एफएसएनएल का निजीकरण रोकें, प्रधानमंत्री से गुहार

Update: 2024-09-07 10:52 GMT

भिलाई bhilai news। आचार्य नरेंद्र देव स्मृति जन अधिकार अभियान समिति के संयोजक और लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिष्ठान के अध्यक्ष आरपी शर्मा ने सार्वजनिक उपक्रम फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड (एफएसएनएल) का निजीकरण तत्काल प्रभाव से रोकने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है। इस संबंध में विस्तृत पत्र भेजकर आर पी शर्मा ने कंपनी की अब तक की बेहतर आर्थिक स्थिति की जानकारी देते हुए और इसके निजीकरण को लेकर दो दशक से चल रहे षड़यंत्र का खुलासा करते हुए मांग की है कि इसका विलय स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) में कर दिया जाए। fsnl

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा इस्पात मंत्री, सभी मुख्यमंत्री, सभी संसद सदस्यों और सेल चेयरमैन को भी पत्र भेजा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत सरकार के उपक्रम फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड की स्थापना स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की इकाइयों के स्क्रैप की रिकवरी के लिए वर्ष 1979 में की गई थी। यह कंपनी हमेशा आत्मनिर्भर रही है और इसने भारत सरकार से कभी भी आर्थिक सहयोग नहीं मांगा है। यह कंपनी अपने मुनाफे से ही भारत सरकार को लाभांश अपने स्थापना काल से लेकर अब तक देते आई है। वर्तमान सरकार को भी लगभग 250 करोड़ का लाभांश इस कंपनी ने दिया है। एफएसएनएल के पास आज भी देश भर में एक हजार करोड़ से ज्यादा मूल्य के उपकरण व भारी वाहन है। इन परिस्थितियों के बीच इस उपक्रम को निजी हाथों में दिए जाने की चर्चा जोरों पर है। स्क्रैप रिकवरी का कार्य एफएसएनएल स्वयं ही करता है इसलिए यह कंपनी मुनाफे में चल रही है।

आर पी शर्मा ने कहा है कि वर्ष 2007 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के दौर में उद्योगपति और ठेकेदार पवन कुमार लखोटिया ने फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड में स्क्रैप रिकवरी का काम लिया था। इस दौरान उसने अपना कारोबार जमाने के लिए दुर्ग से भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन सांसद ताराचंद साहू को 05 लाख रुपए घूस देने का प्रयास भी किया था लेकिन उसका यह षड़यंत्र विफल हो गया और आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो (एसीबी) ने उसे पकड़ लिया।

उन्होंने कहा कि पवन कुमार लखोटिया ने अपनी अलग-अलग 12 कंपनियां का पंजीयन ‘सेल’ की विभिन्न इकाइयों में करवाया था और इसकी आड़ में उसने अखंड भ्रष्टाचार किया। आचार्य नरेंद्र देव स्मृति जन अधिकार अभियान समिति ने इस प्रकरण को सीबीआई के हाथों सौंपने की मांग की और उस पर पहल भी हुई। जिससे पवन लखोटिया के भ्रष्टाचार पर रोक लगी।

उन्होंने कहा कि यह सर्वविदित है कि भिलाई स्टील प्लांट के कार्यकारी प्रमुख रहे विनोद कुमार अरोड़ा और मुख्य कार्यपालक अधिकारी रहे पंकज गौतम ने अपने-अपने कार्यकाल में वर्ष 2010-2013 में पवन लखोटिया के साथ मिलकर स्क्रैप रिकवरी में धांधली की। आरपी शर्मा ने अपने पत्र में कहा कि यह प्रकरण उजागर किए जाने पर उनके ऊपर तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी पंकज गौतम की ओर से एक करोड़ की मानहानि का दावा किया गया।

इसके बाद उन्होंने इस संबंध में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं विभिन्न पार्टियों के सांसदों को ज्ञापन भेज कर इस आशय की की जानकारी दी। तत्कालीन सेल के अध्यक्ष द्वय सुशील कुमार रुंगटा और चंद्रशेखर वर्मा ने अमेरिकी कंपनी हार्षको के साथ मिलकर सेल मैं स्क्रैप रिकवरी के लिए निजीकरण की योजना बनाई। जब उन्हें पता चला तो इसके विरोध स्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री माननीय मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कहा कि इससे सेल खंडहर में तब्दील हो जाएगा। फलस्वरुप यह कंपनी सेल में एंट्री नहीं कर पाई और फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड का काम सफलतापूर्वक अब तक जारी है।

उन्होंने कहा कि अगर भारत सरकार फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड को निजी हाथों में सौंपती है तो यह कंपनी बंद होने के कगार पर आ जाएगी। अभी तक भारत सरकार यह घोषणा नहीं कर पा रही है कि फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड को किस निजी कंपनी को दिया जा रहा है। हमारी आशंका है कि कहीं पवन लाखोटिया की साजिश के चलते किसी विदेशी कंपनी को तो नहीं दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा है कि फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड में जब सब कुछ ठीक चल रहा है तो आखिर इसके निजीकरण की नौबत क्यों आ रही है? यह अपने आप में चिंतनीय और जांच का विषय है।

उन्होंने कहा कि ऐसी जानकारी है कि फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड के निजीकरण के लिए वित्त मंत्रालय में जोर-शोर से प्रक्रिया चल रही है। हमारी आपत्ति है कि एफएसएनएल एक सार्वजनिक कंपनी है जो इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत है। अतः वित्त मंत्रालय में जारी कार्रवाई पर रोक लगाई जाए। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड का सेल में विलय कर नए-नए रोजगार के अवसर प्रदान करें साथ ही निजीकरण के प्रकरण को बंद कर दिया जाए।

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