रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक व पूर्व कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि धान खरीदी को लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा लगातार फैलाए जाने वाले अपने झूठ का पर्दाफाश खुद प्रदेश सरकार ने कैबिनेट मीटिंग के बाद अब अपने विज्ञापन में भी कर दिया है। और यह मान लिया है कि छत्तीसगढ़ का धान केंद्र सरकार ही खरीदती है। रविवार को छपे प्रदेश सरकार के एक विज्ञापन का हवाला देकर उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को अब समझ आ गया है कि झूठ के पैर नहीं होते और सच को लंबे समय तक अंधेरे में ढँका नहीं जा सकता।
विधायक अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने पाँच साल की धान खरीदी के जो आँकड़े इस विज्ञापन में दिए हैं, उससे साफ प्रमाणित हो रहा है कि छत्तीसगढ़ के किसानों का धान केंद्र सरकार ही खरीदती है और चावल के रूप में 80 प्रतिशत से ज्यादा का भुगतान प्रदेश सरकार को करती है। यही बात भाजपा जब कहती है तो कांग्रेस और उसकी प्रदेश सरकार इस पर झूठ बोलकर अपने दम पर धान खरीदी की बात करती रही है। विज्ञापन में प्रदेश सरकार ने माना है कि भारत सरकार ही धान ख़रीदती है और केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य पर धान एवं मक्के का उपार्जन इस वर्ष एक नवंबर से उपार्जन किया जाएगा। अपने दम पर धान खरीदी का दंभपूर्ण बयान देकर कांग्रेस और उसकी प्रदेश सरकार जिस तरह प्रदेश के किसानों को बरगलाने का काम लगातार करती आ रही थी, पर अब कांग्रेस का यह झूठ और प्रपंच बेनकाब हो गया है।
उन्होंने कहा कि धान खरीदी को लेकर कांग्रेस का वह दावा खोखला साबित हो गया है भूपेश सरकार बिना केंद्र के सहयोग के छत्तीसगढ़ में धान खरीद सकती है। भूपेश सरकार में इतना दम नहीं है कि वह मोदी सरकार के सहयोग के बिना छत्तीसगढ़ में धान खरीदी कर सके। धान की कीमत की 80 से 90 प्रतिशत राशि मोदी सरकार देती है। सच्चाई यह है कि राज्य सरकार जितना धान संगृहीत करती है, उसका लगभग 85 प्रतिशत धान चावल के रूप में मोदी सरकार खरीदती है। श्री अग्रवाल ने कहा कि भूपेश सरकार धान खरीदी में काफी घालमेल करके झूठ परोस रही है और किसानों व प्रदेश को गुमराह कर रही है। केन्द्र की मोदी सरकार छत्तीसगढ़ किसानों का पूरा का पूरा धान खरीदने के लिए तैयार है, पर भूपेश सरकार सहयोग नहीं कर रही है। पिछले खरीफ मौसम में प्रदेश सरकार को धान खरीदी के बाद 61 लाख मीट्रिक टन चावल भारतीय खाद्य निगम को जमा करना था। बाद में यह कोटा राज्य सरकार के अनुरोध पर घटाकर 58 लाख मीट्रिक टन किया गया लेकिन उसमे भी राज्य कि कांग्रेस सरकार ने केवल 53 लाख मीट्रिक टन चावल ही जमा कराया है, जबकि सरकार दावा कर रही है कि छत्तीसगढ़ में 107 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है।