विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर 3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक मानसिक स्वास्थ्य जन-जागरूकता सप्ताह का भी आयोजन किया जा रहा है। यह दिवस इस साल ''मेक मेंटल हेल्थ एंड वेल-बिइंग फॉर ऑल ए ग्लोबल प्रियोरिटी (Make mental health and well-being for all a global priority)" की थीम पर मनाया जा रहा है। दुनिया भर में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए वर्ष 1992 में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाने की शुरूआत की गई थी। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। विश्व में हर तबके के लोगों तक इस बीमारी के बारे में जानकारी पहुंचाना और उन्हें इससे बचने के लिए सचेत करना भी इस दिन के आयोजन का उद्देश्य है।
मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जन-जागरुकता के लिए इस वर्ष की थीम पर जोर देते हुए सभी जिलों में कई गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। इसके अंतर्गत दस वर्ष से अधिक आयु के स्कूली बच्चों, महिलाओं, किशोरों व बुजुर्गों के लिए अलग-अलग जागरूकता शिविर लगाए जाएंगे। शिविर के माध्यम से मनोरोगियों की पहचान कर उपचार किया जाएगा। साथ ही जेलों में भी मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता शिविर का आयोजन किया जाएगा। गांवों में चौपाल, मानसिक स्वास्थ्य विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता, आईईसी के अंतर्गत पॉम्पलेट, बैनर, पोस्टर, जागरूकता कॉर्ड का वितरण, सामुदायिक बैठक, रेडियो जिंगल्स, माइकिंग आदि गतिविधियां संचालित की जाएंगी। हैशटैग कैंपेन 'ब्रेक द स्टिग्मा एंड मिथ – मेंटल वेल बिइंग पर ऑल (Break the stigma and myth – Mental well being for all)' के तहत विभिन्न सोशल मीडिया माध्यमों व्हाट्स-एप, ट्वीटर, फेसबुक आदि के माध्यम से संबंधित गतिविधियों को साझा कर लोगों में जागरूकता का प्रसार किया जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस दौरान 'चैंपियन इन लाइफ (Champion in life)' अभियान भी संचालित किया जाएगा जिसके तहत ऐसे मरीज जो इलाज के बाद स्वस्थ हो चुके हैं, उनका तथा उनके परिवार वालों के विचार एवं अनुभव साझा करने तथा जागरूकता हेतु कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। साथ ही जो मरीज अभियान में भाग लेकर स्वस्थ हो चुके हैं, उन्हें जिला स्तर पर प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।
मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. महेन्द्र सिंह ने बताया कि आधुनिक समय में मानसिक रूप से मजबूत रहना बहुत जरूरी है। खासकर विषम परिस्थिति में लोग अंदर से टूट जाते हैं। उनमें सहन करने की शक्ति नहीं रह जाती है। इसके लिए लोगों को सेहत के प्रति जागरुक करना जरूरी है। डॉ. सिंह असामान्य तरीके से जीने और चुपचाप यानि शांत होकर अकेले रहने वाले लोगों की मदद करने की सलाह देते हैं। ये सभी तनाव और अवसाद के लक्षण हैं। मानसिक रूप से सेहतमंद रहने के लिए संतुलित आहार लें। सही दिनचर्या का पालन करते हुए रोजाना व्यायाम एवं योग करें। इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा और खुद की अहमियत का अहसास होगा। अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ वक्त बिताएं। ज़रूरी नहीं कि उनसे आमने-सामने बात हो, फ़ोन पर या मैसेज के माध्यम से भी बात कर सकते हैं।