नाचा में दिया लालच और झूठ से बचने का संदेश, हंस-हंसकर लोटपोट हुए ग्रामीण

Update: 2023-02-11 04:29 GMT

बिलासपुर। यहां ग्राम पंचायत गढ़वट,बिल्हा में गुरुवार 9 फरवरी की रात आदिवासी लोककला अकादमी रायपुर,छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग, छत्तीसगढ़ शासन की ओर से नाचा के अंतर्गत नाटकों की सफल प्रस्तुति हुई। हजारों की तादाद में मौजूद ग्रामीणों के बीच जब नाचा की प्रस्तुति शुरू हुई तो दर्शकों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया। इसके बाद देर रात तक ठहाके गूंजते रहे। यहां उल्लेखनीय है कि नाटक 'सियान के सिखवैया','लेड़गा', 'लबर झबर के चलवा चलती' और 'रिखीराम गौटिया' वरिष्ठ नाचा गुरु काशीराम साहू के मार्गदर्शन में आदिवासी लोककला अकादमी की 20 दिन की नाचा कार्यशाला के दौरान तैयार किए गए थे। कार्यशाला के समापन उपरांत ग्राम पंचायत गढ़वट, बिल्हा में इनका मंचन हुआ। शुरुआत में आदिवासी लोककला अकादमी रायपुर के अध्यक्ष नवल शुक्ल ने आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि नाचा के माध्यम से कुरीतियों के विरुद्ध जागरुकता बढ़ाने यह पहल की गई है।

यहां पहला नाटक 'सच पर लबर झबर के चलवा चलती' मूल रूप से समाज में झूठ के बढ़ते चलन पर चोट करते हुए सामाजिक संदेश पर आधारित था। दर्शक इस प्रहसन पर हंस-हंस कर लोटपोट हो गए। दूसरा नाटक 'रिखीराम गौटिया' लालच के विरुद्ध संदेश देते हुए मंचित किया गया। जिसमें पूंजीपति रिखी राम, एक शराबी मास्टर और उसकी पत्नी के इर्द-गिर्द कथानक बुना गया था। इस गंभीर कहानी में हास्य का जबरदस्त पुट था।

इस वजह से लालच के विरुद्ध संदेश देते हुए भी इस नाटक ने दर्शकों को हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया। इसी तरह नाटक 'सियान के सिखवैया' और 'लेड़गा' का भी सफल मंचन हुआ। आयोजन को सफल बनाने में ग्राम पंचायत बिल्हा की सरपंच फिरतिन बाई, उपसरपंच तुकाराम चंद्राकर, पंचगण गंगाराम कश्यप, नीतू कश्यप, बद्री कश्यप और नरेंद्र कश्यप सहित कई लोगों का विशिष्ट योगदान रहा। ग्रामवासियों ने देर रात इन नाटकों का लुत्फ उठाया। इनमें बच्चों,छात्र-छात्राओं और महिला दर्शकों की संख्या बहुतायत रही।

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