तीसरी पीढ़ी रह रही शासकीय आवास में, ढाई साल पहले हो गए रिटायर

Update: 2024-12-01 05:53 GMT

रायपुर।  अभनपुर ब्लॉक कॉलोनी में स्थित जी टाइप आवास में निवास रत अधिकारी का रिटायरमेंट ढाई साल पहले 30 जून 2022 को हो गया है उसके बाद भी आज तक उनके द्वारा मकान को खाली नहीं किया गया है इस बाबत उनके विभाग के अलावा लोक निर्माण विभाग व राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा भी कोई कार्रवाई नहीं की गई ।

क्या है खासियत आवास की

अभनपुर की सबसे पुरानी सरकारी कालोनी में प्राइम लोकेशन पर है उनका जी टाइप आवास जो अभनपुर जैसी छोटी जगह पर सबसे बड़ा मकान कहलाता है उसमें अतिरिक्त कमरे और अन्य व्यवस्था संसाधन भी लोक निर्माण विभाग द्वारा जुटाए गए हैं जिसके कारण और भी सुविधाजनक हो चुका है । आवास से लगे हुए सारे ही सरकारी कार्यालय हैं । सभी प्रकार की दुकान मार्केट के अलावा साप्ताहिक बाजार भी इसी जगह में भरता है यानी कि आसपास के क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति इस जगह में आता ही आता है मैदान और खुली जगह होने से गाड़ी पार्किंग की कोई दिक्कत नहीं होती है ब्लॉक स्तर के अधिकांश कर्मचारी अधिकारी भी इसी कॉलोनी में रहते हैं । ब्लॉक स्तर का अस्पताल सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भी यहीं पर है साथ में अन्य सारे विभाग भी इसी कैंपस में बने हुए हैं।

तीसरी पीढ़ी रह रही शासकीय आवास में 3 बार ट्रांसफर फिर भी मकान खाली नही किए

अभनपुर ब्लॉक कॉलोनी में जी टाइप आवास में 43 साल से निवास रत अधिकारी ने प्रभाव के कारण बेटी

के नाम पर मकान आबंटित करा दिया और परिवार के नाती पोतों के साथ मजे से रह रहे हैं । सूत्रों के अनुसार

ब्लॉक स्तर के सबसे बड़े पद पर रहने के कारण आने वाले कोई भी अधिकारी कर्मचारी के पास अच्छा प्रभाव होने के कारण आवास को रिटायर होने के 6 माह के आसपास बेटी के नाम से आवंटित करा लिया गया और अब वहां पर सपरिवार बेटे बेटी नाती पोतों के साथ रह रहे हैं। चर्चा है कि जिस बेटी के नाम से मकान को आवंटित कराया गया है उसका जन्म भी इसी घर में हुआ है जो अब सरकारी स्कूल में शिक्षिका है । इस तरह से चर्चित अधिकारी की तीसरी पीढ़ी को भी काफी दिन हो चुके हैं वर्तमान परिस्थिति से अनुमान लगाया जाय तो चौथी पीढ़ी भी आ जाय तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

आखिर वजह क्या होगी सरकारी मकान खाली न करने की तरह तरह की जन चर्चा  मे लोगों के अनुमान

अभनपुर की ब्लॉक कॉलोनी स्थित शासकीय जी टाइप आवास जिसमें सेवानिवृत्ति के बाद भी पूर्व अवंटी रह रहा है वर्तमान में अपनी बेटी के नाम से मकान को आवंटित करा दिया है । इस पर लोग तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं कि आखिर इस मकान को न छोड़ने के पीछे क्या राज सकता है ? सूत्रों के अनुसार कुछ लोगों का कहना है कि इस मकान से उनको बहुत तरक्की मिली है इसलिए नहीं छोड़ना चाहते हैं , कुछ लोगों का कहना है कि शासकीय कमाई वाले विभाग से ऊपरी कमाई से जो धन इकट्ठा किया गया होगा , सोना चांदी आदि जमा किया गया होगा उसको पुराने जमाने के सुरक्षा के हिसाब से उसी मकान के अंदर जमीन खोदकर गड्ढे में रखा गया होगा जो भूल जाने के कारण खोज नहीं पा रहे होंगे इसलिए किसी भी कीमत में उस मकान को नहीं छोड़ रहे हैं यह लोगों का अनुमान है जो चर्चाओं में सुना गया है सच्चाई क्या होगी यह कोई दीगर व्यक्ति नहीं बता सकता ।

