सफलता की कहानी: मनरेगा से लाभान्वित हो रहे किसान

छग

Update: 2023-04-04 12:53 GMT
बिलासपुर। जिले के कोटा ब्लाक में आदिवासी बाहुल्य अंचल का एक छोटा सा ग्राम पंचायत कुरदर, जहां वीर सिंह अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रहे हैं। उनकी खुशहाली में मनरेगा के तहत कुआं निर्माण की महत्वपूर्ण भूमिका है। कुआं बनने से उन्हें सिंचाई का एक स्थायी साधन मिला और अब वे धान की अच्छी फसल लेकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने निरंतर कार्य कर रहे है।
मनरेगा के तहत लाभान्वित हुए किसान वीर सिंह बताते हैं कि बारिश के अलावा उनके पास सिंचाई का कोई साधन नहीं था। धान की फसलों के लिए पानी अमृत के समान होता है। पानी का स्थायी साधन नहीं होने से धान की पैदावार में बहुत फर्क पड़ता था। सालभर कड़ी मेहनत करने के बाद भी पौने तीन एकड़ जमीन से केवल 25 से 30 क्विंटल धान की पैदावार हो पाती थी। उनका परिवार बड़ी कठिनाईयों के साथ गुजर बसर कर पा रहा था। उनकी समस्या को देखते हुए रोजगार सहायक ने उन्हें अपनी भूमि पर कुआं निर्माण करवाने की सलाह दी। मनरेगा योजना के तहत उन्हें कुआं निर्माण करवाने के लिए 2 लाख 72 हजार रूपए की राशि स्वीकृत हुई। जिससे उनकी भूमि पर कुआं का निर्माण कराया गया। कुआं निर्माण के बाद उन्हें पानी का एक स्थायी साधन मिला और बारिश की पानी पर निर्भरता भी समाप्त हो गई।
सिंह ने बताया कि कुएं में पर्याप्त पानी होने के कारण फसलों की पैदावार में बढ़ोत्तरी हो रही है। अब उनकी जमीन से 40 से 45 क्विंटल धान की पैदावार होने लगी है। कुछ धान को अपने लिए रख कर बाकी बचे धान को बेचकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे है। इसके साथ ही अब उन्हें पीने के पानी के लिए भी दूर नहीं जाना पड़ता है। योजना से मिले लाभ की खुशी जाहिर कर वीर सिंह बताते हैं कि अब उनका परिवार एक खुशहाल जीवन जी रहा है। आर्थिक स्थिति भी अब पहले के मुकाबले बेहतर हो गई है। योजना को वरदान मानने वाले सिंह अब पानी की चिंता से पूरी तरह मुक्त हो गए है।
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