बेतहाशा महंगाई से आम आदमी बेहाल हो गया : Deepak Baij

Update: 2024-07-06 06:25 GMT

रायपुर raipur news। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज Deepak Baij ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बढ़ती महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी पर चर्चा करने से भाग रहे है। देश की जनता का महंगाई से बुरा हाल है। मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है, महंगाई से देश के नागरिकों की कमर टूटती जा रही है। महंगाई को लेकर कांग्रेस प्रदेश में जनआंदोलन छेड़ेगी। chhattisgarh

chhattisgarh news मोदी राज में रोजमर्रा की जरूरतों के दाम बेतहाशा बढ़ गये है। 2014 में जो गैस का सिलेंडर 410 रु. का था, आज वह 1000 रु. के पार है। पेट्रोल के दाम 70 रु. प्रति लीटर से बढ़कर 100 रु. प्रति लीटर के पार हो गए हैं जबकि डीजल के दाम 55 रु. प्रति लीटर से बढ़कर 95 रु. प्रति लीटर के करीब पहुंच गए हैं। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड आयल का दाम लगातार कम हो रहे है। 2014 की तुलना में वर्तमान में क्रूड आयल आधे रेट में मिल रहा है, लेकिन उसका लाभ आम जनता को नही मिल रहा है। खाने के तेल और दाल की कीमत 70 रु. और 60 रु. प्रति किलो थी, वह 200 रू. प्रति किलो को पार कर गई है। इतना ही नहीं, बीते दिनों जीएसटी की बर्बर मार से दही, पनीर, लस्सी, आटा, सूखा सोयाबीन, मटर व मुरमुरे भी बच नहीं सके, उन पर भी 5 फीसदी जीएसटी लगा दिया गया। होटल के 1,000 रु. के कमरे पर 12 प्रतिशत जीएसटी, अस्पताल के आईसीयू बेड पर 5 प्रतिशत जीएसटी। जीने के लिए सभी आवश्यक चीजों पर जीएसटी लगाकर चैन नहीं मिला तो श्मशान घाट के निर्माण पर भी जीएसटी बढ़ा दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें लगातार घट रही है। मगर मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम नहीं कर रही है। बीते 10 सालों में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर कर लगाकर 29 लाख करोड़ रुपए जनता की जेब से निकाले गए हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा सरकार बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को नियंत्रित करने में असफल और नकारा साबित हुई है। अभी हाल ही में देश भर में हुई सर्वे में एक बात सामने आई है कि मोदी सरकार की गलत नीतियों, रोजगार देने में असफलता, पेट्रोल, डीजल में मनमाना एक्साइज ड्यूटी, रेल यात्रा का महंगा होना, सड़कों पर टोल टैक्स के दरों में वृद्धि एवं आवश्यक वस्तुओं पर भी लगाई गई जीएसटी के चलते आम लोगों के आय एवं बचत घटी है और मुखिया को घर चलाने के लिए घर की आवश्यकताओं को पूर्ति करने के लिए 77 प्रतिशत तक के ऋण लेने पड़े है, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार को कोई वास्ता नहीं।

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