नए आबंटी ने 3 माह बाद मकान को अधिपत्य में लेने की सूचना दी

अभनपुर ब्लॉक कॉलोनी स्थित जी टाइप आवास जो पूर्व अवंटी अधिकारी द्वारा अपनी बेटी के नाम से आवंटित कराया गया इस मकान में पूर्व से ही वह बेटी रह भी रही थी उसकी पढ़ाई से लेकर नौकरी तक इसी घर से हुई । फिर भी उसने अपने नाम पर आबंटित मकान को अधिपत्य में लेने की सूचना लोक निर्माण विभाग अभनपुर को ढाई महीने बाद दिया इससे पता लगता है कि उसके नाम से मकान आबंटन की जानकारी उसको नहीं थी । अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अभनपुर के कार्यालय में इस संबंध में जानकारी ली गई तो ज्ञात हुआ कि वर्तमान आवंटी कभी भी इस कार्यालय में मकान आवंटन के सिलसिले में नहीं आया है । पूर्व आवंटी द्वारा मकान खाली करने की सूचना देने की कोई जानकारी लोक निर्माण विभाग को नहीं मिली जबकि नियम कुछ और ही कहता हैं ।

लोक निर्माण विभाग ने नही की कोई कार्यवाही

कोई भी शासकीय आवास लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत होता है जिसका मेंटेनेंस करना व किराया वसूलने का अधिकार होता है पूर्व में लोक निर्माण विभाग के अधिकारी ही आवास आवंटन का कार्य भी करते थे परंतु कुछ समय से यह व्यवस्था कलेक्टर या अनविभागीय अधिकारी राजस्व की जिम्मेदारी में कर दी गई है । मकान में कौन कब आया , किसके नाम से कौन सा मकान आवंटित हुआ, किसका ट्रांसफर हुआ किसने मकान खाली किया , किसने मकान खाली नहीं किया, किसने मकान अधिपत्य में लिया किसने मकान अधिपत्य में नहीं लिया आदि आदि सारा रिकॉर्ड किराया वसूली करने तक लोक निर्माण विभाग करता है । यहां पर अधिकारी का तीन बार स्थानांतरण होने के बाद भी मकान खाली कराने की पहल लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों द्वारा नहीं की गई , ढाई वर्ष पहले सेवानिवृत होने वाले अधिकारी से भी मकान खाली कराने की कोई पहल नहीं की गई, गंभीर बात यह है कि सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी प्रकार से पेंशन से कोई कटौती करने का प्रावधान नहीं है जिसके कारण स्वाभाविक तौर पर मकान का किराया नहीं काटा गया फिर भी विभागीय अधिकारियों ने कोई कार्रवाई न हीं मकान खाली कराने की, की गई और ना ही किराया वसूलने की कार्रवाई की गई । जैसा की नियम की जानकारी प्राप्त हुई कि कोई भी व्यक्ति सेवानिवृत्ति के बाद एक महीने तक मकान में रह सकता है , सेवानिवृत हो ट्रांसफर हो या अन्य किन्हीं कारणों से मुख्यालय बदलने से एक महीने तक ही रह सकता है उसके बाद आबंटन अधिकारी से अनुमति लेने पर अधिकतम 6 माह तक रह सकता है । परंतु किराया समय पर पटाना अनिवार्य होता है । किराया पटाने की जो व्यवस्था है कि वह निर्धारित किराया ट्रेजरी में जमा कर विभाग के पास लिखित में जानकारी देगा यह काम केवल 6 महीने तक यानी की अनुमति की अवधि तक ही संभव है अगर वह ऐसा नहीं करता है तो पैनल रेंट के हिसाब से , बाजार दर के हिसाब से किराया वसूली करने का और मकान से बेदखल करने का प्रावधान है । लोक निर्माण विभाग ने यह कुछ भी नहीं किया इसके बाद यह मकान पूर्व अवंटी की बेटी के नाम पर 23 /12 / 2022 को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा कर दिया गया पर उसने 11 मार्च 2023 को यानी 78 दिन बाद मकान को अधिपत्य में लेने की सूचना लोक निर्माण विभाग को दिया इससे साफ समझ में आता है कि उसको पता ही नही चला कि हमारे पिता जी ने मेरे नाम पर मकान को आवंटित करवा दिया है । इस बात को जागरूक पाठक व आम जनमानस स्वयं समझ सकते हैं ।

