हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय के फैसले को माना सही, जानिए पूरा क्या है मामला?

Update: 2023-07-14 09:13 GMT

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा है कि पति स्त्रीधन का उपयोग तो कर सकता है लेकिन उसे बाद में वह संपत्ति अथवा मूल्य लौटाना होगा इसे संयुक्त संपत्ति नहीं माना जा सकता है। हाईकोर्ट का यह फैसला 3 जजों की बेंच ने दिया है क्योंकि इसके पहले दो डिविजन बेंच से दूसरे मामलों में अलग-अलग फैसले चुके थे।

सरगुजा जिले के लुण्ड्रा निवासी बाबूलाल यादव ने परिवार न्यायालय के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके अनुसार धारा 27 के अंतर्गत स्त्री धन की वापसी के लिए स्वतंत्र आवेदन करने का प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद उसके विरुद्ध निचली अदालत ने फैसला दिया है। पूर्व में स्त्री धन की वापसी को लेकर दायर दो अन्य मामलों में अलग-अलग डिविजन बेंच ने भिन्न फैसले दिए थे। इसे देखते हुए एक बड़ी बेंच का गठन कर मामले की सुनवाई की गई। इसमें चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस दीपक कुमार तिवारी शामिल थे। बेंच ने कहा कि ? विवाह के पहले या उसके बाद जो उपहार किसी विवाहित महिला को दिया जाता है, स्त्री धन माना जाएगा और उसे वह अपनी इच्छा से उपयोग में लाने का अधिकार रखती है। यदि पति संकट के समय इसका उपयोग करता है तो उसका दायित्व है कि वह पत्नी को संपत्ति अथवा उसका मूल्य वापस करे। इसके लिए संयुक्त आवेदन का दिया जाना आवश्यक नहीं है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और परिवार न्यायालय के फैसले को सही माना।

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