सीएम के फरमान के बाद हुक्का कारोबार पर सख्ती

Update: 2021-10-23 05:16 GMT
  1. शुक्रवार शाम सड़क पर उतरी पुलिस, नशा रोकने हुक्का बारों में दी दबिश, लगातार चलेगी कार्रवाई
  2. छुटभैय्ये नेता निकाल रहे पुलिस का दम 
  3. सिंगल-छोटे रेस्टोरेंट में दबिश सितारा होटलों में झूमते रहे लोग - शुक्रवार शाम को पुलिस ने कई रेस्टोरेंट और हुक्का बार में दबिश दी और कार्रवाई की। तेलीबांधा सहित शहर के कई ईलाको में जहां सिंगल और छोटे रेस्टोरेंट हुक्काबार में कार्रवाई की गई जबकि एयरपोर्ट के नजदीक कई होटल और क्लब में देर रात तक हुक्का और शराब पार्टी चलती रही. लोगों का जमावड़ा भी लगा रहा और पुलिस का डर भी नहीं दिखा। वीआईपी रोड की सितारा होटल में पुलिस की सख्ती के बावजूद खुलेआम 300 लोगों का जमावड़ा देखा गया।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। सीएम भूपेश बघेल ने आईजी-एसपी कांफ्रेंस में हुक्के को लेकर कड़े तेवर दिखाते हुए राजधानी समेत पूरे प्रदेश में इसे बंद करने का निर्देश दिया है। दो साल पहले भी हुक्का बार पर सख्त पाबंदी लगाई गई थी, लेकिन हुक्के का कारोबार राजधानी में तेजी से फैला है। बड़े होटलों से लेकर छोटे रेस्तरां तक, शहर में 125 से ज्यादा जगह युवाओं को हुक्का उपलब्ध है और टीन-एजर लड़के-लड़कियों तक को परोसा जा रहा है। इस पर एडिसन्ल एसपी ने कहा कि अभी कार्रवाई शुरु हुई है नशे के हर ठिकाने पर कार्रवाई होगी।

रायपुर पुलिस ने तीन हफ्ते पहले वीकएंड में आधी रात के बाद नशीले हुक्के समेत नशे को रोकने के लिए वीआईपी रोड पर कार्रवाई शुरू की थी, जिसमें दर्जनों युवा पकड़े गए जिनके वाहन जब्त किए गए। लेकिन हुक्का बार बेधड़क चल रहे हैं। सबसे ज्यादा हुक्का बाहर जीई रोड पर तेलीबांधा से वीआईपी रोड और माना के आसपास संचालित हैं। जिन 19 बार पर पुलिस छापे मार चुकी, उनमें से एक भी बंद नहीं हुआ है। हुक्का बार रोकने में नियम-कायदों की कमी बड़ी बाधा बनी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हुक्का बा बंद करने के लिए सख्त कानून की जरूरत है।

सिर्फ वीआईपी रोड पर ही 52 बार : शहर में सबसे ज्यादा हुक्का बार वीआईपी रोड पर हैं। वहां बड़े-छोटे होटल और कैफे के अलावा कुछ फार्म हाउस और ढाबों में भी हुक्के की सुविधा है। पुलिस के रिकार्ड में ऐसे 52 सेंटर हैं। कुछ लोग क्लब हाउस के आड़ में हुक्का सेंटर चला रहे हैं, जिनमें दूसरे शहरों से लोग आ रहे हैं। तेलीबांधा, सड्डू-विधानसभा, माना, मंदिर हसौद, राजेंद्र नगर, टिकरापारा, आमानाका और सिविल लाइन इलाके में भी हुक्का सेंटर चल रहे हैं। इनकी शिकायत होती है, तब पुलिस छापेमारी करती है। लेकिन कमजोर कार्रवाई की वजह से आरोपी छूट रहे हैं और हुक्का बार पर असर नहीं हो रहा है।

जनता से रिश्ता की नशे के खिलाफ लगातार चलाई जा रही मुहिम और पत्थलगांव हादसे के बाद सरकार नशा तस्करों पर एक्शन लेने के मूड में है। शुक्रवार को आयोजित आईजी-एसपी कांफ्रेंस में सीएम भूपेश बघेल ने दो टूक कहा है कि प्रदेश में गांजे की एक पत्ती भी आने न पाए। वहीं उन्होंने हुक्का बारों को भी सख्ती से बंद करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री के इस फरमान ने पुलिस वालों की मुश्किलें बढ़ा दी है। दरअसल एक तरफ सरकार नशा के धंधेबाजों पर लगाम कसने को कहती है दूसरी ओर छुटभैय्ये नेता पुलिस को उसी सरकार के नुमाइन्दों का हवाला देकर कार्रवाई करने नहीं देती है। पुलिस के लिए यह धर्मसंकट की स्थिति होती है। सरकार के निर्देश पर वरिष्ठ अधिकारी निचले स्तर के अधिकारियों-थानेदारों पर कार्रवाई का दबाव बनाती है और नशे के धंधेबाजों-तस्करों को संरक्षण देने वाले छुटभैय्ये नेता सरकार का ही डर दिखा कर कार्रवाई करने नहीं देते हैं।

