बस्तर में उन्नत कृषि की तरफ बढ़ते महिलाओं के कदम

Update: 2020-12-28 10:25 GMT

वर्तमान परिदृश्य के तहत जलवायु परिवर्तन की रोकथाम और प्राकृतिक संसाधन के प्रवर्धन में महिलाओं के योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता। एक अनुमान के अनुसार बस्तर जिले के लगभग 50 से 55 प्रतिशत महिलाएं कृषि कार्य में प्रत्यक्ष एंव अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्य में अपना योगदान दे रही है। इसी कड़ी का एक उदाहरण बस्तर जिला के दरभा विकासखण्ड के ग्राम चिंगपाल की महिला कृषक श्रीमती रामबती द्वारा करीब 15 वर्ष से परम्परागत कृषि मुख्यतः धान की वर्षा आधारित खेती कर रही थी। जिससे महिला कृषक कीट व्याधियों, असमय वर्षा के कारण कम उपज प्राप्त होने के कारण अधिक आय नहीं प्राप्त कर पार रही थी। गत कुछ वर्षा से महिला का सम्पर्क कृषि विभाग के मैदानी अमलों से होने पर कृषक को तकनीकी कृषक पद्धति उन्न्त बीज, कतार बुआई, संतुलित दूरी व जैविक खेती के लाभ व तकनीकी का ज्ञान होने लगा जिसे दिन ब दिन महिला कृषक द्वारा प्रयोग के लाकर खेती किया गया। जहां पहले केवल महिला द्वारा 0.80 हेक्टेयर क्षेत्र में धान का उत्पादन से राशि 7 हजार रूपए का लाभ प्राप्त होता था, वो महिला कृषक को गत वर्ष खरीफ में राशि 10 हजार 750 रूपए प्राप्त हुआ। महिला को कृषि विभाग से निःशुल्क प्रामाणित बीज, मिनीकीट एवं आत्मा योजनान्तर्गत प्रशिक्षण व भ्रमण कार्यक्रम में सम्मिलित किया गया। जिससे महिला को दलहन-तिलहन फसलों के उत्पादन का भी ज्ञान हुआ व महिला द्वारा गत वर्ष तिल का उत्पादन भी लिया गया जिससे 0.60 हेक्टेयर क्षेत्र में 11.2 क्विंटल उत्पादन लेते हुए राशि रूपए 19 हजार 750 का शुद्ध आय प्राप्त हुआ इस प्रकार महिला द्वारा एक वर्ष में 30 हजार 500 रूपए का लाभ खरीफ में लिया गया। 

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