बिल्डर को रास्ता देने मकान को ही बता दिया खाली जमीन

Update: 2023-06-19 05:51 GMT

हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी ने बिना अनुमोदन लेआउट बदला

सरकारी जमीन को निजी बिल्डर को दे ही नहीं सकते साथ ही लेआउट बदलने सरकार और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की मंजूरी भी नहीं ली

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राज्य सरकार की लोगों को सस्ते आवास उपलब्ध कराने वाली संस्था छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड भ्रष्टाचार और घोटालों का बड़ा केन्द्र बन गया है। बोर्ड के अधिकारियों के खिलाफ लगातार मिल रही शिकायतों और उनके घोटालों की लंबी फेहरिस्त के बावजूद पिछले 20 सालों में पिछली और वर्तमान सरकार द्वारा कोई एक्शन नहीं लेना यह दर्शाता है कि अधिकारियों के माध्यम से सरकार में बैठे और विभागीय लोग भी इससे उपकृत होते रहे हैं। भले इससे सरकारी राजस्व का नुकसान हो रहा हो लेकिन इससे उन्हें लगातार निजी लाभ मिलता रहा है जिसके कारण न तो कभी शिकायतों पर किसी अधिकारी के खिलाफ कोई जांच हुई और नही घोटालों पर कोई कार्रवाई हुई। हुई भी तो विभागीय जांच के नाम पर खानापूर्ति और आरोपियों को क्लीनचिट देने की औपचारिकता।

जनता से रिश्ता को बोर्ड के एक और अधिकारी के कारनामों के बारे में दस्तावेज मिले हैं। इस वरिष्ठ अधिकारी ने बोर्ड की जमीन को ही प्राइवेट बिल्डर को दे दिया ताकि उसे उसकी व्यवसायिक प्लाटिंग के लिए रास्ता मिल सके। इस घोटाले को अंजाम देने के लिए उक्त अधिकारी ने कचना हाउसिंग बोर्ड के एचआईजी मकानों की सूची में अनुमोदित एक नंबर के मकान को अपने अधिकारों से आगे जाकर विलोपित कर दिया और उस स्थान को रिक्त जमीन बताकर प्राइवेट बिल्डर उपलब्ध करा दिया जिससे उसे अपने प्रोजेक्ट के लिए रास्ता मिल सके। तत्कालिन उपायुक्त द्वारा ऐसा करना नियम विरुद्ध था लेआउट में परिवर्तन करने के लिए नगर निवेश विभाग अनुमोदन जरूरी होता है जिसकी जरूरत उक्त अधिकारी द्वारा नहीं समझी गई और बिल्डर को लाभ पहुंचाने के लिए लेआउट में दर्शाए गए एक नंबर के एचआईजी मकान को ही विलोपित कर उसे रिक्त स्थान बताया गया। इस बदलाव के लिए सरकार से भी परमिशन दिए जाने को लेकर भी कोई उल्लेख नहीं है। बिल्डर को लाभ पहुंचाने वाले उपायुक्त अजीत पटेल व अन्य के खिलाफ इस मामले की शिकायत हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त से कर जांच की मांग की गई है।

आय से अधिक संपत्ति का मामला लंबित

गौरतलब है कि उक्त अधिकारी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला ईओडब्ल्यू में दर्ज है। लेकिन पूववर्ता भारतीय जनता पार्टी के सरकार में अपनी ऊंची पहुंच के चलते वह कार्रवाई से बचते रहे और प्रकरण को दबा दिया गया। हालाकि इस प्रकरण के दर्ज होने के बाद कुछ सालों तक इस अधिकारी को बोर्ड में बड़ी जिम्मेदारियों से दूर रखा गया। लेकिन मामला शांत होते ही उन्हें फिर से कई प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सौंप दी गई। इस मामले में कुछ संगठनों ने फिर से जांच की मांग उठाई है।

