कोण्डागांव। गांव-गांव में हर घर के व्यक्ति को रोजगार का अधिकार सुनिश्चित करने हेतु शासन द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना (मनरेगा) के तहत् लोगो को रोजगार दिला कर डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके खातों में उनकी मजदूरी का भुगतान किया जाता है। ऐसे में फरसगांव क्षेत्र के वनांचलों में विकासखण्ड मुख्यालय को मिलाकर केवल 5 बैंक की शाखायें है इसके अलावा केशकाल के धनोरा में दो तथा नारायणपुर जिले में आने वाले बेनुर में बैंक की शाखायें उपलब्ध है। जिससे ग्रामीणो को अपने हक के पैसांे को प्राप्त करने के लिए लम्बा रास्ता तय कर दूसरे गांवो मे जाकर लम्बी लम्बी कतारों में खड़े होकर पैसा प्राप्त होता था। ऐसे में उन्हे केवल खातो में पेैसे की जानकारी के लिए बहुत सारे कष्ट उठाने पडते थे साथ ही पैसो की जानकारी के अभाव में उन्हे मनरेगा द्वारा प्राप्त पैसों की जानकारी प्राप्त ना होने पर उनका मन मनरेगा कार्यो से भी विमुख हो जाता था।
ऐसे में मनरेगा कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा के समक्ष शिकायतों की संख्या में वृद्धि पर पुछताछ में अधिकतर श्रमिकों को भुगतान खातों में होने के बाद भी उनकी अनभिज्ञता के कारण उनके मनोबल में कमी आने की बात अधिकारियों द्वारा बताई गई ऐेसे में कलेक्टर ने श्रमिकों के मनोबल को उंचा उठाने एवं उनको उचित भुगतान कराने की आवश्यकता को देखते हुए मनरेगा के सभी भुगतानों को कार्यस्थल पर ही करवाने के निर्देश दिये। निर्देशानुसार जिला पंचायत सीईओ प्रेमप्रकाश शर्मा द्वारा फरसगांव विकासखण्ड में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में विकासखण्ड अंतर्गत आने वाले 73 ग्राम पंचायतों में से 44 बैंक विहिन एवं दूरस्थ ग्रामों के 14098 एक्टिव जॉबकार्ड धारकों हेतु बिहान समूहों के माध्यम से 10 बैंक सखियों की नियुक्ति की गई।
इन बैंक सखियों में करुणा, रुखमनी, धनमती, रूपेशवरी, खेमेश्वरी, जयंती, शारदा जैन, हेमबती, पुष्पा, सावित्री शामिल हैं। इन बीसी सखियों को ग्रामीणों द्वारा बैंक दीदी कहकर संबोधित किया जाता है। इन बैंक सखियों द्वारा 44 ग्राम पंचायतों में एफटीओ जारी होने के बाद ग्राम पंचायत के सचिव, रोजगार सहायकों द्वारा ग्राम पंचायत में मजदूरी भुगतान की सूचना मजदूरों को दे दी जाती है। जिस आधार पर बीसी के द्वारा कार्य स्थल एवं ग्रामीणों की सुविधा अनुसार ग्राम पंचायत भवन में मजदूरी भुगतान कार्य किया जाता है।
गांव वालों ने बताया कि बैंक दीदीयों के गांव आकर हमारे मनरेगा श्रमिक के रूप में किये गये कार्य का भुगतान होने से अब उन्हें बिना गांव से दूर जाये गांव में ही रोजगार एवं गांव में ही भुगतान प्राप्त होने से सभी उत्साहित है। पहले भुगतान की स्थिति पता न चलने एवं बैंकों के दूर होने के कारण लोगों का मनरेगा के प्रति उत्साह कम हो गया था। अब बैंक दीदीयों के गांव तक आने से लोग खुद घरों से निकलकर मनरेगा कार्यों से जुड़कर रोजगार के साथ गांव के विकास में भी योगदान दे रहे हैं।
पांच माह में बीसी सखियों ने बांटे एक करोड़ 31 लाख रूपये
इसके संबंध में जनपद सीईओ सीमा ठाकुर ने बताया की बीसी सखियों द्वारा न केवल पैसों का लेनदेन किया जाता है अपितु ग्रामीणों को उनके अकाउन्ट के पैसों के संबंध में भी जानकारी दी जाती है। जिससे ग्रामीणों में संतोष की भावना आती है। पांच माह में इन 10 बीसी सखियों द्वारा 6080 ट्रांजेक्शन के माध्यम से कुल 1,31,34,975 रूपयों का वितरण किया है। इन स्वसहायता समूहों की पढ़ी लिखी कम्प्यूटर साक्षर महिलाओं के बीसी सखियों के रूप में चयन से इन महिलाओं को न सिर्फ रोजगार प्राप्त हुआ है बल्कि इसके साथ ही ग्रामीणों को नयी आस भी प्राप्त हुई है।
इस संबंध में जिला पंचायत सीईओ प्रेम प्रकाश शर्मा ने बताया कि फरसगांव के सुदूर अंचलों में बसे गांव पूर्व में नक्सल प्रभावित हुआ करते थे तथा यहां तक मोबाईल कनेक्टीविटी भी उपलब्ध नहीं थी ऐसे में कोर बैंकिंग सुविधाओं के न होने से बैंकों की पहुंच यहां नहीं थी। जिला प्रशासन द्वारा इसके लिए कार्य करते हुए मोबाईल कनेक्टीविटी के प्रसार के साथ बीसी सखियां इस क्षेत्र में नियुक्ति के साथ बैंक को लैपटॉप के साथ सखियां घर-घर तक पहुंचा रही है। जहां आधार बेस बायोमेट्रिक्स एवं एकाउन्ट ट्रान्जेक्शन के माध्यम से बैंकिंग सुविधाओं के मिलने से ग्रामीणों को एक उंगली के छाप पर उनकी मेहनत का फल प्राप्त हो रहा है जिससे अधिक से अधिक संख्या में लोग मनरेगा से जुड़ रहे।