धर्मांतरण की आग में पीस रहे स्टूडेंट्स, पढ़ाई प्रभावित

Update: 2023-01-08 06:15 GMT

नारायणपुर। नारायणपुर में लगी धर्मांतरण की आग में स्कूली बच्चे भी झुलस गए हैं। गांव के साथ स्कूल से बेदखल हुए मसीही परिवार के बच्चे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। सरकार द्वारा सिर छिपाने के लिए दिया गया इंडोर स्टेडियम माहका शरणस्थली बन गया है। बच्चे अपनी इसी शरणस्थली में ही शिक्षा ले रहे हैं। सीनियर बच्चों ने अपने जूनियरों को पढ़ाने का जिम्मा उठा रखा है। बच्चे अर्धवार्षिक परीक्षा से भी वंचित हो गए हैं।

आदिवासियों के दो समुदायों के बीच चल रहे धर्मयुद्ध में बच्चों की तालीम तबाह हो रही है। हिंसा के दौरान दोनों पक्षों के बीच मारपीट हो रही है। इस दौरान कुछ उपद्रवियों द्वारा बच्चों के पाठ्यक्रम से जुड़ी सामग्रियों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। शरणस्थली में पहली से लेकर कॉलेज तक के छात्र-छात्राएं शिक्षा का अलख स्वयं होकर जगा रहे हैं। भाटपाल, कुढ़ारगांव, रेमावंड, देवगांव, मलिंगनार, बोरावंड समेत कई दर्जन गांवों के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। बच्चों और उनके अभिभावकों ने बताया कि आदिवासी समाज के कुछ समर्थकों द्वारा अध्ययन सामग्रियों को नष्ट कर दिया गया है। बता दें कि 18 दिसंबर से कई परिवार जिला मुख्यालय में शरण लिए हुए हैं। कई लोग अपने रिश्तेदारों के यहां रुककर स्थिति सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं।

गांव के शांत वातावरण में अशांति के बादल मंडराने के बाद कई परिवारों को गांव छोड़कर जिला मुख्यालय में शरण लेनी पड़ी है। इसकी वजह से इनके बच्चों की शिक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है। गांव के स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे जिला मुख्यालय में आने के बाद स्कूल से महरूम हो गए हैं। इस वजह से शरणस्थली में ही बच्चे अपनी व्यवस्था से पढ़ाई कर रहे हैं। इन बच्चों की शिक्षा व्यवस्था भी अपनी ही बनाई हुई है, जिसमें सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे बच्चे अपने साथी बच्चों के टीचर बनकर उन्हें शिक्षा का पाठ सिखा रहे हैं। इन बच्चों के परिजनों को भविष्य की चिंता सताने लगी है।

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