पटवारी से वकील बनने की कहानी, वकील की जुबानी

दोनों पक्ष वकील हैं सामने आकर सच्चाई बताए: महाधिवक्ता

Update: 2021-03-03 06:08 GMT

जाकिर घुरसेना

रायपुर। राजधानी में वकीलों की बढ़ते तादात विधि विभाग और न्यायालयीन कार्यप्रणाली को संचालित करने वाले कोर्ट के लिए सिरदर्द बन गया। जिसमें यह पहचान करना मुश्किल होता है कि कौन वकील डिग्रीधारी है और कौन बिना डिग्रीधारी। जिनके पास वकालत के प्रमाणपत्र नहीं हैं वो भी सीनियर वकीलों के साथ काम करते-करतेवकील बन जाते है। जनता से रिश्ता के संवाददाता को नाम नहीं छापने की शर्त पर एक वकील ने बताया कि रायपुर में तहसील और कलेक्ट्रेट में बिना सनद वाले लोग वकालत करके अपराधियों को छुड़ाने का काम कर रहे है । यह आश्चर्य जनक और चौकाने वाली है। हालांकि पिछले दिनों हुई सख्ती के चलते कलेक्ट्रेट गार्डन में फर्जी जमानतदारों की भीड़ लगी रहती थी, अब वो भीड़ नदारद है। जो जमीन के फर्जी पट्टे, बी वन, खसरा वगैरह अपने साथ लिए रहते थे और नाजायज़ तरीके से अपराधियों को जमानत पर छुड़ाने का काम करते थे और नाज़ायज़ तरीके से वकीलों के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहे थे। लेकिन अब तो हद हो गयी जब वकील द्वारा वकील से घूस मांगने का आरोप लगा, तथा स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा हुआ। ताजा घटना बिलासपुर का है जो इस प्रकार है

अधिवक्ता के विरुद्ध शिकायत खात्मा आदेश देने और सनद जारी करने के नाम पर मांगे दो लाख रुपये, फिर किये डेढ़ लाख, अंतत: माने 1 लाख में। पूर्व कर्मचारी नेता और तीन साल से हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ता को किया ब्लैकमेल। दी कार्यवाही की धमकी। 9 फरवरी 2021 को 60,000/- रुपये ले लिये और मांगे 45,000/- हजार रुपये। 3 फरवरी से लेकर 27 फरवरी के बीच हुई आरोपियों की आडियो-वीडियो, कॉल रिकॉर्डिंग। घटना की हुई आपराधिक शिकायत आई.जी., एस.पी. और थाना प्रभारी समक्ष की गई। छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद की वर्तमान 3 सदस्यीय विशेष संचालन समिति को हुई गंभीर शिकायत । पूरे प्रदेश के वकीलों की सबसे बड़ी नियामक संस्था होती है छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद। सिलसिलेवार घटनाक्रम पूर्व कर्मचारी नेता संतोष कुमार पाण्डेय पूर्व उपप्रांताध्यक्ष एवं जिलाध्यक्ष छत्तीसगढ़ पटवारी संघ पटवारी के रूप में तहसील बिलासपुर अंतर्गत कार्यरत थे। 20 साल राजस्व विभाग में सेवा देने के बाद 15सितं.2017 को 3 माह पूर्व नोटिस देकर 31.दिसं.2017 से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त हो गये किन्तु इसका औपचारिक आदेश कलेक्टर बिलासपुर द्वारा जारी नहीं किया गया। इस बात की जानकारी देकर कि मेरे द्वारा विभाग में वापसी नहीं की जाएगी, पाण्डेय के द्वारा अधिवक्ता के रूप में पंजीयन आवेदन दिया गया जिसे नामांकन समिति के द्वारा स्वीकार कर लिया गया और 12.अगस्त.2018 को पाण्डेय को अधिवक्ता घोषित कर दिया गया। अक्टूबर 2018 से व्यवसाय प्रारंभ कर व्यवसायरत हैं कि 16जून 2020 को किसी राजेन्द्र कुमार एवं 21 दिस.2020 को उमेश बंजारे के द्वारा पाण्डेय के विरुद्ध शिकायत किया गया कि पाण्डेय विभाग की सेवा में बने हुए हैं एवं भत्ता प्राप्त कर रहे हैं और वकालत भी कर रहे हैं । (शेष पृष्ठ अंतिम पर)

