कुपोषित बच्चों को सुपोषण की श्रेणी में लाने में जनसहभागिता का असर रहा बेहतरीन: कलेक्टर

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Update: 2023-06-22 15:25 GMT
राजनांदगांव। कलेक्टर डोमन सिंह ने कलेक्टोरेट सभाकक्ष में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की। कलेक्टर सिंह ने कहा कि जिले में गंभीर कुपोषित बच्चों को सुपोषण की श्रेणी में लाने के लिए लगातार कार्य किए जा रहे है। जिसमें जनसहभागिता का असर बेहतरीन रहा है। जिसके सुखद परिणाम से 80 प्रतिशत बच्चे गंभीर कुपोषण की स्थिति से मध्यम श्रेणी में आ गए हैं। जनप्रतिनिधियों, उद्योग, सामाजिक संस्थाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं, अधिकारियों, कर्मचारियों, ग्राम पंचायतों, महिला स्वसहायता समूह, राजीव युवा मितान क्लब, डॉक्टर्स, शिक्षक, रेडक्रॉस सोसायटी के साथ ही अभिभावकों एवं बुजुर्गों की सहभागिता रही है। उन्होंने कहा कि बच्चों का स्वास्थ्य सर्वाेपरि है। अगले तीन माह में गति लाते हुए शत-प्रतिशत बच्चों को सुपोषण की श्रेणी में लाने के निर्देश दिए। जिसके लिए सामाजिक संस्थाओं से सहयोग लेते हुए कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने लक्षित गंभीर कुपोषण बच्चों की जानकारी तथा सेक्टरवाईज सीडीपीओ एवं सुपरवाईजर के कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चे जिनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। उनके ईलाज के लिए एम्स एवं अन्य चिकित्सालय में संपर्क करने की जरूरत है। सभी सीपीडीओ एवं सुपरवाईजर सुपोषण अभियान की सतत निगरानी के लिए एक व्यवस्था बनाएं। सुघ्घर बुधवार अभियान अंतर्गत सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण अवश्य कराएं। इसके लिए कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए।
कलेक्टर सिंह ने मोबाईल के माध्यम से बंसतपुर के ग्राम पंचायत मोहारा में हितग्राही बालिका की माता सविता पटेल से बात कर बच्ची के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। सविता पटेल ने बताया कि बच्चे को आंगनबाड़ी केन्द्र में रोटी, दाल, अचार, सब्जी दिया जा रहा है। वहीं सीडीपीओ एवं सुपरवाईजर एवं मितानिन आते रहते हैं। बच्ची के लिए लड्डू, चना, बिस्कुट देते हैं। इसकी वजह से 5 वर्ष की बच्ची के वजन में 1 किलो की बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने बताया कि गृह भेंट के दौरान बच्चे के खान-पान, पौष्टिक आहार के संबंध में जानकारी देने के साथ ही दवाईयां भी दी गई। कलेक्टर ने सभी सीपीडीओ एवं सुपरवाईजर ने सुपोषण के संबंध में अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र में नाश्ता एवं गर्म भोजन दिया गया तथा पालकों को पौष्टिक आहार के लिए लगातार समझाईश दी गई। बच्चों को सुपोषण किट का लाभ मिला। वही पोषण पुर्नवास केन्द्रों के माध्यम से भी फायदा मिला है। कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग गुरप्रीत कौर ने बताया कि जिले में कुपोषण की स्थिति के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 132 गौठानों में सुपोषण वाटिका का निर्माण किया जा रहा है और वहां के साग-सब्जियों का उपयोग आंगनबाड़ी केन्द्रों में किया जायेगा। उन्होंने गंभीर कुपोषित बच्चों को किट वितरण, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, आंगनबाड़ी केन्द्रों में स्मार्ट टीवी, लक्षित गंभीर सुपोषित बच्चों के पोषण स्तर की जानकारी, सी-मार्ट से महिला स्वसहायता समूह द्वारा निर्मित उत्पादों की खरीदी, पोषण वाटिका, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका की नियुक्ति, मिनी आंगनबाड़ी कार्यक्रर्ता, जर्जर भवन के निष्प्रयोजन की कार्रवाई, मनरेगा से स्वीकृत निर्माणाधीन भवन निर्माण कार्य, आंगनबाड़ी व मिनी आंगनबाड़ी भवनों के किराए में संचालित केन्द्र, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं का मानदेय व अतिरिक्त मानदेय की जानकारी, पूरक पोषण आहार कार्यक्रम से संबंधित महिला स्वसहायता समूहों का किए गए भुगतान की अद्यतन जानकारी, पोषण टे्रक आधार वेरिफिकेशन, पोषण ट्रेक डेली मानिटरिंग के संबंध में जानकारी दी। इस अवसर पर सीडीपीओ रीना ठाकुर सहित अन्य सीडीपीओ एवं सुपरवाईजर उपस्थित रहे।
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