शब्दों की ताकत समय के ताकत के बराबर है

Update: 2024-04-19 06:26 GMT

ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि नक्सलियों को शहीद बताने वाले, 29 नक्सलियों के मुठभेड़ में मारे जाने को फर्जी एनकाउंटर बताने वाले और मुठभेड़ की जांच की मांग करने वाले कांग्रेसी अब यह साफ-साफ जान लें कि बस्तर की जनता विकास की समर्थक है। सीएम साय ने कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया कि नक्सलियों के खात्मे के लिए कांग्रेस का खात्मा जरूरी है और इसकी शुरुआत बस्तर की जनता 19 अप्रैल से होने जा रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्पष्ट किया कि कांकेर मुठभेड़ को लेकर जिस तरह के बयान कांग्रेस नेताओं ने दिए हैं, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि नक्सलियों को पाल-पोसकर संरक्षण देने का काम कांग्रेस हमेशा करती रही है जो अब बस्तर की जनता कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ महतारी के निर्दोष बेटों के खून से बस्तर की धरती को लाल किया है। जनता मेंं खुसुर-फुसुर है कि कांग्रेस तो अपने आप खत्म होते जा रही है उसे खत्म करने के लिए माथा पच्ची करने की जरूरत नहीं है बस भाजपा का दरवाजा खोले रखिए और नारे लगाते रहिए आन-दो आन-दो।

सोच समझ कर बयान देना चाहिए

पिछले दिनों हमारे जाबाज जवानों ने 29 नक्सलियों को मार गिराया था, जवानों की जमकर तारीफ हुई, लेकिन राजनीति में सब गुड़ गोबर एक कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बयान दिया था कि बीजेपी काल में फर्जी एनकाउंटर, गिरफ्तारी होते रहती है। अभी फिर से चार महीने में फर्जी एनकाउंटर में वृद्धि हुई है और फर्जी गिरफ्तारी भी हुई है। नक्सली बताकर अधिकारियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। वही पीसीसीचीफ दीपक बैज ने कहा कि इस मुठभेड़ की सत्यता सामने आना चाहिए, मारे गए नक्सली है या निर्दोष ग्रामीण है। वहीं इस मामले में कांग्रेस के बड़े नेता ने दिल्ली से बयान दिया कि मरे गए लोग शहीद हंै, राजनीति की वजह से उन्हें ऐसा बयान देना पड़ा या कांग्रेसी पुराने दिन भूल गए थेे, क्या जिनके बड़े बड़े नेताओं को झीरम घाटी में इन्ही नक्सलियों ने मार दिया था। बाद में इन्हें शहीद का दर्जा दिया गया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि यदि मारे गए नक्सली शहीद हैं तो उन कांग्रेसियों को क्या कहेंगे जिन्हें इन्ही नक्सलियों ने घेर कर बहुत ही निर्मम और वीभत्स तरीके से मारा था। सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा बयान देना क्या सही है? कांग्रेसियों को सोच समझ कर बयान देना चाहिए वरना लेने के देने पड़ जाएंगे। किसी ने ठीक ही कहा है बोलो मगर सोच समझकर क्यों कि शब्दों की ताकत समय के ताकत के बराबर है। ै और सामने चुनाव भी है।

किसी और घटना का इंंतजार तो नहीं?

पिछले कई सालों से पत्रकार पीटे जा रहे हैं । चाहे वह प्रिंट माडिया के हो या इलेकट्रानिक्स मीडिया के हो । भारत के सबसे बड़े अखबार के प्रतिनिधि सहित अन्य पत्रकारों को पीटा जा रहा है, राजधानी सेे लेकर प्रदेश के अंतिम छोर तक पत्रकारों की स्थिति एक जैसी है। कल एक बिरयानी सेंटर में एक पत्रकार के साथ बदसलूकी और मारपीट हुई है। क्या प्रशासन अब भी पत्रकार सुरक्षा लागू करने के लिए किसी पत्रकार की हत्या होने का इंतजार कर रही है। अफसोस है कि पिछले कांग्रेस सरकार में भी मुख्यमत्री के सलाहकार मूर्धन्य पत्रकार थे वे पत्रकार सुरक्षा काननू लागू नहीं करवा सके और अब भी मुख्यमंत्री के दो सलाहकार पत्रकारिता के स्थापित नाम माने जाते हैं। क्या इन्हें भी आवेदन देना पड़ेगा या स्वत: संज्ञान लेकर इस दिशा में कुछ आगे कदम बढ़ाएंगे।

इच्छा मृत्यु की मांग

अनवर ढेबर और अरविंद सिंह को 14 दिन की न्यायिक रिमांड में जेल भेज दिए गए है। आरोपी अरविंद सिंह ने इच्छा मृत्यु की मांग की है। कोर्ट में पेशी के बीच उन्होंने यह मांग की इस पर कोर्ट ने कहा कि, वकील से आवेदन लगाने के बाद इस पर अलग से सुनवाई होगी। कथित शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में रायपुर के महापौर एवं कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर को मई में भी गिरफ्तार किया था। जनता में खुसुर-फुसुर है कि मामला कोर्ट में है नहीं तो अरविंद की इच्छा इनके चाहने वाले ही कब से पूरी कर दिए होते।

उटपटांग बातें ना करें

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा नक्सल घटनाओं पर सवाल उठाए जाने पर गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि भूपेश बघेल को कैसे पता चल रहा है कि यह फर्जी एनकाउंटर है। भूपेश के पूर्व की घटनाओं पर बयान देने की बात पर कहा कि यह उनका अभी का बयान है। उटपटांग बातें ना करें। ढाई सौ सड़कें, 90 पुल-पुलिया क्यों नहीं बनाएं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है। जब राजनीति उटपटांग है तो बयान भी उटपटांग तो होगा ही।

मतदान के लिए स्पेशन ट्रेन

लोकसभा चुनाव सात चरणों में होने वाला है जिसके लिए रेल मंत्रालय एक 185 की तादात में ट्रेने चलाएगी। जो लगभग 26 सौ फेरे लगाएगी। जनता में खुसुर-फुसुर है कि वोट के लिए ट्रेने चलवा सकते है तो आए दिन ट्रेने कैंसल हो रही है उस ट्रेन को तो कंटीन्यू करो प्रभुजी।  

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