8 महीने का मकान किराया भी नही जमा किया कहना है ग्रेच्युटी के पैसे के व्याज से पट गया किराया

अभनपुर ब्लॉक कालोनी स्थित जी टाइप शासकीय आवास मे 43 वर्षों से निवासरत परिवार ने रिटायरमेंट के बाद आज तक न मकान खाली किया, न किराया पटाया इस संबंध में मकान में रहने वाले अधिकारी ने बताया की हमारी ग्रेच्युटी का 13 लाख रुपया शासन के पास जमा था , जिसके ब्याज का पैसा ही किराए से कई गुना हो जाता है इस तरह से जानकारी दी गई है । दलील बहुत सुंदर है सभी अधिकारी और कर्मचारी जिनके पास शासकीय आवास है उनको किराया पटाने की जरूरत नहीं है क्योंकि हर सरकारी कर्मचारी अधिकारी का कुछ न कुछ फंड शासन के पास जमा ही रहता है इस ज्ञान को अपडेट करना चाहिए शासन को भी समझना चाहिए।

क्या है छत्तीसगढ़ में शासकीय आवास नियम

छत्तीसगढ़ में शासकीय आवास आवंटन के लिए ये नियम लागू होते हैं:

रायपुर में शासकीय आवासों के लिए आवास आबंटन नियम, 2000 लागू होता है.

आवास आबंटन के लिए, आमतौर पर पदस्थापना वरिष्ठता और वेतनमान का क्रम रखा जाता है.

आवास आबंटन समिति के निर्णय के बाद, संचालक आवास आवंटित करते हैं.

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, विकलांग, गंभीर बीमारी, महिलाओं (विधवा, तलाकशुदा, अविवाहित) आदि के लिए आरक्षण होता है.

किसी कर्मचारी को आवास आवंटित नहीं किया जाएगा, अगर उसके पति या पत्नी को पहले से ही आवास आवंटित किया गया है.

आवंटी किसी भी समय आवास खाली करने की तिथि से कम से कम दस दिन पहले संपदा अधिकारी को सूचना देकर आबंटन वापस कर सकता है.

आवेदन-पत्र में दी गई जानकारी असत्य साबित होने पर मंडल आबंटन रद्द कर सकता है.

सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को सरकारी आवास रखने के लिए, इन शर्तों का पालन करना होता है:

सेवानिवृत्ति की तारीख से तीन महीने पहले संबंधित व्यक्ति को नोटिस भेजा जाना चाहिए.

रिटायरमेंट या ट्रांसफ़र की तारीख से 30 दिन के अंदर सरकारी आवास खाली करना होता है.

अगर कोई व्यक्ति आवास खाली नहीं करता, तो एस्टेट ऑफ़िसर उसे सात दिन के अंदर नोटिस भेजेगा.

अगर व्यक्ति के पास वाजिब वजह न हो, तो उसे अधिकतम 15 दिन की मोहलत दी जा सकती है.

अगर कोई व्यक्ति तय समय से ज़्यादा समय तक आवास में रहता है, तो उससे बाज़ार दर से किराया वसूला जाएगा.

अगर किसी पर पिछला बकाया है, तो उसे साधारण ब्याज़ के बजाय चक्रवृद्धि ब्याज़ वसूला जाएगा.