21.जुलाई.2020 को नोटिस जारी किया गया जिसका जवाब 11.अगस्त. 2020 को दिया गया कि यह राजस्व विभाग की गलती है कि जब मेरे द्वारा वीआरएस ले लिया गया तो भत्ता भुगतान करने का औचित्य नहीं है बल्कि उसका समायोजन पेंशन राशि में कर देना चाहिए एवं पेंशन के रूप में राशि भुगतान करना चाहिए। यदि नोटिस अवधि में नियोक्ता द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया जाता तो यह समझा जाता है कि नियोक्ता को वीआरएस स्वीकार होता हैं । ऐसी स्थिति में कर्मचारी को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति का आदेश जारी करना होता है परन्तु सचिव द्वारा पुन: नोटिस 05.अक्टू.2020 को दिया गया। जिसका जवाब मय दस्तावेज 13.अक्चू.2020 को दिया गया किन्तु 10.जन.2021 को सामान्य सभा में बिना जांच के भरत लोनिया, चन्द्र प्रकाश जांगड़े, प्रभाकर चंदेल, अमित कुमार वर्मा के द्वारा बिना पूर्व एजेंडा के आपराधिक षडय़ंत्र कर मिलीभगत कर पाण्डेय के विरुद्ध कार्यवाही का प्रस्ताव कर दिया गया । 13.जन.2021 को पाण्डेय को नोटिस जारी कर दिया गया, तब उनके द्वारा सचिव से दस्तावेज का मांग किया गया जो कि 29.जन.2021 को दिया गया। चूंकि 3 दिन का समय अर्थात् 01.फर.2021 तक का समय दिया गया था किन्तु इसके पूर्व ही 30.फर.2021 को अध्यक्ष चंदेल द्वारा पाण्डेय के विरुद्ध कार्यवाही का आदेश जारी कर दिया गया । 02.फर 2021 को परिषद का अतिरिक्त कार्यकाल समाप्त होने वाला था इसलिए 01.फर.2021 को ही पाण्डेय के द्वारा अपना प्रारंभिक जवाब, आवेदन वास्ते सनद जारी करने एवं अध्यक्ष का आदेश 30.जन. 2021 वापस लेने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया तब 01.फर 2021 को अध्यक्ष चंदेल के द्वारा कार्यवाही का आदेश 30.जन. 2021 को समाप्त कर दिया गया। इसी आदेश को देने एवं सनद प्रदान करने के लिए रुपये मांगे गये और रुपये न देने पर कार्यवाही कर फंसा देने की धमकी दिया गया। 09.फर.2021 की दोपहर को 60 हजार रुपये परिषद कार्यालय में सचिव द्वारा लिया गया एवं बाद में 45 हजार रुपये और मांगे गये दिनांक 25फर.2021 को आदेश 01. फर.2021 की फोटोकापी सचिव द्वारा पाण्डेय को दिया गया और फिर से पैसे मांगे। पैसों के लिए लगातार प्रताडि़त करने के कारण पाण्डेय द्वारा 27.फर.2021 को कहा गया कि आपको जो कार्यवाही करना है कर लो मेरे 60 हजार वापस कर दो। तब सचिव के द्वारा धमकी दिया गया बदत्तमीजी किया गया जिससे क्षुब्ध होकर अधिवक्ता पाण्डेय द्वारा शपथ पत्र सहित शिकायत तैयार किया गया सबूत हेतु 3 फरवरी से लेकर 27 फरवरी के बीच हुई आरोपियों और पाण्डेय की बीच की आडियो-वीडियो, कॉल रिकॉर्डिंग उपलब्ध है । दूसरे दिन रविवार होने के कारण 01.मार्च 2021 को विशेष समिति के समक्ष अधिकृत शिकायत किया गया साथ ही मुख्य न्यायाधिपति छत्तीगसढ़ उच्च न्यायालय को भी शिकायत किया गया। आपराधिक कार्यवाही के लिए पृथक से थाना प्रभारी एस.पी. एवं आई.जी. को शिकायत आवेदन दिया गया है। जिस पर कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