ईओडब्ल्यू में शिकायतों की लंबी फेहरिस्त

ईओडब्ल्यू में उक्त अधिकारी के खिलाफ शिकायतों की लंबी फेहरिस्त है लेकिन किसी भी मामले में कोई जांच या कार्रवाई नहीं हो रही है। उक्त अधिकारी के खिलाफ आरोप है कि जांजगीर चांपा में कालोनी निर्माण में समय कालोनी में पीव्हीसी पाइप डलवाकर सी.आई पाईप का भुगतान कर मंडल को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई। इसी तरह आरंग में अटल आवास निर्माण पूर्ण नहीं होने के बावजूद पूर्णता प्रमाणपत्र जारी कर ठेकेदार को भुगतान किया गया। आरंग में ही अटल विहार बिना किसी पंजीयन के हजारों मकानों का निर्माण उनके द्वारा करवा कर मंडल को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया। उक्त अधिकारी पर एक ठेकेदार विशेष को ही लाभ पहुंचाते हुए बोर्ड के हाउसिंग योजनाओं का ठेका देने तथा उसके माध्यम से अपने खास लोगों को मकान-घर आदि दिलवाने के भी आरोप ईओडब्ल्यू में को दी गई शिकायतों में लगाए गए हैं। शिकायतों में उक्त अधिकारी को पीडब्ल्यूडी में पदस्थापना के दौरान आर्थिक अनियमितता के चलते निलंबित किए जाने का भी उल्लेख है।

अनुचित तरीके से पदोन्नति का लाभ

यह भी चर्चा का विषय है कि उक्त अधिकारी को अनुचित तरीके से पदोन्नतियों का लाभ दिया गया है। बताया जा रहा है कि उक्त अधिकारी को वर्ष 2014 से लेकर 2017 तक तीन पदोन्नति दी गई। हाउसिंग बोर्ड का नियम है कि एक पदोन्नति के बाद दूसरी पदोन्नति में कम से कम पांच वर्ष का अंतराल होना चाहिए। इतना ही नहीं क्लास टू के अधिकारी से क्लास वन अधिकारी के पद पर पदोन्नति के लिए विभागीय परीक्षा भी पास करना जरूरी है लेकिन इनके मामले में ऐसा नहीं हुआ।

वर्ष 2000 में बना था नियम

बताया जा रहा है कि वर्ष 2000 में नियम बना था कि विभागीय परीक्षा को पास करना अनिवार्य है,उसके बाद भी पदोन्नति मामले में नियमों की अनदेखी की गई। खास बात यह रही कि अधिकारी को पद देने एक ही दिन में तीन डीपीसी की गई।

पदोन्नति को लेकर वरिष्ठ अधिकारी भी नाराज

हाउसिंग बोर्ड में पदोन्नति के मामले में नियमों की अनदेखी को लेकर दूसरे अधिकारी भी नाराज हैं। बताया जा रहा है कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाउसिंग बोर्ड में एक आवेदन भी दिया है और इसमें कहा है कि जब मैं वरिष्ठ था तो दूसरे अधिकारी को पद कैसे दे दिया गया।

जानकारी के अनुसार हाउसिंग बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी राजेंद्र राठौड़ ने हाउसिंग बोर्ड में यह आवेदन दिया है कि वे वरिष्ठ है तो एडिशनल कमिश्नर अजीत पटेल कैसे हो सकते है। हाउसिंग बोर्ड में अप्रैल 2023 में एक ही दिन में तीन डीपीसी करते हुए नियमों को ताक में रखकर अजीत पटेल को एडिशनल कमिश्नर बनाया गया और छह वर्ष पहले यानि 2017 में एडिशनल कमिश्नर बनाए गए एचके(हेमंत कुमार वर्मा) वर्मा को वापस डिप्टी कमिश्नर बना दिया गया। इससे भी खास बात यह है कि डीपीसी होने के बाद भी अभी तक एचके वर्मा एडिशनल कमिश्नर के पद पर बैठे है और डिसीजन ले रहे है।

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