7, 8 संगठन के हजारों लोग ट्रांसफर रुकवाने तत्कालीन मुख्यमंत्री के पास रैली की शक्ल में गए थे

अभनपुर ब्लॉक कॉलोनी के जी टाइप आवास में 43 वर्षों से निवासरत अधिकारी के अनुसार उनका स्थानांतरण अभनपुर से अन्यत्र जगह में तीन बार हुआ था परंतु अभनपुर में खासी लोकप्रियता और जनहित के काम करने के कारण स्थानीय लोगों ने और बड़े-बड़े संगठनों के हजारों लोगों ने यहां तक क्षेत्रीय विधायक ने तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के पास, चर्चित अधिकारी का स्थानांतरण रुकवाने के लिए रैली के रूप में गए थे और किसी भी हाल में ट्रांसफर को रद्द करवा कर ही मानते थे । लोकप्रियता में, मान सम्मान में कमी की कोई बात आज भी कही नहीं दिखती है । स्थानीय जनप्रतिनिधि और ग्गांव के निवासी लोग पैर छूते हैं और आशीर्वाद लेते हैं न जाने इस अधिकारी ने कौन सा मंत्र फूका हुआ है कि पूरा अभनपुर विधान सभा क्षेत्र ही मुरीद हैं । चर्चा है कि गुरु दीक्षा भी इनके द्वारा दी जाती है तभी तो लोग सम्मान से पैर छूते हैं और आरती करते हैं । चाहे स्थानीय व्यापारी हो , चाहे स्थानीय नेता हो चाहे किसी संगठन के पदाधिकारी हो और चाहे ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले आम नागरिक सभी के पास अच्छा मान सम्मान और इज्जत है और सब आदर सत्कार करते हैं वे खुद अहंकार से कहते हैं कि मै धार्मिक आध्यात्मिक विद्वान व्यक्ति हू इसलिए मैं कुछ भी कर सकता हूं।

अभनपुर इतना भाया कि 43 वर्ष एक ही जगह नौकरी करके यहां के पुराने वासिंदा हो गए हैं

शासकीय कर्मचारी के रूप में पद्स्थ होकर अभनपुर में आए इस अधिकारी की पदोन्नति , परिवार की तरक्की इस कदर भा गई कि यहां रुकने के लिए कभी भी कोई बाधा नहीं आई जो आई उसको दूसरे लोगो ने थाम लिया इनको कोई आंच नहीं आई । आधिकांश लोग जानते ही नहीं कि ये कहां के रहने वाले हैं और यहां कैसे आए थे आमतौर पर लोग इनको यहां का पुस्तैनी वासिंदा ही मानते हैं कारण स्थानीय स्तर पर लोगों के बीच पहुंच संपर्क मान सम्मान आदि आदि सब बरकरार है और इतने लंबे समय से लोग खुद ही देख रहे हैं ।

आज 50 वर्ष की उम्र वाले लोग बता रहे हैं कि हम तो जब से जानने लायक हुए तब से ही देख रहे उसी घर मे

अभनपुर के स्थानीय पुस्तैनी निवासी जिनकी उम्र 50 वर्ष हो चुकी है वह जानने लायक होने से आज तक इस व्यक्ति को उसी जगह देखा है और उसी प्रकार का क्रियाकलाप आज भी देख रहे हैं तो उन लोगों का यह कहना है कि हमको पता ही नहीं है कि यह कहीं बाहर से आए हैं या यहीं के है । इतना लंबा जो एक ही स्थान पर एक ही मकान पर रहने का सौभाग्य जो मिला और उसका भरपूर फायदा उठाया गया । अभनपुर विधान सभा क्षेत्र में आज कहीं भी किसी भी जगह में इस अधिकारी की बात कर दी जाए तो स्वाभाविक रूप से सभी मान सम्मान की दृष्टिकोण से देखते हैं और यह कहते हैं कि यह बहुत पुराने वसिंदा होंगे ।

लोग तो यह भी नही जानते कि यह सरकारी मकान है खुद का रजिस्ट्री वाला होगा यह समझते हैं

