रायपुर। छत्तीसगढ़ से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा आदेश दिया. वहां रेप के एक आरोपी को तय सजा के बाद भी जेल में रखा गया था. इसपर कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह दोषी को 7.5 लाख रुपये का मुआवजा दे. सजा की अवधि पूरी होने के बावजूद इस रेप के दोषी को जेल में रखा गया था.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सी. टी. रविकुमार ने यह फैसला दिया. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता युवा है, उसे लंबे समय तक और गैर कानूनी तरीके से मौलिक अधिकारों से वंचित रखा गया. इसके अलावा उसने अतिरिक्त अवैध हिरासत की वजह से मानसिक पीड़ा सही. उच्चतम न्यायालय में दोषी शख्स ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले का जिक्र किया था. हाई कोर्ट ने व्यक्ति को IPC की धारा-376 (दुष्कर्म) के तहत दोषी करार देने की निचली अदालत के फैसले की पुष्टि की थी, लेकिन सजा 12 साल से घटाकर सात साल सश्रम कारावास कर दी थी. लेकिन उसे ज्यादा वक्त तक जेल में रहना पड़ा.
मामले पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने पाया कि व्यक्ति को सुनाई गई सजा से अधिक अवधि तक जेल में रखा गया. याचिकाकर्ता को 10 साल तीन महीने और 16 दिनों तक कारावास में रखा गया था. इसपर कोर्ट ने नाराजगी भी जताई. बेंच ने कहा कि इसको किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता. यह जरूरी था कि हाईकोर्ट के आदेश के हिसाब से याचिकाकर्ता को रिहा किया जाता. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया है कि वह सजा की अवधि पूरी होने के बावजूद जेल में रखे जाने पर दुष्कर्म के एक दोषी को 7.5 लाख रुपये का मुआवजा दे.