वक्त दिखाई नहीं देता, पर बहुत कुछ दिखा देता है

Update: 2024-05-24 05:48 GMT

ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

कल न्यायालय के बाहर दो महिला अधिकारी दिखे जिनकी एक समय में तूती बोलती थी, कुछ दिन पहले भी बड़े बड़े अधिकारी भी दिखे जो आज जेल के सीखचों के पीछे हैं। कहते हैं समय बलवान होता है इंसान की क्या बखत। खैर दो अधिकारी ही नहीं कई बड़े आईएएस अधिकारी सहित राजनेता भी जेल की हवा खा रहे हैं या खा चुके हैं।

वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए लोग यह भी कहते हैं कि ठीक है समय तो बलवान होता ही है लेकिन समय के साथ परिस्थिति भी अगर साथ दे तो ही समय अपना बलवान रूप दिखा सकता है। जनता में खुसुर फुसुर है कि समय ही बलवान होता है किसी की ताकत नहीं जो समय से टकरा सके। लेकिन जिन लोगों ने सही समय में फैसला कर आका बदल लिया, उनके लिए तो समय अति बलवान हो गया और जो समय के साथ नहीं बदले उनका हाल जनता देख रही है। इसी लिए लोग कहते है कि वक्त दिखाई नहीं देता पर बहुत कुछ दिखा देता है।

फर्जीवाड़ा करने वालों की खैर नहीं

वित्त मंत्री चौधरी ने कहा कि जिन लोगों ने मास्टर प्लान में फर्जीवाड़ा किया वो बख्शे नहीं जायेंगे उनके अनुसार जहां नेताओं की जमीन थी उनके लैंड यूज बदल दिया गया है और तो और तालाब की जमीन को भी नहीं छोड़ा उसका भी लैंड यूज बदल दिया गया। लोगों ने और वकीलों ने आपत्ति भी लगाई थी लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जब मास्टर प्लान बन रहा था, तब जो अधिकारी मुख्य रूप से इसके कर्ताधर्ता थे, वही अधिकारी आज भी कर्ताधर्ता बने बैठे हैं और कई नेता जिनकी जमीन को फायदा पहुंचाया था गया उनमे से कई पार्टी बदल कर आपके साथ हो गए हैं अब कैसा करेंगे। राजनीति में आने से पहले चौधरी जी ब्यूरोक्रेट थे, उनसे कुछ भी नहीं छुप सकता । लेकिन अब कार्रवाई के नाम पर लोग अपने और पराए सामने दिख रहे है। कार्रवाई अपनों के खिलाफ भी होगी या फिर सिर्फ गैरों के खिलाफ होगी अगर पुष्पा का डायलाग झुकेगा नहीं ...चल गया तो कई नपेंगे वरना पार्टी फंड भी तो देखना है।

नेटवर्क देवता के शरण में रजिस्टार

प्रदेश में रजिस्ट्र्री सहित अन्य नागरिक सुविधाएँ सरकार अनलाइन देना चाह रही है इस दिसा में प्रयास भी किए जा रहे है। लेकिन भला हो नेटवर्क देवता का जो रूठा हुआ है। नया आनलाइन रजिस्ट्री सिस्टम तो काम ही नहीं कर रहा है। रजिस्ट्री आफिस में वकील के साथ जमीन खरीदने और बेचने वाले नेटवर्क देवता के शरण में है, जो प्रसन्न होने का नाम नहीं ले रहे है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि पहले नेटवर्क देवता को जगाओ फिर घर बैठे आनलाइन सुविधा का मजा पाओ।

निगम वाले अब जागे

नगर निगम में नए कमिश्नर आने के बाद ट्रैफिक जाम से मुक्ति दिलाने काम करना चालू कर दिए हैं। लेकिन समस्या ये है कि आगे पाठ -पीछे सपाट वाली स्थिति हो जाती है । नजर हटी दुर्घटना घटी वाली बात हो जा रही है निगम का अमला हटा नहीं कि फिर से अवैध कब्जा चालू। जनता में खुसुर-फुसुर है कि नए साहब तो जनता को समस्या से निजात दिलाना चाहते हैं लेकिन निगम में काम करने वाले कोई न कोई कर्मचारी किसी न किसी नेता के समर्थक होते हैं जिसके कारण मामला फिर घूम कर आकर अटक जाता है। अधिकारी चाहकर भी एक कदम आगे नहीं बढ़ा सकते। अगर करना होता तो शारदा चौक का चौड़ीकरण कब से हो गया होता। शारदाचौक तो नेताओं का फुटबाल बना हुआ है जिस किसी भी पार्टी की सरकार होती है उसे लात मार कर गोल अपने पाले से बाहर कर देता है।

दोगुनी ताकत समझ नहीं आया

चुनाव का सीजन है, प्रचार पूरे शबाब पर है। जुबानी जंग में कोई पीछे नहीं हैं, सभी एक से एक सूरमा बने फिर रहे है। जिनके मन में जो है अपने मुखारबिंद से जनता को परोस रहे हैं । पिछले दिनों सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने अपने बेटे के चुनाव प्रचार में क्षेत्र के लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अब मैं दोगुनी ताकत से काम करूँगा। मैं न रिटायर हुआ हूं न बूढ़ा हुआ हूं अब मैं छुट्टा सांड हूं। मैं तो सांसद था ही अब बेटा भी सांसद हो जायेगा यानी आप लोगों को दो-दो सांसद मिलेंगे और काम की रफ्तार डबल स्पीड से दौड़ेगी। इस पर विपक्ष का कहना है कि पहले अकेले सांसद थे, तब अकेले के ताकत से क्या-क्या गुल खिलाये, अब डबल ताकत से और क्या नहीं करोगे सांसद महोदय। जनता में खुसुर फुसुर है कि उनके कहने के मायने तो वो ही जाने लेकिन अगर जनता को सुविधाएं और क्षेत्र का विकास होता है तो ये बड़ी अच्छी बात होगी । नहीं तो जनता जो भाग्य बना सकती है वो बिगाड़ भी सकती है।

ये राहुल गांधी का अनुभव है या आरोप, जनता का सवाल

राहुल गांधी पूरे चुनावी सत्र में पीएम मोदी से ज्यादा सुर्खियों में रहे, कारण अपने विवादित बयानों के कारण जिसके पार्टी की कई बार किरकिरी भी हुई। कही जातिगत जनगणना तो कही खटाखट एक लाख के लेकर चर्चा में बने रहे। अब राहुल गांधी के मीडिया को ब्लैकमेलर और बिकाऊ कहे जाने पर फिर बलाव मचा हुआ है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कड़ा ऐतराज जताते हुए देश भर के मीडिया संस्थानों से यह पूछा है कि क्या वो कांग्रेस के युवराज के इस बयान से सहमत हैं? जनता में खुसुर-फुसुर है कि राहुल गांधी को अपने पद प्रतिष्ठा का भी ध्यान रखना चाहिए। देश के प्रधानमंत्री के दावेदार होने के साथ आप भी एक मीडिया हाउस के मालिक रहे है ऐसे में यह माना जाय कि जो कहा वो उनका अनुभव है या फिर उस आरोप है खुलास करें जो आरोप लगाए हैं?

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