बांधवगढ़ में हाथियों की मौत से किसानों की मुसीबत बढ़ी

Update: 2024-11-16 09:29 GMT

एमपी। उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ नेशनल पार्क में हाथियों की मौत के बाद किसान मुश्किल में आ गए हैं। इसकी वजह कोदो में फंगस के पाए जाने का खुलासा है। अब व्यापारी किसानों की फसल खरीदने को तैयार नहीं है और जो खरीद रहे हैं वह बहुत कम दाम में। ज्ञात हो कि बीते दिनों बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 10 हाथियों की मौत हुई थी। हाथियों की मौत के बाद इस बात का खुलासा हुआ है कि कोदो में फंगस थी और उसी के चलते हाथियों की मौत हुई। आरोप है कि इसके बाद वन विभाग ने कई खेतों की कोदो की फसल को नष्ट कर दिया है। ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि कोई अन्य वन्य प्राणी इसका सेवन न करे।

जिस इलाके में हाथियों की मौत हुई है, उस क्षेत्र के कई किसानों ने अच्छी आमदनी के लिए कोदो- कुटकी जिसे मिलेट्स कहा जाता है, उगाई थी। अब यही उनके लिए मुसीबत बन गया है। किसानों की मानें तो एक तरफ जहां वन विभाग ने फसल को नष्ट किया है और उन्हें मुआवजा नहीं मिला है, तो दूसरी ओर जो फसल बच गई है, उसे व्यापारी खरीदने को तैयार नहीं है। जो भी व्यापारी खरीद रहे हैं, वह बहुत कम दाम में फसल खरीदने को तैयार हाे रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हाथियों की मौत के मामले को संज्ञान में लिया है। एनजीटी का कहना है कि कोदो की फसल में माइसोटॉक्सिन का पाया जाना चिंताजनक है। इस मामले में एनजीटी ने वन विभाग के पीसीसीएफ, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन, उमरिया के कलेक्टर ,वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया और पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली के निदेशक और केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव को नोटिस जारी किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी और इससे एक हफ्ते पहले संबंधितों को अपना जवाब दाखिल करना होगा।

छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित उमरिया सहित अन्य जिलों में हाथियों की गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं और इस बात को लेकर राज्य सरकार भी चिंतित है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी इस दिशा में पहल की है और वह छत्तीसगढ़ सरकार के संपर्क में हैं। बांधवगढ़ हादसे के बाद वन विभाग के दो अधिकारियों को निलंबित भी किया जा चुका है।

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