अभनपुर ब्लॉक कॉलोनी में स्थित जी टाइप आवास जिसमें रिटायर्ड अधिकारी अभी भी रहते हैं उसके बारे में स्थानीय लोगों को यह भी पता नहीं है कि यह सरकारी मकान होगा क्योंकि इतने लंबे समय तक कोई भी अधिकारी कर्मचारी आज तक सरकारी मकान में नहीं रहा होगा कि पूरा सेवा कल जो 43 वर्ष का रहा उसी मकान में गुजर जाएगा, गुजर ही नहीं जाएगा बल्कि आने वाली पीढ़ी भी उसी मकान में रहेगी इसलिए आम तौर पर लोगों को यह एहसास होता है कि शायद यह रजिस्ट्री वाला खुद का पुश्तैनी मकान होगा ।

लोक प्रियता और संपर्क संबंध के कारण चुनाव लडने की सलाह दे रहे हैं लोग

अभनपुर ब्लॉक कॉलोनी में 43 वर्षों से रहने वाले रिटायर्ड अधिकारी का जन संपर्क गांव गांव में इस कदर है कि लोग उनको विधान सभा का चुनाव लड़ने की सलाह भी दे रहे है । चर्चा है कि सुबह शाम रात दिन लोग समय देखकर उनको मीटिंग के लिए बुलाते हैं और उनके भाषण और प्रवचन को सुनते हैं यह आयोजन पहले से उनके साथ जुड़े भक्त और मुरीद लोग करते हैं कोई ऐसा गांव, कोई ऐसा कस्बा कोई ऐसा संगठन नहीं बचा होगा जहां पर उनकी पैठ ना हो तभी तो लोग इनकी लोकप्रिय को देखते हुए विधानसभा का चुनाव लड़ने की सलाह दे रहे हैं निश्चित ही भक्त गणों की इच्छा और मांग को पूरी करने रिटायर्ड अधिकारी चुनाव भी लड़ सकते हैं जो भविष्य की गर्त में है यह तो क्षेत्र में चल रही चर्चाएं हैं।

ढाई साल पहले हो गए रिटायर गांव गांव चल रहा है सघन जन संपर्क

जैसा कि आम तौर पर होता है कि रिटायर्ड कर्मचारी अपने परिवार के साथ यहां वहां घूमने जाते हैं समाज में जाते हैं शादी ब्याह में जाते हैं या परिवार के लोगों के कामों में हाथ बटा कर अपने समय को पास करते हैं परंतु अभनपुर ब्लॉक कॉलोनी के जी टाइप आवास में 43 वर्षों से निवास कर रहे अधिकारी का कुछ क्रियाकलाप अलग ही है कोई भी वजह से कोई जगह से निमंत्रण आ जाए या स्वयं से ही प्रोग्राम बनाकर वहां जनसंपर्क में निकल जाते हैं जनसंपर्क के अंदर क्या बातें होती हैं यह जानकारी नहीं मिली पर निश्चित रूप से संपर्क सघन और निरंतर जारी है जो किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही हो सकता है अनुमान लगाया जा रहा है

