दृष्टिहीनों जैसा जीवन जीने को थीं ये महिला, मोतियाबिंद ऑपरेशन से जीवन में बिखरा दोबारा उजाला

Update: 2022-09-24 05:25 GMT

सुकमा। कलेक्टर हरिस. एस के कुशल निर्देशन और मार्गदर्शन में चिकित्सा दल द्वारा जिला अस्पताल सुकमा में 20 लोगों के आंखों का सफल ऑपरेशन कर उनकी दृष्टि लौटाई गई। इसमें 2 लोगों का टेरेजियम ऑपरेशन जबकि 18 लोगों के मोतियाबिंद का सफल ऑपरेशन किया गया। नेत्र विशेषज्ञ डॉ अक्षय परासर के नेतृत्व में स्वास्थ्य टीम द्वारा जिला अस्पताल सुकमा में बिना टांके वाले पद्धति (एम-एसआईसीएस) से मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया।

जिला अस्पताल सुकमा में गादीरास के 51वर्षीय झुनकी यदु और 54 वर्षीय रामेश्वर नागुल के भी मोतियाबिंद का सफल ऑपरेशन कर उनका जीवन रोशन कर, उनके जीवन में दोबारा उजाला बिखेरा गया है। श्रीमती झुनकी यदु ने बताया कि मोतियाबिंद के कारण बीते चार सालों से दृष्टिहीनों जैसा जीवन जीने को मजबूर थीं। मुझे दुःख होता था कि पहले जैसा कुछ दिखाई नहीं देता है, स्वयं से कहीं आ-जा भी नहीं पाती। उन्होंने बताया कि अब मुझे पहले जैसा दिखाई देने लगा है। इसके लिए उन्होंने प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यहां खानपान और ठहरने की अच्छी व्यवस्था रही। गांव से जिला अस्पताल आने-जाने की व्यवस्था भी प्रशासन द्वारा की गई। उन्होंने बताया कि मोतियाबिंद ऑपरेशन की जानकारी मितानीन से मिली थी। इसी तरह रामेश्वर नागुल ने बताया कि उन्हें पिछले दो साल से सही से दिखाई नहीं देता था, ऑपरेशन के बाद अब पहले जैसा दिखाई देने लगा है।

इसी प्रकार गादीरास की मेत्री कोड़ी, पेरमापारा कोण्डरे के दुर्राे दुले और दुर्राे सन्ना, एटपाल कोर्रा के सोड़ी मासा के आंखों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया। इन्होंने बताया कि पहले ठीक से दिखाई नहीं देता था अब ऑपरेशन के बाद पहले से बेहतर दिखाई देने लगा है। इन सभी ने मोतियाबिंद के सफल ऑपरेशन पर जिला प्रशासन और चिकित्सकों का आभार व्यक्त करते हुए खुशी जाहिर की।

अंधत्व निवारण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ महादेव बारसे ने बताया कि जिले में चिन्हांकित सभी मोतियाबिंद पीड़ित मरीजों का जिला अस्पताल में ईलाज व ऑपरेशन किया जाएगा ताकि जल्द ही सुकमा जिले को मोतियाबिंद से मुक्त किया जा सके। मरीजों को दुर्गम क्षेत्रों से लाने और ऑपरेशन में मितानिन, स्वास्थ्य विभाग सहित पूरे जिला प्रशासन का अहम योगदान है। मोतियाबिंद के लक्षणों में दृष्टि में धुंधलापन या अस्पष्टता, बुजुर्गों में निकट दृष्टि दोष में निरंतर बढ़ोतरी, दिन के समय आंखें चौंधियाना, दोहरी दृष्टि (डबल विजन) तथा चश्मे के नंबर में अचानक बदलाव आना प्रमुख हैं।



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