पहले भी दिए निर्देश, सीमा पर चौकसी जरूरी

मुख्यमंत्री ने लगभग एक महीने पहले भी डीजीपी को निर्देश दिए थे की गांजा की तस्करी रोकने सीमावर्ती इलाकों में चौकसी बढ़ाकर सीसीटीवी कैमरे से निगरानी रखी जाए। इसके बावजूद सीमा पार करके प्राय: हर दिन गांजा तस्कर प्रदेश और दूसरे राज्यों में गांजे की तस्करी कर रहे हैं। पुलिस ने निर्देश के बाद ही राज्य के कई जिलों में गांजे की बड़ी खेप के साथ तस्करों को पकड़ा है। जबकि सीमाओं पर सख्त चौकसी होने पर तस्करों का छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर पाना नामुमिकन होना चाहिए। इससे साफ है कि निर्देशों का जमीन स्तर पर क्रियान्वयन नहीं होने के कारण ही तस्कर बार्डर पार करके नशे का सामान छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ से होकर दूसरे राज्यों तक पहुंचा रहे हैं।

राजधानी में सक्रिय तस्करों पर कार्रवाई नहीं

वहीं दूसरी ओर राजधानी में कई तस्कर सक्रिय हैं जो अपने गुर्गों के माध्यम से पूरे शहर में नशा फैला रहे हैं। पुलिस को इनका पता-ठिकाना सब पता है बावजूद कार्रवाई नहीं होती। ये तस्कर उड़ीसा से गांजा लाकर राजधानी सहित छग के कई शहरों में नेटवर्क बनाकर सप्लाई करते हैं। पुलिस को सबसे पहले इन पर कार्रवाई करके इनका चैन तोडऩा चाहिए। लोकल तस्करों पर नकेल कसने के बाद गांजे की आपूर्ति अपने आप रुक जाएगी। स्थानीय तस्कर ही पाइंट बनाकर अपने गुर्गों के द्वारा गांजा बेचते हैं जो युवाओं को इसकी आदी बनाने रहे हैं।

ढाई साल में 50 हजार किलोग्राम गांजा की जब्ती

नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट पर गौर करें तो बीते ढाई साल के दौरान छत्तीसगढ़ के अलग-अलग क्षेत्रों में 50 हजार किलोग्राम गांजा की जब्ती पुलिस ने बनाई है। जब्ती किए गए गांजा की कीमत पुलिस ने 61 करोड़ रुपए के करीब तय किया है। गांजा के अलावा शराब और नशीली दवाओं की भी बेखौफ तस्करी हो रही है। गांजा से लेकर नशीली दवाओं और शराब तस्करों की सक्रियता इस कदर बढ़ी हुई है कि आए दिन नशे के सामानों की जब्ती पुलिस कर रही है। चौकसी के नाम पर खानापूर्ति की आशंका भी जताई जा रही है।

लायसेंस निरस्त कर बंद हो हुक्का बार

सरकार ने हुक्का बार पर प्रतिबंध लगाने के लिए विधानसभा में पहले ही प्रस्ताव पारित किया हुआ है। इसके बावजूद आज तक हुक्का बार बंद नहीं किए जा सके हैं। पुलिस समय-समय पर छापामार कर नाममात्र कार्रवाई कर खानापूर्ति करती आ रही है। हुक्का बार को बंद करने के लिए अधिकृत विभाग को जारी लायसेंस निरस्त करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। लायसेंस निरस्त होने से पुलिस के लिए भी इसे बंद कराना आसान हो जाएगा। बिना लायसेंस और अनाधिकृत तौर पर हुक्काबार का संचालन करने वाले कार्रवाई के दायरे में आएंगे। आईजी-एसपी कांफ्रेंस में सीएम के निर्देश के बाद पुलिस शुक्रवार शाम को सड़क पर उतरी लेकिन कार्रवाई सिंगल और छोटे रेस्टारेंटों पर ही की गई। जबकि वीआईपी रोड के होटलों-पबों में हुक्का बार बेरोक-टोक चलते रहे।

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