वन से घट रहे बाघ: 12 वर्ष में एक बार भी नहीं हुई वैधानिक समितियों की बैठक, कोर्ट ने जारी किया नोटिस
बाघों को संरक्षण देने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम में 2006 में नए प्रावधान जोड़े गए हैं जिसके तहत अलग-अलग स्तर पर तीन प्रकार की वैधानिक समितियां गठित कर बाघों और अन्य वन्यजीवों को संरक्षण प्रदान करना है.
रायपुर । बाघों को संरक्षण देने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम में 2006 में नए प्रावधान जोड़े गए हैं जिसके तहत अलग-अलग स्तर पर तीन प्रकार की वैधानिक समितियां गठित कर बाघों और अन्य वन्यजीवों को संरक्षण प्रदान करना है. परंतु छत्तीसगढ़ में इन समितियों की बैठक गठन के 12 वर्ष में थी नहीं होने के कारण आज छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका दायर की सुनवाई करते हुए माननीय मुख्य न्यायाधीश तथा न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल की बेंच ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, सचिव वन छत्तीसगढ़ शासन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) एव मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) अरण्य भवन छत्तीसगढ़ तथा एनटीसीए को नोटिस जारी कर 8 सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता रायपुर निवासी नितिन सिंघवी की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि छत्तीसगढ़ में लगातार बाघों की संख्या कम हो रही है, शिकार हो रहा है. वर्ष 2014 में 46 बाघ थे वर्ष 2018 में 19 बाघ बचे.