लॉकडाउन का असर सिर्फ मुख्य मार्ग पर गली-मोहल्ले में बिक रहे मादक पदार्थ

Update: 2021-04-10 05:45 GMT

पुलिस के लिए बनी चुनौती, पुलिस की मेहनत पर पानी फेर रहे नशेड़ी

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी में कोरोना मरीज़ों में हो रहे इजाफे को देखते हुए सरकार द्वारा रायपुर में लॉकडाउन लगा दिया गया है। लेकिन उसके बाद भी कुछ लोग गली-मोहल्लों में दुकान खुले रहते है। और पुलिस हर रात फ्लैग मार्च निकाल रहे है मगर उसका फायदा सिर्फ शहर की सड़कों पर दिख रहा है। जिससे पुलिस को ये भी नहीं पता चल पाता कि हर थाना क्षेत्र की हर छोटी गलियों में छोटे पान मसाले की दुकानें खुली देखने को मिल सकती है। हर गली में नशेडिय़ों के अड्डे देखने को मिलते है।

नशे का सामान जिन बंद दुकानों से लोग खरीदते है उन दुकानों में इसके दाम भी अधिक मात्रा में लगाते है। तम्बाखू युक्त गुटखा और जर्दा की बिक्री लगातार बढ़ती जा रही है। लॉकडाउन के चलते संक्रमण को मद्देनजर रखते हुए जिला प्रशासन ने तम्बाखू और गुटका जैसे उत्पादों को प्रतिबंधित किया है। इसका ये कारण है कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से संक्रमण का खतरा बना हुआ रहता है।

बंद दुकानों की खरीदी बिक्री में महंगा हुआ गुड़ाखू : छत्तीसगढ़ की राजधानी में जिला प्रशासन ने लॉकडाउन लगाया है, लेकिन गुड़ाखू के शौकीनों को महंगी दरों पर इसे खरीदने एक बार फिर मजबूर होना पड़ गया है। रायपुर में अगर किसी दुकान से लोग गुड़ाखू की बड़ी डिब्बी मांगने जाते है तो वे सीध-सीधे स्टॉक में नहीं आ रहा है अगर छोटी डिब्बी को थमा दे रहे है और वह भी महंगी कीमत पर। मजबूरन लोग महंगी कीमत पर इसे खरीदने मजबूर हो रहे है।

कालाबाजारियों ने भर लिया स्टॉक :थोक व्यापारी ने छापामारी नहीं होने से मौके का फायदा उठाते हुए गुटखे का बफर स्टॉक भर लिया है। शहर में पान मसाला के 20 से ज्यादा थोक व्यापारियों ने दुकान से माल हटाकर कहीं दूसरे स्थानों में शिफ्ट कर दिया है, ताकि बाद में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके।

तम्बाखू का अवैध कारोबार बढ़ रहा

राजधानी में अवैध तम्बाखू युक्त जर्दा का व्यापार खुलेआम चल रहा है। नशे के सामानों की बिक्री पर प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन तलबगारों की छटपटाहट को देख नशे के कारोबारी भारी मुनाफा कमाते हुए प्रशासनिक व्यवस्था को ठेंगा दिखा रहे हैं। शहर की गलियों में नशे का हर सामान उपलब्ध है। फर्क बस इतना है कि तलबगार को अब दोगुनी कीमत चुकानी पड़ रही है। पान के शौकीन अब बेमन से गुटखा की ओर ध्यान लगाने को मजबूर हो गए हैं। वहीं गुटखे का सेवन करने वाली युवा पीढ़ी भी गली-गली अपने पसंद के गुटखे की तलाश में भटक रही है। गुटखे के दाम में दोगुना वृद्धि हो गई है। वहीं सिगरेट के दामों में भी भारी उछाल है। गांजा और शराब चोरी-छिपे बेचे जा रहे हैं।

