प्रशासन की पहल से खिल उठी मुस्कान, अब स्पीच थेरेपी की मदद से सीखेंगी शब्द उच्चारण

Update: 2022-03-12 01:55 GMT
सुकमा। बच्चों में फांक तालु की समस्या यूं तो कम ही देखने ही मिलती है पर इस समस्या का सीधा असर बच्चों के भविष्य पर पड़ता है। वे सामान्य बच्चों की तरह बोलने में असक्षम होते है। इसके साथ ही भोजन ग्रहण करने में भी इन बच्चों को परेशानी होती है। सुकमा जिले के दो बालिकाओं के जीवन में भी फांक तालु एक बहुत बड़ी समस्या के रुप से सामने थी। जिसके कारण वे बोलने में असमर्थ थी। जन्म के समय से ही तालु के पूर्णतः विकसित नहीं होने की दशा में बच्चें बोलने तथा उच्चारण नहीं कर पाते है।

कलेक्टर विनीत नन्दनवार के मार्गनिर्देशन में एवं जिला शिक्षा अधिकारी श्री नीतिन डड़सेना एवं जिला मिशन समन्वयक श्री एस.एस. चौहान के विशेष सहयोग से आकार संस्था के माध्यम से समावेशी शिक्षा अंतर्गत दोनों बालिकाओं का सफल शल्य चिकित्सा करवाया गया।

हर माता पिता की आंखों में उनकी संतान का सुन्दर और सुनहरा भविष्य होता है। एक स्वस्थ और सामान्य बच्चें की आशा हर माता पिता की होती है। लेकिन कुछ बच्चे औरों से अलग जन्म लेते हैं, विज्ञान इस भिन्नता को सामान्य से अलग परिभाषित करता है। कई बच्चों में जन्म के समय से ही बाह्य या आंतरिक शारीरिक दोष होते हैं, फांक होंठ/तालु या क्लेफ्ट लिप्स/पैलेट की समस्या इनमे से एक है। जिसका इलाज संभव है और शल्य चिकित्सा के जरिए इस समस्या का समाधान किया जाता है। कोन्टा विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम फायदगुड़ा निवासी मड़कम जोगा की 9 वर्षीय पुत्री मड़कम अनिता और पोलमपल्ली निवासी कुंजाम जोगा की 12 वर्षीय पुत्री कुंजाम शांति जन्म से ही फांक तालु एवं अलिजिम्हा (Uvula) नही होने के कारण किसी उच्चारण नही कर पाती थी।

एक वर्ष पहले हुई पहचान, आकार संस्था में किया दाखिला फिर हुआ ऑपरेशनश्री हरि कौशिक, अधीक्षक, आकार आवासीय संस्था कुम्हाररास सुकमा ने बताया कि एक वर्ष पूर्व प्रा.शा.फायदागुड़ा में कक्षा तीसरी की छात्रा मड़कम अनिता और पोटाकेबिन पोलमपल्ली में कक्षा छटवी की छात्रा कुंजाम शांति को कक्षा में फांक तालु की समस्या का पता चला। जिसके बाद उन्हें आकार संस्था में दाखिल कर स्पीच थेरेपी प्रदान की गई। किन्तु अत्यधिक फांक होने के कारण ऑपरेशन ही एकमात्र समाधान था। बच्चों के अभिभावक को इस बारे में अवगत कराया गया कि तालु एवं अलिजिव्हा (Uvula) प्रत्यारोपण कराने से अनिता एवं शांति सामान्य बच्चों की तरह बातचीत कर सकती हैं। आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अनिता एवं शांति का इलाज करने में परिवार असक्षम था। स्माईल ट्रेन योजना के तहत रायपुर स्थित मेडिशाइन हॉस्पिटल में अनिता एवं शांति का ऑपरेशन पूर्णतः निःशुल्क किया गया। सफल ऑपरेशन से दोनो बच्चे एवं परिवार वाले बहुत खुश हैं।

स्पीच थेरेपी से बच्चे सीखेंगे उच्चारण

आकार संस्था में कार्यरत स्पीच थेरेपिस्ट मिथलेश वर्मा ने बताया कि अनिता और शांति को शब्द ज्ञान है, वे देखकर लिख भी लेती हैं, किन्तु फांक तालु की समस्या के कारण शब्द उच्चारण नहीं कर पाती थी। अब सफल प्रत्यारोपण के पश्चात अनिता और शांति नियमित स्पीच थेरेपी से बोलना सीख जाएंगें। उन्होंने बताया कि ऐसे परिस्थितियों में बच्चों को उच्चारण सीखने में लगभग डेढ़ साल का समय लग जाता है। उन्हें आशा है कि अनिता और शांति दोनों ही नियमित सपीच थेरेपी से जल्द ही स्पष्ट उच्चारण करना सीख जाऐंगे।

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