पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की बर्खास्तगी को लेकर कोर्ट ने सुनाया फैसला
छग
रायपुर। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. शाहिद अली की बर्खास्तगी को लेकर दायर याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने शाहीद अली को अंतरिम रिलीफ नहीं दिए जाने का फैसला सुनाया है. वहीं विश्वविद्यालय कार्यपरिषद ने डॉ. अली को बर्खास्त करने को लेकर कार्रवाई करते हुए उन्हें अपना पक्ष रखने नोटिस देकर 15 दिनों का समय दिया है. एबीवीपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व केटीयू के प्रोफेसर डॉक्टर आशुतोष मंडावी और संजय द्विवेदी के खिलाफ भी तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया है.
विश्वविद्यालय कार्य परिषद के सदस्य आवेश तिवारी ने बताया, डॉ. राममोहन पाठक सहित तीन सदस्यी जांच कमेटी ने डाॅ. शाहिद अली का दस्तावेज फर्जी होना बताया है. कार्य परिषद की आपात मीटिंग में डॉक्टर शाहिद अली को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने का फैसला लिया गया है. कार्य परिषद के फैसले के बाद नोटिस जारी किया गया है. फर्जी दस्तावेज मामले में डॉक्टर शाहिद अली से 15 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है. साथ ही डॉक्टर आशुतोष मंडावी के खिलाफ भी तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है.
कार्य परिषद के सदस्य आवेश तिवारी ने बताया कि कार्यपरिषद बैठक की हम लोगों को अचानक से सूचना मिली. वाइस चांसलर ने आपातकालीन बैठक बुलाई थी, जिसका एजेंडा हमें पता नहीं था और जब परिषद के सदस्य पहुंचे वहां तो फिर एजेंडा बताया गया. दरअसल पत्रकारिता के विश्वविद्यालय में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाए जाने का गंभीर मामला है. 2008-9 के दौरान जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी छत्तीसगढ़ में उस दौरान ये सारे अपॉइंटमेंट हुए थे. आश्चर्य की बात यह थी कि संजय द्विवेदी फिलहाल आईआईएमसी के निदेशक हैं, वे जा चुके थे. डॉक्टर शाहिद अली और आशुतोष मंडावी यही हैं.
तिवारी ने बताया, तीन सदस्यीय जांच कमेटी में वरिष्ठ पत्रकार डॉ राम मोहन पाठक व दो अन्य लोग जांच कमेटी में हैं. कमेटी के अनुसार दस्तावेज, तमाम अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी हैं. इसके आधार पर उन्होंने सिफारिश की है कि डॉ संजय द्विवेदी, डॉक्टर शाहिद अली, आशुतोष मंडावी के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जानी चाहिए. साथ में यह भी कहा गया कि इसमें तत्काल एक्शन लेकर डॉक्टर शाहिद अली की सेवा तत्काल समाप्त की जाए. आवेश तिवारी ने बताया, परिषद ने निर्णय लिया कि जो भी जांच कमेटी की रिपोर्ट है उसको स्वीकार करते हुए उसकी स्वीकृति कर तत्काल लागू की जाए. हम लोगों ने यह निर्णय लिया है कि डॉक्टर शाहिद अली को तत्काल टर्मिनेशन की नोटिस दी जाए. साथ में संजय द्विवेदी और डॉक्टर शाहिद अली के खिलाफ लीगल एक्शन कार्यवाही किया जाए. परिषद का निर्णय बहुत बड़ा निर्णय होता है और आखिरी निर्णय होता है. परिसर खुद अपने आप में अथॉरिटी होता है.परिसर ने जब सर्वसम्मति से आदेश पारित की तो उसको ऐसे चैलेंज नहीं किया जा सकता. मुझे जानकारी मिली कि डॉक्टर शाहिद अली कोर्ट गए थे. कोर्ट ने स्टे देने के लिए मना कर दिया है.