कालाबाजारी कर कमाते हैं मुनाफा

राजधानी में जारी लॉकडाउन में गुड़ाखू और गुटखा के बेचने वाले थोक व्यापारियों ने अब बंद दुकानों के अंदर से कमाई शुरू कर दी है। और फुटकर व्यापारियों ने भी एक हद तक गुटखा, गुड़ाखू का दाम बढ़ा दिया था जिससे फुटकर व्यापारियों के भी दोनों हाथ घी में थे। लॉकडाउन शुरू हो गया लेकिन एक बार फिर से गुटखा, गुड़ाखू की कालाबाजारी शुरू हो गई है। कारोबारियों को मालूम हो गया है कि लॉकडाउन में सप्लाई बाधित होने से इनकी मांग बढ़ जाती है। इसके चलते लॉकडाउन को भी कारोबारी बड़ी कमाई की उम्मीद से देख रहे हैं।

राजधानी में लगे लॉकडाउन का असर केवल गुड़ाखू पर ही नहीं गुटखा व अन्य उत्पादों पर भी दिखाई दिया है। शहर के एक मोहल्ले में किराना की दुकान संचालित कर रहे लोगों ने बताया कि गुटखा का पैकेट पहले 125 रुपये में मिल रहा था। पिछले कुछ दिनों में उसका दाम बढ़कर 180 रुपये पहुंचे गया है।

निचली बस्ती में मिल रहा नशा

निचली बस्ती के बच्चे गांजा, भांग और तंबाखू उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं शहर के कुछ ऐसी दुकानों में देखा जा सकता है जहां ऐसे सामान बेचे जाते है। गुटखे की दुकानों से नशे का सामान खरीदने वाले 15 से 20 साल के युवा ही होते हैं। कॉलेज और स्कूलों में भी इस प्रकार के नशा करने वाले बच्चे ज्यादा हो गए हैं। युवा मैदान में क्रिकेट, फुटबॉल जैसे खेल तो खेलते ही है लेकिन युवा रोजाना खेल के मैदान में अब सिर्फ नशा करते रहते है। बोनफिक्स और सुलेशन का नशा युवाओं और किशोरों में खूब बढ़ रहा है।

सुलेशन को कपड़े में कुछ बूंदों की दुर्गंध को सांस खींचकर इसका नशा किया जा रहा है। तम्बाखू युक्त जर्दा, गांजा, शराब का नशा तो रग-रग में बह रहा है। खांसी की दवा, दर्द निवारक गोलियों को नशे के रूप में उपयोग किया जा रहा है।

गुड़ाखू हुआ पिछले साल से भी महंगा

राजधानी में कोरोना के मामले बढऩे के साथ ही गुडाखू व्यावसाय से जुड़े व्यापारी एक बार फिर फायदा उठाने के चक्कर में गुड़ाखू की बड़ी डिब्बियो को स्टॉक में रखना शुरु कर दिया है। वे इंतजार कर रहे है कि जिला प्रशासन द्वारा कब राजधानी में लॉकडाउन लगाया जाए और वे स्टॉक में रखे इन बड़ी डिब्बायो को बाहर निकालकर महंगे दामों में बेच सकें। पिछले साल लगे लॉकडाउन में भी ऐसा ही देखने को मिला और बड़ी डिब्बी का एक पैकेट 2000 से 2200 रुपये तक में बेचा गया। वहीं छोटी डिब्बी को 1100 से 1200 रुपये में। शहर के किसी भी दुकान में गुड़ाखू की बड़ी डिब्बी नहीं मिली रही है, और जो रखे भी 25 रुपये में मिलने वाले बड़ी डिब्बी को 150 से 200 रुपये में बेच रहे हैं। वहीं 5 रुपये में मिलने वाली छोटी डिब्बी को भी चिल्हर व्यापारी 10 से 15 रुपये में बेच रहे है। उसमें भी अगर आपको दो डिब्बी खरीदना है तो 30 से 40 रुपये देने होंगे।

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