रायपुर। दिल्ली सीमा पर किसान आंदोलन के 6 माह पूरे होने पर प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि इन 6 माहों में सैकड़ों आंदोलनरत किसानों की सांसे थम गयी लेकिन मोदी सरकार की तानाशाही खत्म नहीं हुयी। किसानों की ये अनदेखी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को बहुत भारी पड़ने वाली है। उन्होंने कहा है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात की लेकिन भाजपा की केंद्र सरकार ने तो तीन काले कानून किसानों के लिए लाए हैं जिनसे व्यापारियों को जमाखोरी करने किसानों की जमीन ठेके पर लेने और किसानों की उपज बिना समर्थन मूल्य के खरीदने की छूट मिल रही। 2014 की लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भाजपा ने कहा था कि किसानों के लिए स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू की जाएगी लेकिन उसका आज तक अता पता नहीं। छल करने और झूठ बोलने के अपने चरित्र के चलते भाजपा ने स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों का मूल रूप ही बदल दिया।
संचार विभाग प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि किसानों की खेती की लागत के साथ-साथ किसान खेत में जो खुद मजदूरी करता है उन दोनों को जोड़कर उसके ऊपर किसानों को 50 प्रतिशत लाभ देने की बात स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश में है। केंद्र की भाजपा सरकार ने षडयंत्रपूर्वक किसान की खुद की मेहनत और मजदूरी को स्वामीनाथन कमेटी के सिफारिश से हटा दिया। संसद में कृषि संबंधी तीन काले कानूनों को पिछले दिनों संसद में बिना चर्चा के पारित कर दिया गया। खेती किसानी से जुड़े ये तीन कानून देश के किसानों के लिये काल बनकर आए हैं। संघीय ढांचे का उल्लंघन कर, संविधन को रौंदकर, संसदीय प्रणाली को दरकिनार कर और बहुमत के आधार पर तानाशाह मोदी सरकार ने जबरन तथा बगैर किसी चर्चा व राय मशवरे के ये कानून पारित करवाए हैं। यहां तक कि इसे पारित करने के लिये राज्यसभा में हर संसदीय मर्यादा व लोकतांत्रिक मूल्यों को तार-तार कर दिया गया। ये तीनों कानून खेती पर निर्भर 62 करोड़ जनता के जीवन को गहरे अंधकार में झोंक देगा। इन कानूनों से न केवल किसानों की बल्कि खेतिहर मजूदरों, कृषि उपज मंडियों, सहकारी समितियों में काम करने वाले लोगों और अनाज व्यापार से जुड़े छोटे व्यापारियों और दुकानदारों की रोजी रोटी पर बेहद असर पड़ेगा वो पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे। यह देश के अन्नदाता को भाजपा परस्त पूंजीपतियों का गुलाम बनाने की गहरी साहिश है। अगर इस कानून को लागू किया तो देश का किसान एक बार फिर से अंग्रेजों की गुलामी वाले दौर में पहुँच जाएगा। इसके अलावा इन कानूनों से देशभर में उपभोक्ताओं पर महंगाई की अभूतपूर्व मार पड़ने वाली है।
किसान काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उनकी सरकार विरोध को दरकिनार कर देश को बरगला रहे हैं। अन्नदाता किसान की बात सुनना तो दूर, संसद में उनके नुमाईंदों की आवाज को दबाया जा रहा है और देश के तमाम राज्यों में सड़कों पर किसान मजदूरों को लाठियों से पिटवाया गया। भाजपा सरकार तीन काले कानूनों के माध्यम से देश की 'हरित क्रांति' को हराने की साजिश कर रही है।