शिवरीनारायण। उच्च शिक्षा विभाग छ. ग. शासन द्वारा प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में विभिन्न विषयों के सहायक प्राध्यापक एवं प्रोफेसर के रिक्त पदों पर अतिथि व्याख्याता नियम 2024 के तहत अतिथि व्याख्याताओं एवं अतिथि सहायकों की नियुक्ति कर अध्यापन कार्य कराया जा रहा है। इन अतिथि व्याख्याताओं के मानदेय जो पीएचडी/नेट,सेट/एम. फिल. डिग्री धारक अतिथि व्याख्याता हैं, उनके लिए 40-45 मिनट के काल खण्ड हेतु प्रति काल खण्ड 400/-रू. एवं 60 मिनट के काल खण्ड हेतु प्रति काल खण्ड 500/-रू. की दर से तथा अतिरिक्त कार्य के लिए प्रति माह 8000/-रू. इस तरह उक्त डिग्री धारक अतिथि व्याख्याताओं को प्रति माह अधिकत्तम 50000/-रू एवं प्लेन पीजी. डिग्री धारक अतिथि सहायकों के लिए 40-45 मिनट के काल खण्ड हेतु प्रति काल खण्ड के लिए 300/-रू. तथा 60 मिनट के काल खण्ड हेतु प्रति काल खण्ड 350/-रू. एवं अतिरिक्त कार्य के लिए 6000/-रू., इस तरह इस श्रेणी के अतिथि सहायकों को प्रति माह अधिकत्तम 36000/-रू भुगतान करने का प्रावधान है। इसके बावजूद प्रदेश के कुछ शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य एवं प्रभारी प्राचार्य द्वारा अतिथि व्याख्याताओं के मानदेय भुगतान करने में काफी मनमानी कर रहे हैं। जिससे अतिथि व्याख्याताओ में काफी रोष देखा जा रहा है। ऐसा ही जांजगीर-चांपा जिले के शासकीय लक्ष्मणेश्वर स्नातकोत्तर महाविघालय खरौद के प्रभारी प्राचार्य द्वारा अतिथि व्याख्याताओं को शासन द्वारा निर्धारित दर से कम मानदेय भुगतान करने पर इस महाविद्यालय के अतिथि व्याख्याताओं में काफी नाराजगी है। फल स्वरुप इन अतिथि व्याख्याताओं ने आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग रायपुर से पत्र प्रेषित कर यह शिकायत किया है कि प्रभारी प्राचार्य द्वारा माह अगस्त एवं सितम्बर में महाविघालय में अध्यापन कार्य हेतु स्नातक एवं स्नातकोत्तर की कक्षाओं के लिए 60-60 मिनट का काल खण्ड निर्धारित कर इन अतिथि व्याख्याताओं से अध्यापन कार्य कराया गया। जिसमें इन्हें स्नातक द्वितीय एवं तृतीय वर्ष तथा स्नातकोत्तर की कक्षाओं के लिए 400-400 रू. प्रति काल खण्ड की दर से मानदेय का भुगतान किए जाने से आर्थिक क्षति हो रही है । इन अतिथि व्याख्याताओं ने आयुक्त उच्च शिक्षा से अंतर की राशि को एक माह के अन्दर भुगतान कराने का निवेदन किया है। यदि अंतर की इस राशि का भुगतान एक महीने के भीतर नहीं किया गया तो शासकीय लक्ष्मणेश्वर स्नातकोत्तर महाविद्यालय खरौद के अतिथि व्याख्याताओं ने इस मामले को न्यायालय में ले जाने की बात कही है ।
उल्लेखनीय है कि शासन ने उच्च शिक्षा के गुणोत्तरस्तर को ऊंचा उठाने राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू कर इस शिक्षा सत्र से प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में स्नातक स्तर की पढ़ाई को सेमेस्टर पद्धति से प्रारंभ किया गया है और अतिथि व्याख्याताओं के उत्साहवर्धन एवं शिक्षा के प्रति समर्पण के लिए उनके मानदेय में वृद्धि के साथ ही साथ उनके अतिरिक्त कार्य के लिए अतिरिक्त मानदेय दिये जाने का प्रावधान भी किया है। ताकि अतिथि व्याख्याताओं से आवश्यकतानुसार काम लेकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके। लेकिन कुछ महाविद्यालय के प्राचार्य एवं प्रभारी प्राचार्यों द्वारा शासन के आदेशों के विरुद्ध आचरण करने से अतिथि व्याख्याताओं में रोष बढ़ रहा है। जिससे महाविद्यालयों का वातावरण तनाव पूर्ण हो रहा है। जिसका असर महाविद्यालयों के शिक्षण कार्य पर पड़ रहा है । यदि शासन मनमानी करने वाले प्राचार्यों के विरूद्ध शीघ्र कार्यवाही नहीं करेगी तो राष्टीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल नहीं होंगी।