उन्होंने कहा है कि वर्तमान में आत्मा के तहत कृषि संबंधी गोष्ठियों एवं कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है किन्तु इनका आयोजन नियमित रूप से नहीं होने तथा चयनित विषय पर केन्द्रित होने के कारण इसका अपेक्षित लाभ प्राप्त नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा है कि कृषि एवं इससे संबद्ध क्षेत्रों में नित नवाचार होने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की समस्याएं एवं चुनौतियां जैसे कीट, व्याधि, मौसम की प्रतिकूलता की आ रही है। वर्तमान परिस्थितियों में मैदानी स्तर पर कृषि अनुसंधानों एवं नवीन उन्नत तकनीकों के अंगीकरण व प्रचार-प्रसार, कृषि संबंधी चुनौतियों के समाधान तथा फीडबैक लेने हेतु मासिक कार्यशाला का आयोजन किये जाने आवश्यकता है, ताकि कृषि से विमुख हो रहे कृषकों एवं युवाओं में इसके प्रति रुचि पैदा कर इसे लाभकारी व्यवसाय के रूप नया आयाम मिल सके।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा है कि प्रदेश की कृषि एवं संबंद्ध क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास में कृषि, उद्यानिकी, मछलीपालन एवं पशुपालन विभाग के जिला स्तर के अधिकारी, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों के साथ समन्वय कर प्रतिमाह मासिक कार्यशाला का आयोजन किया जाना ज्यादा उपयोगी एवं लाभप्रद होगा। उन्होंने जिलों के प्रत्येक विकासखण्डों में इन कार्यशालाओं को चक्रानुक्रम (रोटेशन) आधार पर आयोजित किए जाने की बात कही है, ताकि इन कार्यशालाओं से पूरे जिले को लाभ मिल सके। उन्होंने कृषि संबंधी उत्कृष्ट गतिविधियों का मैदानी स्तर पर अवलोकन कृषि,उद्यानिकी, मछलीपालन एवं पशुचिकित्सा, महाविद्यालय के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को कराने को कहा है, ताकि विद्यार्थियों को कृषि और उससे संबंद्ध गतिविधियों की नवीनत तकनीकी और उन्नत खेती के बारे में जानकारी मिल सके।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने मासिक कार्यशाला में क्षेत्र की वर्षा, कृषि जलवायु परिस्थिति अनुरूप समन्वित कृषि प्रणाली, फसलों की बोनी एवं शस्य कियाएं, पौध रोग, कीट व्याधि, नींदा प्रबंधन एवं क्षेत्र में व्याप्त अन्य कृषि समस्याओं पर चर्चा एवं इनके प्रभावी निराकरण पर विचार-विमर्श, फसल विविधिकरण, द्विफसलीय क्षेत्र विस्तार, मृदा जल संरक्षण गतिविधियां जैविक खेती, जैविक खाद का उपयोग, पशु पालन, मछली पालन से संबंधित समस्याएं जैसे रोग, उपचार, नस्ल सुधार, क्षेत्र विशेष से संबंधित विशेष समस्या, एवं अन्य समसमायिक विषयों पर विचार-विमर्श करने तथा अनुसंधान एवं नवाचार पर विशेष रूप से चर्चा-परिचर्चा करने के निर्देश दिए हैं।