने वाले अधिकारी के विरूद्व कोई कार्यवाही की गयी है।
7. प्रस्तुत शिकायत के संबंध में यह भी उल्लेखित किया जाना आवश्यक होगा कि एक ओर छत्तीसगढ़ राज्य भारी वित्तीय संकट से गुजर रहा है वहीं दूसरी ओर नायब तहसीलदार श्रेणी के अधिकारी द्वारा वित्तीय संकट के समय में भी राजस्व की वसूली न कर वित्तीय संकट को बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है।
8. उपरोक्त शिकायत के संबंध में तत्कालीन कलेक्टर, रायपुर वर्तमान नायब तहसीलदार, हरिओम द्विवेदी, धरसींवा, पूर्व नायब तहसीलदार, धरसींवा योगेन्द्र वर्मा के विरूद्व जांच एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही करने तथा जायसवाल निको इंडस्ट्रीज लिमिटेड के विरूद्व वसूली योग्य राशि 36,19,43,775/- (अक्षरीय छत्तीस करोड़ उन्नीस लाख तिरालिस हजार सात सौ पचहतर ) के रिवेन्यू रिकवरी सर्टिफिकेट (आरआरसी) की वसूली त्वरित रूप से किये जाने बाबत् अनेकों पत्राचार किये गये किन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी।