कवर्धा। कबीरधाम जिले को टी.बी मुक्त बनाने की मुहिम शुरू हो गई है। कलेक्टर जनमेजय महोबे सहित जिले के आलाफसर कबीरधाम जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए निक्षय मित्र बन कर जिले के सभी टीबी मरीजों के लिए अतिरिक्त पोषण आहार देंगे। इस अभियान में जिले के सामान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि, गैर सरकारी संस्थान, कॉर्पोरेट संस्थान सहित अन्य संस्थाएं अपनी मजबूत भागीदारी निभा सकते हैं।
कलेक्टर एवं रेडक्रास के अध्यक्ष जनमेजय महोबे ने जिले में टीबी मुक्त अभियान को आगे बढ़ाते हुए मंगलवार को कलेक्टोरेट कार्यालय से टीबी मरीजों के लिए अतिरिक्त पोषण आहार से भरें वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कलेक्टर के साथ पुलिस अधीक्षक डॉ अभिषेक पल्लव और मुख्य कार्यपालन अधिकारी संदीप अग्रवाल डीएफओ चुडामणि सिंह के द्वारा रेडक्रास फ्लेग एवं हरी झंडी दिखाकर टी.बी.मरीजों के लिए पोषण आहार वितरण के लिए वाहन रवाना किया गया। उक्त पोषण आहार नगरपालिका कवर्धा कार्यालय के पास स्थित सी-मार्ट के माध्यम से पैकेजिंग कराया गया है।
कलेक्टर जनमेजय महोबे ने कहा कि वर्ष 2025 तक टीबी रोग के उन्मूलन के लिए सरकार के साथ ही जनभागीदारी से इस रोग को दूर किया जा सकता है। जिसमें निक्षय मित्र का विशेष योगदान है। कोई भी व्यक्ति टीबी रोग के उन्मूलन में सामान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि, गैर सरकारी संस्थान, कॉर्पोरेट संस्थान सहित अन्य संस्थाएं अपनी मजबूत भागीदारी निभा सकते हैं। इसके लिए निक्षय मित्र बनकर सेवा दे सकते हैं। या कहें कोई भी व्यक्ति टीबी रोगी को गोद लेकर उनकी सेवा कर सकता है।
पुलिस अधीक्षक डॉ अभिषेक पल्लव ने निक्षय मित्र के माध्यम से टीबी मरीज के लिए किए जा प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि निक्षय मित्र योजना एक तरह से टीबी रोग से पीड़ित लोगों को गोद लेने की योजना है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी संदीप अग्रवाल ने जिले के सभी टीबी मरीजों को समय पर प्रोटीन युक्त पोषक आहार उपलब्ध कराने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने प्रेरित किया। ’डॉ सुजॉय मुखर्जी सीएमएचओ’ ने बताया कि निक्षय मित्र बनने के लिए सबसे पहले बवउउनदपजलेनचचवतज.दपोंल.पद पर लॉगिन करना होगा। इसके बाद टीबी मुक्त भारत अभियान पर क्लिक करने के बाद निक्षय मित्र रजिस्ट्रेशन फॉर्म पर रजिस्ट्रेशन कर इस अभियान से जुड़ सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के बाद सुविधानुसार निक्षय सहायता के लिए टीबी रोगियों का चयन किया जा सकता है। इस योजना का खास बात ये है कि टीबी के खिलाफ इस जंग में आम आदमी भी अपना योगदान दे सकता है। इस अवसर पर एसडीएम कवर्धा पीसी कोरी, सिविल सर्जन डॉ महेश सूर्यवंशी, डीपीएम सृष्टि शर्मा, नरेश वर्मा सीएमओ, जिला समन्वयक बालाराम साहू रेडक्रास, आनंद महंत, नितीन सोनी, निलेश टांडेकर, मोहन साहू ,भवानी सिंह, सहित स्टॉप उपस्थित थे।
क्या है निक्षय मित्र योजना
निक्षय मित्र योजना एक तरह से क्षय यानि टीबी रोग से पीड़ित लोगों को गोद लेने की योजना है। इस योजना के तहत कोई भी स्वयंसेवी संस्थाए औद्योगिक इकाई या संगठन राजनीतिक दल या कोई व्यक्ति भी टीबी के मरीज को गोद ले सकेगा, ताकि वह उसका प्रॉपर इलाज करा सके। इस अभियान के तहत व्यवस्था की गई है कि निक्षय मित्र बनने वाले व्यक्ति या संस्था कम से कम छः माह के लिए और अधिक से अधिक तीन साल के लिए किसी ब्लॉक वार्ड या जिले के टीबी रोगियों को गोद लेकर उन्हें भोजन पोषण आजीविका के स्तर पर जरूरी मदद उपलब्ध करा सकते हैं। लोग सामाजिक दायित्व के तहत मरीजों के इलाज और खानपान का खर्च उठा सकेंगे। इस अभियान से जुड़ने के लिए आप निक्षय पोर्टल पर रजिस्टर कर सकते हैं।
योजना का उद्देश्य
इस अभियान को जन अभियान बनाकर लोगों में टीबी के बारे में जागरूकता पैदा की जाएगी। उन्हें बताना होगा कि इस बीमारी की रोकथाम संभव है। इसका इलाज प्रभावी और सुलभ है तथा सरकार इस बीमारी की रोकथाम और उपचार के लिए निःशुल्क सुविधा प्रदान करती है। जैसा की अक्सर देखने को मिलता है कि कुछ रोगियों और समुदायों में इस बीमारी को लेकर हीन भावना है और लोग इस बीमारी को कलंक के रूप में देखते हैं। यह भ्रम दूर करना होगा। सभी को यह जानकारी होनी चाहिए कि टीबी के कीटाणु हर व्यक्ति के शरीर में मौजूद होते हैं। किसी कारणवश जब किसी व्यक्ति की रोग.प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो व्यक्ति में यह रोग दिखता है। इलाज से इस बीमारी से जरूर छुटकारा मिल सकता है। ये सभी बातें लोगों तक पहुंचने के बाद ही टीबी से प्रभावित लोग इलाज की सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।
टीबी मरीजों को होगा लाभ
दरअसल अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में या शहरी क्षेत्रों में भी लापरवाही की वजह से टीबी के मरीज बीच में ही अपना इलाज छोड़ देते हैं। टीबी के वायरस कई प्रकार के होते हैं ऐसे में इनके इलाज और दवा भी अवधि भी अलग होती है और व्यक्ति के खानपान का विशेष ध्यान रखना होता है। जिससे उसके अंदर संक्रमण से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े। इलाज पूरा न होने और दवा सही समय पर न खाने से मरीज के अंदर का टीबी वायरस खत्म नहीं होता और दूसरे भी संपर्क में आकर संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में सरकार की गोद लेने की यह पहल भारत को टीबी मुक्त करने में बड़ा योगदान देगी।