जशपुर। जिला प्रशासन द्वारा आम नागरिकों को सिगरेट, शराब, तम्बाकू धूम्रपान सेवन की लत से मुक्ति दिलाने हेतु विशेष प्रयास किया जा रहा है। इस हेतु जिला चिकित्सालय में ओपीडी के माध्यम से नियमित रूप से मनोविज्ञानी एवं चिकित्सकों द्वारा उपचार के लिए आने वाले मरीजों को साइकोथेरेपी सहित अन्य समुचित उपचार, दवाई एवं परामर्श प्रदान किया जा रहा है। जिससे युवाओं को नई जिंदगी मिल रही है। इसी कड़ी में शराब और सिगरेट जैसी बुरी व्यसनों की लत को अजय (बदला हुआ नाम) ने मात देकर नशा मुक्ति पर विजय पायी है। 35 वर्षीय अजय को जिला चिकित्सालय में मनोरोग विशेषज्ञ द्वारा साइकोथेरेपी प्रदान किया गया। जिससे उसकी नशा पान की आदत छूट गई और अजय अब उत्साहित दिखाई दे रहै है।
अजय का उत्साहित होना स्वाभाविक था। क्योंकि साइकोथेरेपी के माध्यम से उन्हें नया जीवन मिला। अजय कहते है कि पारिवारिक झगड़े के कारण वह अकसर चिड़चिड़ापन एवं तनाव का सामना करते थे एवं लगातार शराब और सिगरेट का सेवन किया करते थे। जिससे उन्हें इसकी लत लग गई थी। शराब सिगरेट समय पर न मिलने से उन्हें शारीरिक व मानसिक परेशानिया भी होती थी। जिससे परिवार में निरंतर कलह एवं लड़ाई झगड़े होते थे। उनका कहना है कि वे शराब सिगरेट का त्याग करना चाहते थे, पर उनके द्वारा नियमित रूप से खुद पर नियंत्रण नही हो पाता था। इससे उनकी समाज मे व्यक्तित्व भी खराब होती जा रही थी।
इसी बीच अजय को अपने गांव के मितानिन एवं उप स्वास्थ्य केन्द्र के माध्यम से जिला चिकित्सालय में शराब के सेवन से होने वाली मानसिक समस्याओं के हो रहे इलाज के संबंध में जानकारी मिली। जिससे उन्होंने केंद्र में उपचार कराने का निश्चय किया। अजय बताते है कि उनके निवास स्थान से जिला चिकित्सालय की दूरी अधिक होने के कारण उपचार हेतु जाने में असमर्थ थे, उनके गांव के मितानिन द्वारा 108 के माध्यम से एम्बुलेंस की व्यवस्था कर उन्हें उपचार हेतु जिला अस्पताल भेजा गया। जिला चिकित्सालय में अजय का मानसिक स्वास्थ्य विभाग में विस्तार पूर्वक समस्याओं की जानकारी लेकर उन्हें उपचार हेतु भर्ती किया गया, इलाज के दुसरे दिन से ही आवश्यक साइकोथेरेपी के सेशन प्रारंभ किया गया एवं नियमित रूप से साइकोथेरेपी एवं दवाईया उन्हें प्रदान की गई। 6 महीनों तक जिला अस्पताल में उनका नियमित सेशन, मॉनिटरिंग, एवं आवश्यक देख भाल किया गया। अजय बताते है कि उपचार के 3 महीने के पश्चात उनका शराब एवं सिगरेट पर निर्भरता समाप्त हो गया। 6 माह के पश्चात अजय जिला चिकित्सालय अपने रूटीन साइकोथेरेपी हेतु आए एवं उन्होंने यह बताया की वे पूर्णतः स्वस्थ महसूस कर रहे है। अब उन्हें शराब सिगरेट पीने की बिल्कुल भी इच्छा नहीं होती। शराब की लत छूटने से उनका पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन सुखमय हो चुका है। नशा छूटने से अब वे पहले की अपेक्षा अधिक मेहनत व लग्न से कृषि कार्य कर रहे है। थकान होने पर उन्हें किसी प्रकार की नशा करने की आवश्यकता का अनुभव नहीं होता है। अब उनका जीवन सुखमय एवं समृद्धिमय हो गया है। अजय ने शराब सिगरेट जैसी बुरी आदतों को छुड़वाने हेतु जिला प्रशासन द्वारा किये जा रहे कार्यो की प्रशंशा की एवं जिला प्रसाशन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया।