- आईपीएल के दौरान सटोरियों ने आनलाइन कारोबार से करोड़ों कमाए, अनिल-आलू थाणे में बैठकर चला रहा कारोबार, रवि का सट्टा कब बंद होगा?
- देश-विदेश से करोड़ों रुपए की खाईवाली और बुकिंग की गई
- पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद भी सटरियों का गैंग सक्रिय
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। कोरोना के संक्रमण बढऩे के साथ-साथ सट्टा का कारोबार अब वैश्विक स्तर पर पैर पसार चुका है। राजधानी में कई बड़े सटोरिए है जो आईपीएल से लेकर नागपुर-मुंबई में चलने वाले वन-टू-का फोर और फोर-टू का वन की तर्ज पर चल पड़ा है। पुलिस लगातार सटोरियों को दबोचने के लिए राजधानी के 70 वार्डों में छापामार कार्रवाई कर रही है इससे साफ हो जाता है कि राजधानी में सट्टा शौकीनों के सिर चढ़कर बोल रहा है। पिछले दिनों सट्टा में लेनदेन को लेकर गुढिय़ारी के एक युवक ने आत्महत्या कर जान दे चुका है। मार्च-अप्रैल में आईपीएल के दौरान रायपुर में बैठकर सटोरियों ने विदेशों करोड़ों रुपए के कारोबार को अंजाम दिया है। राजधानी में सट्टा और अवैध नशा गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर के खिलाप पुलिस लगातार अभियान चलाकर तस्करों को पकड़ रही है उसके बाद भी रोज नए मामले सामने आ रहे है। बताया जा रहा है कि रायपुर के सटोरियों का दुबई के सटोरियों का सीधा संपर्क है। जहां आनलाइन सट्टा की बुकिंग और खाईवाली होती है।
दुबई है बर्बादी के खेल का हेडक्वार्टर
सट्टा कारोबारियों की पैठ इतनी गहरी है कि आईपीएल सीजन हो या सामान्य दिनों का सट्टा हो रायपुर से सीधा कनेक्शन है। दुबई में भी क्रिकेट की दिवानगी देखी गई है, वहां के अमीर क्रिकेट का संचालन वहां बैठकर पूरे विश्व में करते है। दौरान मैचों की बॉल टू बॉल जानकारी सीधे दुबई को देते है।
सट्टा में हारा तो परिवार की हत्या कर दी
हाल ही में दिल्ली के जाफ राबाद में इसरार नामक व्यक्ति ने पत्नी और दो बेटियों की हत्या करने के बाद खुद भी जान दे दी। पुलिस को फ ोन में वीडियो मिला तो खुलासा हुआ कि वह आईपीएल के दौरान ऑनलाइन सट्टेबाजी में 8.5 करोड़ रुपये हार चुका था। इसलिए उसने यह आत्मघाती कदम उठाया। सट्टे ने कई घरों को बर्बाद किया है, जो दुबई से ऑपरेट हो रहा है। पहले भी कई लोग इस वजह से जान दे चुके हैं।
सट्टे का काला कारोबार
सट्टा कारोबारियों की पैठ इतनी गहरी है कि पिछले साल इंडियन प्रीमियर लीग के दौरान मैचों की बॉल टू बॉल जानकारी सीधे दुबई देने के लिए दो बुकी एक्रीडिटेशन कार्ड बनवाकर स्टेडियम में घुस गए थे। ये 2 मई 2021 को पकड़ गए। स्पेशल सेल ने जांच की तो पता चला कि दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट असोसिएशन के लोगों की मिलीभगत थी। मैदान और टीवी में चलने वाले गेम में एक बॉल का अंतर होता है। बुकी दांव में इसी का फायदा उठाते हैं। फोन और लैपटॉप को खंगाला, जो दुबई से चलने वाले ऑनलाइन बेटिंग ऐप आइस, डायमंड और स्काई से जुड़े मिले।
डिब्बे वाला सट्टा
एक फोन, जिसे डिब्बा कहते हैं, पर क्रिकेट मैच का भाव चलता है। अगर पंटर डिब्बा नहीं खरीद सकता तो बुकी को कॉल कर भाव पूछता है। बॉल, ओवर, विकेट, रन, छक्का-चौका, हार-जीत, सेशन सभी पर पंटर पैसा लगाते हैं। दांव के लिए किसी की गारंटी दिलवानी पड़ती है। लेन-देन कैश में होता है।
ऑनलाइन बेटिंग
क्रिकेट ही नहीं फु टबाल, टेनिस और रग्बी समेत सभी खेलों के लिए एंड्रॉयड और आईओएस बेस्ड ऐप के अलावा ऑनलाइन गेम वेब पोर्टल पर भी ये सट्टा चलता है। ये दुबई से ऑपरेट होता है। भारत में इनके एजेंट सटोरियों के लिए आईडी क्रिएट कर पासवर्ड देते हैं। एजेंट को दुबई से कमीशन मिलता है।
पर्ची वाला सट्टा
पर्ची वाला सट्टा गरीब सटोरियों का खेल है। पर्ची पर 1 से 99 तक नंबर लिखे होते हैं। एक रुपये लगाने पर अगर नंबर लग गया तो 9 रुपये फालतू मिलते हैं। इसका नंबर भी सेंट्रलाइज खुलता है, जिसके बाद नीचे बुक चलाने वालों को भेजा जाता है। पर्ची वाले सट्टे में दिन में चार बार नंबर निकलता है।
एजेंट रखते हैं हिसाब-किताब
एक राष्ट्रीय न्यूज वेव साईट की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के ईस्ट जिला पुलिस ने जून 2021 में आईपी एक्सटेंशन से एक मिकेनिकल इंजीनियर को दुबई के बुकियों के लिए भारत में एजेंट के तौर पर काम करते पकड़ा था। इससे 3 करोड़ 50 लाख रुपये जब्त हुए थे, जो सटोरियों से लेन-देन का हिसाब रखता था। ये दुनिया के किसी भी कोने में सट्टा खेलने के लिए गैंबलिंग विंडो मुहैया करा देता था। पंटर घर बैठे ऑनलाइन सट्टा खेल सकते थे और फोन कॉल की जरूरत नहीं होती है। ये भी स्काई, आइस गोल्ड और डायमंड जैसे ऑनलाइन बेटिंग ऐप से ऑपरेट कर रहा था। इन्हें गूगल प्ले स्टोर और एपल स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। आईडी और पासवर्ड इससे लेना पड़ता था।
वेव साईट की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में 2011 केस दर्ज हुए, जिनमें 5776 गिरफ्तारियां हुईं और 6.13 करोड़ रुपये बरामद किए गए। दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने ऑर्गनाइज्ड क्राइम को लेकर सभी जिलों और यूनिट्स को सख्त निर्देश दे रखे हैं। नतीजतन इस साल 30 जून तक पिछले साल की तुलना में 1187 केस ज्यादा दर्ज हुए और 2354 आरोपी ज्यादा गिरफ्तार किए गए, लेकिन जिस तरह से ये 'जानलेवा खेल' अपने पैर पसार रहा है, उससे एक्शन में तेजी लाने और कानून में बदलाव करने की दरकार है। यह खबर एक राष्ट्रीय न्यूज वेव साईट में प्रकाशित सट्टा के वैश्विक प्रभाव के रिपोर्ट पर आधारित है।
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