रायपुर। राम नाम कोई साधारण शब्द नहीं है, यह महामंत्र है, राम से बड़ा राम का नाम है। इसमें इतना असीम सामथ्र्य है कि राम नाम की तुलना किसी से हो ही नहीं सकती। कलयुग में यह सबसे सरल सोपान है। राम नाम सबसे सरल साधना है, यह जीवन की सारी समस्याओं का कुंजी खोल देता है, ऐसा पासवर्ड है राम नाम। इतना सरल होते हुए भी अगर हम जीवन में इसका आश्रय नहीं लेते है तो जीवन में जो समस्याएं है वह निरंतर चलता रहेगा। अगर आप अपने जीवन में राम नाम की साधना कर रहे और गुरु मंत्र लिया हुआ है और निरंतर उसका जाप कर रहे है तो आपके जीवन में प्रभाव दिखना चाहिए।
मानस मर्मज्ञ दीदी मां मंदाकिनी ने सिंधु पैलेस शंकरनगर में चल रही श्रीराम कथा प्रसंग में बताया कि अगर तीन व्यक्ति किसी मंच में अतिथि हो तो मुख्य अतिथि को बीच में बिठाया जाता है और यही बीच वाला राम नाम के लिए सर्वश्रेष्ठ है। इसके लिए तीन सूत्र बताते हुए दीदी माँ ने पहला सूत्र बताया कि राम नाम की साधना इतनी पवित्र है कि इसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते है। यह एक ऐसा साधन है जिसको करने में आपको एक रुपये भी खर्च नहीं करना पड़ता है। जहां कोई भजन-कीर्तन कर लें उसमें पैसा तो खर्च करना पड़ेगा, पर राम नाम का जप करने के लिए कोई पैसा देना नहीं पड़ता। दूसरा सूत्र राम नाम एक ऐसा परिपूर्ण व्रत है जिसको करने के लिए आपको किसी भी सामग्री की आवश्यकता नहीं है, अगर आज आपको किसी भी प्रकार का व्रत करना है तो किसी न किसी सामग्री की जरुरत होगी। तीसरा सूत्र राम नाम का जाप करने के लिए कोई मुर्हूत देखना नहीं पड़ता। राम नाम की साधना के लिए ना देश, ना काल और ना व्यक्ति की पवित्रता का नियम लागू होता है। राम नाम का जाप कोई भी कर सकता है चाहे वह बड़े से बड़ा पापी ही क्यों न हो और वह भव सागर को पार कर सकता है।
श्रीराम के नाम की तुलना प्रभु के तीन अवतारों से की जाती है - पहला नरसिंह, दूसरा राम और तीसरा श्रीकृष्ण। उनका यह तीनों अवतार एक-एक युग में हुआ है। सभी युगों की अपनी विशेषता है। हर युग का अपना का एक धर्म है, सतयुग में भगवान को ध्यान के द्वारा प्राप्त किया गया, त्रेता युग में यज्ञ के द्वारा भगवान का अवतार हुआ और द्वापर में पूजा की प्रधानता है। पूजा, हवन और ध्यान के द्वारा जो भी फल प्राप्त होगा वह सब कलयुग में प्राप्त होगा। कलयुग की ज्वालामुखी अग्नि से बचना है तो केवल राम नाम और भगवान की कथा को सुनकर ही बचा जा सकता है। जो हम कथा श्रवण कर रहे है वह हृदय में समां जाए और श्रीराम की महिमा हृदय में प्रकट हो। कलयुग का जो युग है वह एक तरह से बहुत ही सुंदर और सरल है क्योंकि बिना किसी प्रयास के हम भगवान को पा सकते है।
दीए को कहां जलाना चाहिए इस पर दीदी ने विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा कि दीए को अगर बाहर जलाओगे तो बाहर रोशनी होगी और घर के अंदर अंधेरा, घर के अंदर जलाओगे को घर रौशन होगा लेकिन बाहर अंधकार छा जाएगा इसलिए हमेशा दीए को घर की देहरी पर जलाना चाहिए इससे बाहर और अंदर दोनों जगह रौशनी रहती है। देहरी का मतलब क्या हैं उसी से व्यक्ति बाहर भी जा सकता है और उसी से भीतर भी आ सकता है। जिह्वा को देहरी परिभाषित करते हुए बताया कि हमारे शरीर के जितने भी अंग है वह सब बाहर ही देखते हैं लेकिन जिह्वा हमेशा अंदर ही रहता है. हम बोल रहे है वह जिह्वाके माध्यम से बाहर आता है और जब हम भोजन करते है तो उसी जिह्वा के सहारे हमारे शरीर के अंदर जाता है और यहीं नाम राम नाम के अतिथि को बिठाया गया है।