विधायक नेताओ के पैर छूते थे सार्वजनिक समारोहों में

वर्ष 1980 से जब मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ एक था तब से अभनपुर में कर्मचारी के रूप मे पदस्थ वर्तमान में अधिकारी पद से ढाई साल पहले रिटायर जो अभनपुर की ब्लॉक कॉलोनी में उसी समय से निवास करते आ रहे हैं शुरू से ही सभी प्रकार के सामूहिक कार्यक्रमों में सक्रिय रहते थे कोई भी कार्यक्रम हो चाहे राजनीतिक, सामाजिक हो या धार्मिक वहा नेताओं जन प्रतिनिधियों की उपस्थिति होती ही है और वहां पर अपने आप को प्रोजेक्ट करने के लिए सार्वजनिक समारोहों मे आम जनता के सामने में ही बड़े नेताओं के पैर छूने की परंपरा आदत को अपने ऊपर ढाल लिए थे और इसका बहुत कुछ फायदा भी उनको मिला है । जो स्वाभाविक भी है जब कोई व्यक्ति किसी बड़े नेता के पैर पड़ेगा तो वह उसके नजदीक पहुंचता है और उस नजदीकी का फायदा चाहे ट्रांसफर रुकवाने में हो, चाहे अन्य किसी प्रकार की कोई सुविधा लेने में हो सामने वाला फायदा उठाएगा ही क्योंकि पैर पड़ने के पीछे मकसद ही वह था । नहीं तो कोई आम शासकीय कर्मचारी या अधिकारी सार्वजनिक कार्यक्रमों में बिना काम के नहीं जाते क्योंकि उनको अपनी ड्यूटी भी करनी पड़ती है परंतु यह अधिकारी ड्यूटी को दरकिनार करके इन्हीं सब कामों में अपने को व्यस्त रखते थे ताकि विभाग के अधिकारियों के ऊपर में और स्थानीय नेताओं, स्थानीय जनता के ऊपर में इनका अच्छा प्रभाव बना रहे ।

सरकारी विभाग में रहते हुए सालाना 50 लाख की कमाई करने की चर्चा भी है

परिवार रिस्तेदारो के नाम पर जायदाद होने का अनुमान लगा रहे लोग

सूत्रों के हवाले से अभनपुर ब्लॉक कॉलोनी स्थित जी टाइप आवास में 43 वर्षों से निवासरत चर्चित अधिकारी ने सरकारी सेवा में रहते हुए लगभग 50 लाख रुपए सालाना की ऊपरी कमाई की है इस बात की चर्चा कई वर्षों से होती आ रही है बताते हैं जिस विभाग में यह अधिकारी पदस्थ थे वह विभाग का अपने आप में नाम लेने बस से लोग यह कह देते हैं कि यहां पर कमाई भरपूर होती है तो अभनपुर जैसे विकासशील विकासखंड में जो राजधानी से लगा हुआ क्षेत्र है नए-नए काम आते रहे हैं और उन कामों में कमीशन के तौर पर मोटी रकम मिलती है यह जग जाहिर है अनेकों उदाहरण है और लोग पकड़े गए हैं । जो जन चर्चा है लोगों के बीच में कि इतना पैसा कमाने वाला व्यक्ति आखिर सरकारी घर को क्यों नहीं छोड़ रहा है उसके पीछे भी कोई वजह हो सकती है लोग बताते हैं इनका एक से डेढ़ करोड़ का खुद का मकान भी है ।

खुद बता रहे मेरा पूर्व साथी 22 साल से जेल मे सड़ रहा है विभाग में किए गए कारनामों की इनकी भी बड़ी कहानी होगी सरकारी गाड़ी से 700 किमी गांव जाते थे

सूत्रों के अनुसार ब्लॉक कॉलोनी अभनपुर में जी टाइप के आवास में लंबे समय से निवास करने वाले सेवानिवृत अधिकारी के द्वारा लिखित में कही पर यह बताया गया कि मेरा पूर्व नजदीकी विभागीय कर्मचारी व्यक्ति 22 साल से जेल में सड रहा है जबकि मैं ईमानदार धार्मिक व्यक्ति हू इसलिए मेरी तरक्की होती गई । पूर्व साथी की अभी क्या स्थिति है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई । अब सोचने वाली बात है कि जब इस प्रकार की घटना विभागीय किसी व्यक्ति के साथ होती है तो स्वाभाविक रूप से अन्य लोग भी उसी प्रकार के क्रियाकलाप में रहते होंगे । भ्रष्टाचार करने के कई कारनामे इनके भी सुनने को मिले हैं । अनुविभागीय अधिकारी के पद पर रहते हुए यह व्यक्ति शासकीय गाड़ी से 700 किलोमीटर दूर अपने पैतृक गांव अक्सर जाना आना करते थे यह एक साधारण सी बात है परंतु बड़े घोटाले की बातें बड़ी-बड़ी हैं जो चकित करने वाली होंगी पर उनका जिकर यहां पर नहीं किया जा रहा है ।

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