पिछले साल मई से बंद हुए तबादले, कोरोना संकट की वजह से लगी रोक
छत्तीसगढ़ में इस साल भी शासकीय कर्मचारियों के सामान्य तबादले नहीं हो पाएंगे।
छत्तीसगढ़ में इस साल भी शासकीय कर्मचारियों के सामान्य तबादले नहीं हो पाएंगे। पिछले साल से शुरू हुए कोरोना संकट और उससे उपजी वित्तीय कमी की वजह से यह हुआ है। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो इस साल भी सरकार ने तबादला नीति नहीं बनाई और आसार भी कम हैं। लिहाजा राज्य सरकार के कर्मचारियों को इस साल भी उसी जगह पर रहकर काम करना होगा जहां वे दो साल से हैं।
पिछले साल मई से बंद हुए हैं तबादले
पिछले साल मार्च में राज्य में कोरोना का संक्रमण हावी होने के बाद राज्य सरकार ने मई 2020 में एक सर्कुलर जारी कर शासकीय व्यय में मितव्ययिता और वित्तीय अनुशासन बनाने के लिए निर्देश जारी किए थे। जो हालात उस समय बने थे वे कोरोना की दूसरी लहर आने और उसके समाप्त होने के बाद भी बने हुए हैं। लिहाजा पिछले साल स्थानांतरण नीति जारी नहीं की गई थी। वही हालात अब तक बने होने के कारण इस बार भी तबादला नीति पर कोई बात नहीं हुई है।
हर साल जून-जुलाई में जारी होती है नीति
राज्य में पिछले साल कोरोना आने के पहले तक ये व्यवस्था रही है कि हर साल जून-जुलाई में शासकीय कर्मियों के सामान्य तबादलों के लिए सरकार स्थानांतरण नीति जारी करती है। इसके तहत राज्य के सभी विभागों में सामान्य तबादलों की एक प्रक्रिया तय की जाती है। जो शासकीय सेवक स्थानांतरण चाहते हैं वे निर्धारित प्रक्रिया के तहत आवेदन देकर नीति का लाभ प्राप्त करते हैं।
अब सीएम समन्वय से तबादले
सामान्य तबादलों पर रोक के बाद भी अत्यावश्यक तबादलों के लिए ये व्यवस्था है कि मुख्यमंत्री समन्वय से यह किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त डीपीसी के माध्यम से होने वाले प्रमोशन व उससे संबंधित स्थानांतरण किए जा सकते हैं। यह किया भी जा रहा है। सामान्य प्रशासन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस साल भी केवल अत्यावश्यक तबादले ही हो सकते हैं। सामान्य तबादलों के लिए पिछले साल भी नीति नहीं बनी। इस साल भी बनने के कोई आसार नहीं हैं।
लॉकडाउन से सरकार पर पड़ा वित्तीय भार
दरअसल कोरोना संक्रमण के कारण पहली से लेकर दूसरी लहर तक प्रदेश में लंबे समय तक लॉकडाउन रहने के कारण राज्य की राजस्व प्राप्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। दूसरी बात ये है कि हर तबादले पर सरकार के संबंधित अधिकारी-कर्मचारी को कम से कम 15 हजार रुपए या अधिक टीए के रूप में देने पड़ते हैं। ऐसे में वित्त विभाग का मानना है कि यह एक खर्चीला काम है। इसके बजाय हालात को देखते हुए शासकीय व्यय का युक्तियुक्तकरण तथा उपलब्ध साधनों का विकासमूलक कार्यों के लिए अधिकतम उपयोग करने की आवश्यकता है।
खर्च में कटौती करने लगाए ये प्रतिबंध
राज्य सरकार ने पिछले साल मई से ही खर्चों में कमी लाने के इरादे से कई प्रतिबंध लगा रखे हैं। जैसे लोक सेवा आयोग के माध्यम से भरे जाने वाले पदों के लिए वित्त विभाग की अनुमति आवश्यक है। पदोनन्ति तो कर रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी उसी जगह पर अपग्रेड करने की व्यवस्था है। नवीन पदों के निर्माण पर रोक और स्थानांतरण पर प्रतिबंध एवं जो पिछले साल से लागू है। विदेश यात्राओं पर प्रतिबंध से लेकर विभागों की बैठकों को न्यूनतम करने शासकीय समारोह के आयोजनों में कमी से लेकर वाहनों की खरीदी और इंक्रीमेंट पर रोक जैसे कई कदम उठाए गए हैं।