21.जुलाई.2020 को नोटिस जारी किया गया जिसका जवाब 11.अगस्त. 2020 को दिया गया कि यह राजस्व विभाग की गलती है कि जब मेरे द्वारा वीआरएस ले लिया गया तो भत्ता भुगतान करने का औचित्य नहीं है बल्कि उसका समायोजन पेंशन राशि में कर देना चाहिए एवं पेंशन के रूप में राशि भुगतान करना चाहिए। यदि नोटिस अवधि में नियोक्ता द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया जाता तो यह समझा जाता है कि नियोक्ता को वीआरएस स्वीकार होता हैं । ऐसी स्थिति में कर्मचारी को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति का आदेश जारी करना होता है परन्तु सचिव द्वारा पुन: नोटिस 05.अक्टू.2020 को दिया गया। जिसका जवाब मय दस्तावेज 13.अक्चू.2020 को दिया गया किन्तु 10.जन.2021 को सामान्य सभा में बिना जांच के भरत लोनिया, चन्द्र प्रकाश जांगड़े, प्रभाकर चंदेल, अमित कुमार वर्मा के द्वारा बिना पूर्व एजेंडा के आपराधिक षडय़ंत्र कर मिलीभगत कर पाण्डेय के विरुद्ध कार्यवाही का प्रस्ताव कर दिया गया । 13.जन.2021 को पाण्डेय को नोटिस जारी कर दिया गया, तब उनके द्वारा सचिव से दस्तावेज का मांग किया गया जो कि 29.जन.2021 को दिया गया। चूंकि 3 दिन का समय अर्थात् 01.फर.2021 तक का समय दिया गया था किन्तु इसके पूर्व ही 30.फर.2021 को अध्यक्ष चंदेल द्वारा पाण्डेय के विरुद्ध कार्यवाही का आदेश जारी कर दिया गया । 02.फर 2021 को परिषद का अतिरिक्त कार्यकाल समाप्त होने वाला था इसलिए 01.फर.2021 को ही पाण्डेय के द्वारा अपना प्रारंभिक जवाब, आवेदन वास्ते सनद जारी करने एवं अध्यक्ष का आदेश 30.जन. 2021 वापस लेने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया तब 01.फर 2021 को अध्यक्ष चंदेल के द्वारा कार्यवाही का आदेश 30.जन. 2021 को समाप्त कर दिया गया। इसी आदेश को देने एवं सनद प्रदान करने के लिए रुपये मांगे गये और रुपये न देने पर कार्यवाही कर फंसा देने की धमकी दिया गया। 09.फर.2021 की दोपहर को 60 हजार रुपये परिषद कार्यालय में सचिव द्वारा लिया गया एवं बाद में 45 हजार रुपये और मांगे गये दिनांक 25फर.2021 को आदेश 01. फर.2021 की फोटोकापी सचिव द्वारा पाण्डेय को दिया गया और फिर से पैसे मांगे। पैसों के लिए लगातार प्रताडि़त करने के कारण पाण्डेय द्वारा 27.फर.2021 को कहा गया कि आपको जो कार्यवाही करना है कर लो मेरे 60 हजार वापस कर दो। तब सचिव के द्वारा धमकी दिया गया बदत्तमीजी किया गया जिससे क्षुब्ध होकर अधिवक्ता पाण्डेय द्वारा शपथ पत्र सहित शिकायत तैयार किया गया सबूत हेतु 3 फरवरी से लेकर 27 फरवरी के बीच हुई आरोपियों और पाण्डेय की बीच की आडियो-वीडियो, कॉल रिकॉर्डिंग उपलब्ध है । दूसरे दिन रविवार होने के कारण 01.मार्च 2021 को विशेष समिति के समक्ष अधिकृत शिकायत किया गया साथ ही मुख्य न्यायाधिपति छत्तीगसढ़ उच्च न्यायालय को भी शिकायत किया गया। आपराधिक कार्यवाही के लिए पृथक से थाना प्रभारी एस.पी. एवं आई.जी. को शिकायत आवेदन दिया गया है। जिस पर कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद में हुआ सनसनी खेज खुलासा

निष्पक्ष जांच होनी चाहिए

दोनों पक्ष वकील हैं उनको सामने आकर सच्चाई बतानी चाहिए, प्रभाकर चंदेल को भी एफआईआर कराना चाहिए ।

-सतीश चंद्र वर्मा महाधिवक्ता (वर्तमान बार कौंसिल अध्यक्ष) छत्तीसगढ़।

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